Onion Storage Structure : इस बार खरीफ प्याज की बंपर पैदावार होने से उत्पादकों के चेहरे पर खुशी है। पिछले साल के मुकाबले इस साल प्याज की पैदावार बहुत अधिक हुई है, जिससे इस बार किसानों को प्याज के भाव भी दोगुने मिल रहे हैं। वर्तमान बाजार दरों के अनुसार, राजस्थान में प्याज का औसत मूल्य 3250 प्रति क्विंटल, सबसे कम बाजार की कीमत 3000 प्रति क्विंटल और सबसे उच्च बाजार की कीमत 3500 प्रति क्विंटल है। प्याज व्यापारियों का कहना है कि मंडी में रोजाना प्याज के हजारों कट्टों की आवक हो रही है। राजस्थान में बड़ी तादाद में प्याज की पैदावार होती है, जिसको देखते हुए सरकार द्वारा अलग-अलग स्थानों पर प्याज मंडी स्थापित की गई है। साथ ही किसानों को प्याज के स्टोरेज के लिए भंडारण की सुविधाएं भी प्रदान की जा रही है। ऐसे में भीलवाड़ा जिले के 3 ब्लॉक मांडलगढ़, जहाजपुर व सुवाणा के अलग-अलग स्थानों पर प्याज स्टोरेज के लिए सरकार ने करीब 35 जगह प्याज स्ट्रक्चर (संरचना) बनाने को मंजूरी दी है। स्ट्रक्चर बनने से किसानों का प्याज जल्द खराब नहीं होने से उन्हें कम भाव पर बेचना नहीं पड़ेगा, जबकि किसानों के ही प्याज स्टोरेज स्ट्रक्चर बन जाने से आम लोगों को भी महंगे भाव के प्याज नहीं खरीदने पड़ेंगे।
भीलवाड़ा उद्यान विभाग के उपनिदेशक राजकुमार माला ने कहा कि, भीलवाड़ा जिले के शहर और आसपास के गांवों के किसान अपनी प्याज के स्टोरेज को लेकर खासा परेशान रहते हैं। फसल का स्टोरेज करने के लिए उन्हें कहीं ना कहीं निजी स्टोरेज की ओर रुख करना पड़ता है। उन्होंने कहा, अब जिले के प्याज उत्पादकों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अब वह खुद अपने स्तर पर प्याज का स्टोरेज कर सकेंगे, इसके लिए सरकार भी किसानों की मदद करेगी।
उपनिदेशक ने कहा कि राज्य सरकार ने इस साल उद्यान विभाग को जिलेभर में प्याज स्टोरेज के लिए 43 स्ट्रक्चर बनाने का लक्ष्य जारी किया था, जिसमें से उद्यान विभाग द्वारा लगभग 35 किसानों को प्याज स्टोरेज स्ट्रक्चर बनाने की स्वीकृति दी है। प्रत्येक स्ट्रक्चर पर करीब 1.75 लाख रुपए खर्च होंगे, जिसमें से करीब 50 फीसदी राशि सरकार अनुदान के रूप में देगी।
उद्यान विभाग के उपनिदेशक राजकुमार का कहना है कि भीलवाड़ा जिले में बड़ी तादाद में प्याज का उत्पादन होता है। जिले में हर साल करीब 200 हेक्टेयर में प्याज का उत्पादन होता है। प्रति हेक्टेयर 20 टन के हिसाब से लगभग 4 हजार टन के आसपास प्याज एक साथ पककर तैयार होने से उत्पादक को कम कीमत मिलती है। दूसरी ओर किसान प्याज की फसल खराब होने के भय से कम कीमत पर ही उपज बेच देते हैं, जिसके कारण मुनाफा तो दूर किसानों की खेती लागत भी नहीं निकलती है। उत्पादकों की इन्हीं समस्या को देखते हुए राजस्थान सरकार ने किसानों को सब्सिडी देकर प्याज स्टोरेज के लिए स्ट्रक्चर बनाने की सुविधा दी है। भंडारण संरचना बन जाने पर किसान जब बाजार में फसल की अच्छी कीमत मिल रही होगी तब ही फसल बेचकर मुनाफा कमा सकेंगे। इसके अलावा, यदि किसान के पास प्याज स्टोर है, तो आमजन को भी सस्ता प्याज मिलेगा। इससे प्याज व्यापारियों व किसान दोनों को लाभ मिलेगा
उपनिदेशक राजकुमार माला के मुताबिक, बांस से निर्मित प्याज के स्टॉरेज स्ट्रक्चर में रैक लगी होती है। बीच में छेद होने से हवा लगती रहती है, जिससे प्याज खराब नहीं होती है। स्ट्रक्चर में करीब सालभर तक प्याज को सुरक्षित रखा जा सकता हैं। बाजार में जब प्याज के भाव अच्छे मिल रहे हैं, तब बेचकर किसान अपनी उपज की अच्छी कीमत ले सकते हैं। वहीं, स्थानीय प्याज स्टॉरेज से बाहर निकलेगा तो कीमत स्थिर रहने से आमजन को भी कम कीमत पर मिल सकेगा। पिछले साल भी उद्यान विभाग द्वारा कोटड़ी, मांडलगढ़ व आसींद क्षेत्र के लिए प्याज स्टोरेज के लिए स्वीकृत किए गए, जो प्याज उत्पादकों के लिए फायदेमंद साबित हुए। इसको देखते हुए इस साल उद्यान विभाग ने फिर 35 और जगहों पर प्याज भंडारण संरचना बनाने की स्वीकृति जारी की है।
उद्यान विभाग के उपनिदेशक का कहना है कि प्याज भंडारण के लिए बनने वाले हर स्ट्रक्चर में करीब 25 मीट्रिक टन प्याज का स्टोर किया जा सकता है । ऐसे में स्ट्रक्चर लगाने वाले किसान का इतना उत्पादन नहीं है, तो वह अपने गांव के अन्य दूसरे किसानों का प्याज भी किराया लेकर रखवा सकता है। वहीं, जो किसान स्ट्रक्चर बनवाने में असमर्थ है, उनकी प्याज की फसल भी स्ट्रक्चर में स्टोर की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार की ओर से कृषक उद्यमी या कृषक समूह को कोल्ड स्टोरेज बनाने पर अधिकतम 1 करोड़ 40 लाख रुपये तक का अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। इससे राज्य में किसानों की जल्दी खराब होने वाली फसलों को खराब होने से बचाने एवं उनके लिए उचित दाम मिल सके। कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के प्रमुख शासन सचिव के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा कोल्ड स्टोरेज पर राष्ट्रीय हॉर्टिकल्चर मिशन योजनान्तर्गत 250 मिट्रिक टन से लेकर अधिकतम 5 हजार मीट्रिक टन का स्टोरेज बनाने पर अनुदान देने का प्रावधान है। इसमें स्टोरेज बनाने पर इकाई लागत का 8,000 रुपए प्रति मीट्रिक टन से गणना कर अधिकतम 5 हजार मीट्रिक टन पर इकाई लागत पर 35 प्रतिशत अथवा अधिकतम 1 करोड़ 40 लाख रुपए का अनुदान दिया जाता है।
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