Krishi Yantra Subsidy Scheme : कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में आधुनिक कृषि मशीनों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह कृषि मशीनरी और उपकरण बीज, उर्वरक और सिंचाई जल जैसे महंगे इनपुट की उपयोगिता दक्षता में सुधार करने के साथ विभिन्न कृषि कार्यों से जुड़ी मानवीय श्रम लागत को कम करने में मदद करती है। लेकिन विभिन्न राज्यों के किसानों द्वारा मशीनीकरण को अपनाना सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों, भौगोलिक परिस्थितियों, उगाई जाने वाली फसलों और सिंचाई सुविधाओं जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। खेती में कृषि मशीनरी/उपकरणों की बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना संचालित की जा रही है। सरकार इस योजना के तहत सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद, कस्टम हायरिंग केंद्र, फार्म मशीनरी बैंक, हाईटेक हब की स्थापना और कृषि ड्रोन के लिए वित्तीय सहायता (अनुदान) देती है। इस योजना के अंतर्गत किसानों की श्रेणियों के अनुसार, कृषि यंत्रों और कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए 80 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है। इस संबंध में जानकारी राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने लोकसभा में दी।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि, सरकार का जोर छोटे और सीमांत किसानों और उन क्षेत्रों तक कृषि मशीनीकरण की पहुंच बढ़ाने के विशिष्ट उद्देश्य से मशीनीकरण को बढ़ावा देने पर है जहां कृषि बिजली की उपलब्धता कम है और छोटे भूमि जोत और कृषि मशीनों के व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण होने वाली प्रतिकूल अर्थव्यवस्थाओं की भरपाई के लिए ‘कस्टम हायरिंग सेंटर’ को बढ़ावा देना है। ऐसे क्षेत्रों के छोटी खेती वाले किसान कस्टम हायरिंग सेंटर से बहुत सस्ती दरों पर किराए से कृषि मशीनरी /उपकरण ले सकते हैं और खेती में उपयोग कर उत्पादकता और उत्पादन दोनों बढ़ा सकते हैं।
राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया कि वर्ष 2014-15 से उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र प्रायोजित योजना ‘कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन’ (स्माम) लागू की गई है। इस मिशन योजना के तहत कृषि यंत्रों / मशीनों की खरीद के लिए किसानों की श्रेणियों के आधार पर मशीनों/उपकरणों की लागत पर 40 से लेकर 50 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता यानी सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसी प्रकार कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Center) और उच्च मूल्य वाली कृषि मशीनों के हाई-टेक हब की स्थापना हेतु ग्रामीण उद्यमी, (ग्रामीण युवा और उद्यमी के रूप में किसान), किसानों की सहकारी समितियों (PACS), पंजीकृत किसान समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और पंचायतों को परियोजना लागत का 40 प्रतिशत वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। 30 लाख रुपए तक की लागत वाली परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत का 80 प्रतिशत वित्तीय सहायता दी जाती है। कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) एक योजना के अंतर्गत किसानों की सहकारी समितियों, पंजीकृत किसान समितियों, एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और पंचायतों को ग्राम स्तरीय कृषि मशीनरी बैंक (एफएमबी) स्थापित करने के लिए 30 लाख रुपए की धनराशि प्रदान की जाती है। यह योजना फसल उत्पादन और उत्पादन के बाद की गतिविधियों के लिए लगभग सभी कृषि मशीनों और उपकरणों को बढ़ावा देती है।
कृषि और किसान कल्याण विभाग, (डीएएंडएफडब्ल्यू) ने धान की पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को दूर करने और फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी को सब्सिडी देने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की राज्य सरकारों के प्रयासों का समर्थन करने के लिए वर्ष 2018-19 से फसल अवशेष प्रबंधन योजना को लागू किया है। इस योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद के लिए किसानों को 50 प्रतिशत की दर से सब्सिडी प्रदान की जाती है, जबकि फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) की स्थापना के लिए ग्रामीण उद्यमियों (ग्रामीण युवा और उद्यमी के रूप में किसान), किसानों की सहकारी समितियों, पंजीकृत किसान समितियों, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और पंचायतों को 80 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता यानी सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह योजना फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, स्मार्ट सीडर, सरफेस सीडर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल आदि मशीनों के उपयोग को बढ़ावा देती है और आगे के उपयोग के लिए पराली को इकट्ठा करने के लिए बेलर और स्ट्रॉ रेक का उपयोग करती है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने लोकसभा में जवाब देते हुए आगे बताया कि बायोमास बिजली उत्पादन और जैव ईंधन क्षेत्रों में अंतिम उपयोगकर्ता उद्योगों को धान की पराली की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से धान की पराली आपूर्ति श्रृंखला परियोजनाओं की स्थापना के लिए 1.50 करोड़ रुपये तक की लागत वाली मशीनरी की पूंजीगत लागत पर 65 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2023-24 से वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए 1261 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को ड्रोन देने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की नमो ड्रोन दीदी योजना को भी मंजूरी दी है, जिसे उत्तर प्रदेश राज्य सहित पूरे देश में लागू किया गया है। इस योजना के तहत चयनित एसएचजी समूहों को ड्रोन और सहायक उपकरण / सहायक शुल्क की लागत का 80 प्रतिशत की दर से केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) का प्रावधान है, जो प्रति ड्रोन अधिकतम 8 लाख रुपए तक है। नमो ड्रोन दीदी योजना के अंतर्गत आपूर्ति किए जाने वाले लक्षित कुल 15,000 ड्रोन में से प्रमुख उर्वरक कंपनियों (एलएफसी) ने अपने आंतरिक संसाधनों का उपयोग करके 2023-24 में पहले 500 ड्रोन खरीदे हैं और चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को वितरित किए हैं। इसमें उत्तर प्रदेश राज्य के एसएचजी को आपूर्ति किए गए 32 ड्रोन शामिल हैं।
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