Onion New varieties : घर में प्याज का भंडारण करने वाले किसानों के लिए राहत की खबर है। अब प्याज किसानों को कोल्ड स्टोरेज पर किराए के रूप में मोटी रकम भी खर्च नहीं करनी पड़ेगी। अब किसान घर में ही प्याज को अधिक समय तक स्टोरेज कर सकते हैं। क्योंकि कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा के कृषि वैज्ञानिकों ने प्याज की नई किस्में विकसित की है, जो सालभर तक नहीं सड़ता है और न ही अंकुरित होता है। प्याज की खेती करने वाले किसान प्याज की इन नई किस्मों की खेती से बंपर उत्पादन कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। किसान प्याज की इस किस्म का उत्पादन सालभर तक घर में ही स्टोर कर सकते हैं और कीमत बढ़ने पर इसे बाजार में बेचकर बंपर मुनाफा कमा सकते हैं। बता दें कि प्याज नश्वर उत्पादक है और कुछ ही दिनो में सड़ने या अंकुरित होने लगता है। ऐसे में किसान प्याज को खेत से निकालने बाद इसे सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं, जिसके लिए उन्हें किराए के रूप में मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। हालांकि अधिकांश किसानों द्वारा प्याज की फसल को घाटे में बेचना पड़ जाता है।
दरअसल, कृषि विज्ञान केंद्र (लेदौरा) आजमगढ़ के वैज्ञानिकों ने मौसम के अनुकूल प्याज की एग्रीफाउंड लाइट रेड-3 व की एग्रीफाउंड लाइट रेड-4 नाम प्रजाति की नई किस्में (Onion variety) विकसित की है, जो न सिर्फ पैदावार में अच्छी है, बल्कि इसमें अंकुरण भी कम होगा और यह सालभर तक नहीं सड़ेगा। यानी यह जल्दी खराब नहीं होगी। विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एलसी वर्मा के अनुसार इस प्याज की खासियत यह है कि इसका रंग हल्का लाल व स्वाद में हल्का तीखापन होता है। इस प्याज किस्म को घर में लंबे समय तक स्टोरेज किया जा सकता है। कोयलसा ब्लॉक के ककरही गांव में किसानों के खेतों में इस किस्म के प्याज की फसल लगाई गई है। इससे बीज तैयार किया जा रहा है, जो किसानों को खेती के लिए अप्रैल महीने में तैयार हो जाएगा।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एलसी वर्मा ने बताया कि पूर्वांचल के आसपास के जिलों में प्याज की खेती बड़े पैमाने पर होती है। आजमगढ़ समेत पूर्वांचल के जौनपुर, गाजीपुर, बलिया आदि जिलों में बड़ी संख्या में किसान प्याज की खेती करते हैं। इन क्षेत्रों में ज्यादातर प्याज उत्पादक किसान घर में ही प्याज का भंडारण करते हैं। परेशानी तब होती है जब बारिश के मौसम में आर्द्रता बढ़ने से प्याज सड़ने या अंकुरित होने लगता है। ऐसे में किसान अपने स्टॉक प्याज को घटती-बढ़ती कीमतों पर बेच देते हैं, जिससे किसानों को नुकसान होता है। लेकिन किसानों की इसी समस्या को दूर करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र आजमगढ़ के वैज्ञानिकों ने शोध कर मौसम के अनुकूल प्याज की यह दो नई प्रजातियां तैयार की है। इस किस्म की बड़े स्तर पर खेती करने लिए इसके बीज किसानों को अक्टूबार माह में उपलब्ध कराया जाएगा। उपयोग के साथ इसकी व्यावयायिक खेती किसानों के लिए इनकम बढ़ाने में मददगार हो सकती है।
जानकारी के लिए बता दें कि देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र (Maharashtra) है। देश के कुल प्याज उत्पादन में महाराष्ट्र अकेले 40 फीसदी की हिस्सेदारी देता है, जबकि हरियाणा में देश का महज 2 से 2.5 फीसदी ही प्याज पैदा होता है। प्याज उत्पादन में दूसरा नंबर मध्य प्रदेश का है यहां देश का 15 फीसदी प्याज पैदा हो रहा है। कर्नाटक 9, राजस्थान 6 और गुजरात देश का प्याज उत्पादन का सिर्फ 5 प्रतिशत ही प्याज पैदा करता है।
बता दें कि देश में प्याज की खेती रबी के समय में नवंबर और दिसंबर के महीने में की जाती है, जबकि खरीफ मौसम में प्याज की खेती मई और जून माह के मध्य में किसानों द्वारा की जाती है । उपयोग व व्यावसायिक लिहाज से प्याज की खेती करने वाले किसानों द्वारा प्याज की विभिन्न उन्नत प्रजातियों की खेती की जाती है, जिनमें पूना रेड, भीम रेड, भीमा सुपर, नासिक रेड, एन-53, पूसा रेड, पटना रेड, एग्रीफाउण्ड लाईट रेड, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, अर्का कल्याण, अर्का निकेतन, पूसा साध्वी, बसन्त किस्म की प्याज की किस्म रबी मौसम के लिए और खरीफ मौसम के लिए अर्को लालिमा, बसन्त, एग्रीफाउण्ड डार्क रेड, अर्का पीताम्बर, अर्का कीर्तिमान भीमा सुपर, पूसा वहाइट राउंड और भीम डार्क रेड किस्मों की खेती की जाती है। वहीं, भीमा शुभ्रा, भीमा श्रेव्ता, प्याज चयन-131, पूसा व्हाईट फ्लैट, पूसा राउंड फ़्लैट, उदयपुर 102, नासिक सफेद, सफेद ग्लोब, पूसा व्हाईट राउंड किस्म सफेद रंग की प्याज किस्में है। पीले रंग वाली प्याज प्रजातियों में अर्ली ग्रेनो और येलो ग्लोब, अर्का पीताम्बर, आई आई एच आर पिली, प्रमुख किस्में शामिल हैं।
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