देशभर में गेहूं की बुवाई अब जोर पकड़ने लगी है, जिसको देखते हुए कई राज्य सरकारों द्वारा अपने राज्य के लिए सब्सिडी वाले बीजों का आवंटन भी शुरू कर दिया है। फसलों की बुवाई में किसी प्रकार की कोई परेशानी किसानों को न हो इसके लिए सुचारू व्यवस्था स्थापित की जा रही है। खाद बीज वितरण केंद्रों की लगातार निगरानी कृषि अधिकारियों द्वारा की जा रही है, ताकि किसानों को नकली खाद और बीज का विक्रय नहीं हो सके। इन सबके बीच पंजाब के किसानों के लिए एक बड़ी खबर है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में 2024-25 सीजन के लिए किसानों को सब्सिडी वाला गेहूं का बीज नहीं मिलेगा। क्योंकि केंद्र सरकार पंजाब के छोटे और सीमांत किसानों को सब्सिडी वाले गेहूं के बीज उपलब्ध करने वाली योजना में बदलाव किया है। पंजाब में जिन किसानों के पास पांच एकड़ तक कृषि योग्य जमीन है, उन्हें केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना यानी RKVY के तहत गेहूं के बीज पर सब्सिडी नहीं मिलेगी। अब सरकार एक एकड़ भूमि के लिए किसानों को “कृषि उन्नति योजना” के तहत अनुदान पर गेहूं के बीज देगी। इससे राज्य में लाभार्थी किसानों की संख्या बढ़ेगी, क्योंकि पंजाब में 68 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान इस जोत वाले हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, माना जा रहा है कि सरकार की एक एकड़ वाली योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को मिलेगा, लेकिन कुछ किसानों के लिए गेहूं की खेती का खर्च बढ़ जाएगा। क्योंकि पांच एकड़ तक के छोटे और सीमांत किसानों को एक एकड़ के लिए सब्सिडी वाले बीज मिलेंगे। बाकी चार एकड़ के लिए उन्हें खुले बाजार से ऊंचे दामों पर बीज खरीदना पड़ेगा। गेहूं के बीज अभी खुले बाजार में 3,000 से 4,500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर उपलब्ध हैं। पिछले साल तक, सब्सिडी वाले बीज के लिए आवेदन करने वाले किसानों को अधिकतम दो-दो क्विंटल बीज, बाजार दर से एक हजार रुपये प्रति क्विंटल कम दाम पर उपलब्ध कराया जाता था। सब्सिडी पर दिए जाने वाले गेहूं बीज की कुल मात्रा पिछले वर्ष की तरह दो लाख क्विंटल ही रहेगी।
माना जा रहा है कि राज्य में जिन किसानों के पास एक एकड़ से अधिक जमीन है वे एक एकड़ के लिए हजार रुपए से कम रेट पर गेहूं का बीज खरीद पाएंगे। हालांकि एक एकड़ से अधिक खेत में बुवाई करने के लिए बाजार रेट पर उन्हें बीज खरीदना होगा। इस वर्ष पंजाब में 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की खेती की उम्मीद है, जिसके लिए 35 लाख क्विंटल गेहूं बीज की जरूरत है। इसमें से 2 लाख क्विंटल बीज ही सब्सिडी पर दिए जाएंगे और बाकी के 33 लाख क्विंटल बीज खुले बाजार भाव पर खरीदना होगा। बता दें कि यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना और राष्ट्रीय कृषि विकाष योजना के तहत चलाई जाती है। इसमें सब्सिडी का 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में इस सीजन में प्रमाणित गेहूं के बीजों की बिक्री में देरी हुई है क्योंकि केंद्र ने अपना हिस्सा जारी नहीं किया है। पिछले साल करीब दो लाख क्विंटल प्रमाणित गेहूं के बीज सब्सिडी पर उपलब्ध कराए गए थे। पंजाब को 2024-25 सीजन के लिए केंद्र की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) में शामिल नहीं किया गया है, लेकिन पिछले हफ्ते कृषि विभाग ने इस मुद्दे को केंद्र के सामने उठाया था। राज्य सरकार ने इसकी भरपाई के लिए वैकल्पिक योजना के लिए 12 करोड़ रुपए अलग रखने का फैसला किया है। इस पर केंद्र से 50 परसेंट सब्सिडी मिलने की उम्मीद है। अधिकारिक बयान में कहा गया है कि राज्य के "छोटी और सीमांत जोत वाले किसान अपने स्तर पर बीजों की संख्या बढ़ाएं। "
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य कृषि विभाग के अनुसार, राज्य में गेहूं की बुवाई अब जोर पकड़ने लगी है। 8.7 फीसदी क्षेत्र में बुवाई पूरी हो चुकी है। कृषि विभाग राज्य के अलग-अलग जिलों के लिए सब्सिडी वाले बीजों का आवंटन कर रहा है। हालांकि ज्यादातर किसानों ने खुले बाजार से बीज खरीदे हैं। आमतौर पर सब्सिडी वाले गेहूं बीज किसानों को अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से उपलब्ध कराए जाते हैं। लेकिन इस साल केंद्र की ओर से गेहूं के बीज पर सब्सिडी देने के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई। जिसके चलते बीज आवंटन करने में देरी हुई है।
पंजाब के कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने सब्सिडी वाले गेहूं के बीज देने की केंद्र की संशोधित योजना की पुष्टि करते हुए बताया कि केंद्र ने इस योजना को शुरू करने के लिए अपनी औपचारिक सहमति दे दी है। क्योंकि गेहूं की बुवाई पहले से ही चल रही है, इसलिए हम किसानों से बीज खरीदने के लिए कह रहे हैं, लेकिन बिल अपने पास रखें, जिससे एक एकड़ भूमि में उपयोग किए गए बीज की सब्सिडी उन्हें बाद में दी जा सके। पंजाब सरकार ने 2023-24 रबी सीजन के लिए प्रमाणित गेहूं के बीजों पर 50 परसेंट सब्सिडी की पेशकश की। पिछले साल, प्रति किसान अधिकतम पांच एकड़ (2 क्विंटल) तक के लिए सब्सिडी पर गेहूं के बीज उपलब्ध कराया गया। अनुसूचित जाति, लघु (2.5-5 एकड़) और सीमांत किसानों (2.5 एकड़ तक) को इसमें तरजीह दी गई थी।
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