Sugarcane Crushing Session : देश के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गेहूं फसल की बुवाई का काम चल रहा है। कई क्षेत्रों के किसानों द्वारा गेहूं की बिजाई का कार्य पूरा कर लिया गया है, तो हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे सूबे में गेहूं की बुवाई अब जोर पकड़ने लगी है। हालांकि, हरियाणा के कुछ क्षेत्रों के किसानों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। राज्य में गन्ने की पेराई में हो रही देरी से किसान परेशान है। किसानों का कहना है कि गन्ने की पेराई शुरू नहीं होने के कारण वह गेहूं की बिजाई समय से नहीं कर सकेंगे और देरी से बुवाई होने पर पैदावार भी प्रभावित होगी । दरसअल, इस वर्ष हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शाहाबाद सहकारी चीनी मिल में गन्ना पेराई सत्र (Sugarcane Crushing Session) अभी शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में गन्ना फसल के बाद गेहूं की बिजाई करने वाले किसानों ने चिंता जताई है। किसानों का कहना है कि नवंबर महीने के पहले सप्ताह में चीनी मिलों को शुरू कर देना चाहिए, जिससे उन्हें गेहूं फसल की बुआई के लिए खेत तैयार करने का पर्याप्त समय मिल सके। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, गेहूं की बुआई के लिए उपयुक्त समय 10 से 25 नवंबर तक का होता है।
गन्ना किसान हरकेश खानपुर का कहना है कि इस वर्ष गन्ने की फसल पर टॉप बोरर, पोक्का बोंग और रूट बोरर जैसे कीट-पतांगों का आक्रमण हुआ है। इससे कीटनाशकों और अन्य दूसरी दवाओं पर बहुत पैसा खर्च हुआ है, लेकिन परिणाम अच्छे नहीं आए हैं। गन्ने की उत्पादन लागत तो बढ़ी ही है, लेकिन उम्मीद के अनुसार, पैदावार भी कम हुई है। उन्होंने कहा, कीटनाशक भी समय पर नहीं मिल पाईं। ऐसे में चीनी मिलों को जल्द ही पेराई का काम शुरू कर देना चाहिए, जिससे किसान समय रहते अपने खेत खाली कर सकें, उत्पादन से पैसे कमा सकें और रबी सीजन की फसल गेहूं की समय से बुवाई कर सकें। बुआई में देरी होने से गेहूं की पैदावार भी कम होगी।
भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रवक्ता राकेश बैंस का कहना है कि गन्ने का रकबा कम हो रहा है और उत्पादन भी घटा है। गन्ना काटने के पश्चात किसान खाली खेतों में गेहूं फसल की बुवाई करते हैं, जिसके लिए उन्हें पैसे की आवश्यकता होती है। गन्ने की कटाई में देरी से गेहूं की खेती के लिए समय कम बचेगा, जबकि अन्य जिलों में चीनी मिलों ने गन्ना पेराई का काम करना आरंभ कर दिया है। भाकियू प्रवक्ता ने कहा कि चीनी मिलों के अधिकारियों के समक्ष यह मामला उठाया गया है और मांग की गई है समय पर मिले गन्ने की पेराई करना शुरू करें। हालांकि, राज्य के कई जिलों के गन्ना किसानों को खेत में ही सरकारी भाव (MSP) से भी अच्छे दाम पर गन्ने की हाथों–हाथ बिक्री हो रही है। खरीददार या व्यपारी अपने ट्रैक्टर, ट्राली या फिर रिक्शा लेकर खेतों में ही किसान के पास पहुंच जाते हैं और प्रति क्विंटल 450 से 500 रुपए गन्ना खरीद कर रहे हैं।
वर्ष 2022 में सहकारी चीनी मिलों ने गन्ना पेराई सत्र 15 नवंबर से शुरू कर दिया था, जबकि पिछले वर्ष बाढ़ के चलते गन्ने की पेराई सत्र थोड़ा लेट 23 नवंबर को शुरू हुआ था। वहीं, इस वर्ष 2024 में भी 15 नवंबर से गन्ना पेराई शुरू होने को कहा गया था, जो अभी शुरू नहीं हुआ है। इस बीच जिले के शाहाबाद सहकारी चीनी मिल (Sugar Mill) के प्रबंध निदेशक वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि फसल में गिरावट देखी जा रही है और गन्ना भी अभी पूरी तरह से पक नहीं पाया है। इसके अलावा गन्ने में बीमारियों की भी खबरें हैं। हालांकि कुल मिलाकर अभी स्थिति अच्छी है। इस वर्ष पेराई सीजन के लिए 62 लाख क्विंटल का लक्ष्य रखा गया है। शासन और प्रशासन की ओर से सभी आवश्यकत तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और 26 नवंबर के आसपास चीनी मिलें गन्ने की पेराई चालू कर देगी।
खरींडवा गांव के किसान रामचरण का कहना है कि गन्ना फसल कटाई के लिए तैयार है। इस साल उन्हें गन्ना में भारी नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि बार-बार दवाओं के छिड़काव की वजह से अतिरिक्त बोझ पड़ा है। अधिक लागत, कम मजदूरी और कम लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की वजह से किसानों ने इस क्षेत्र में गन्ने की फसल के रकबे में कमी करना शुरू कर दिया है। पहले वो 12 से 13 एकड़ में गन्ना फसल लगाते थे, लेकिन इस बार इस रकबे को घटाकर उन्होंने 10 एकड़ क्षेत्र कर दिया है। किसान रामचरण ने बताया कि वे अभी इसे और भी कम करने की सोच रहे हैं और इसके स्थान पर दूसरी फसलों की बुवाई करने की योजना तैयार कर रहे हैं।
हालांकि, हरियाणा की मुख्यमंत्री नायब सैनी सरकार प्रदेश में गन्ने के रकबे को बढ़ाने के लिए लगातार कार्यरत है। हरियाणा में किसान गन्ने की बड़े स्तर पर खेती करें, इसके लिए सरकार और कृषि विभाग द्वारा कई योजनाएं भी चलाई हुई है, जिनके तहत किसानों को गन्ने की खेती के अनुदान लाभ भी दिया जा रहा है। इनमें से एक योजना विशेष तौर पर गन्ने की बुवाई के प्रदर्शन प्लांट लगाने के लिए संचालित की जा रही है। इसके लिए सरकार किसानों को गन्ना की किस्म 15023 का रोपण तथा गन्ना किस्म 15023 को गन्ने की खेती के लिए बीज के रूप में बेचने के लिए 5 हजार रुपए पर प्रति एकड़ की दर से प्रदर्शन प्लांट लगाने के लिए यह अनुदान राशि देती है। किसानों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर गन्ने की फसल का पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण करवाने के बाद कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा की वेबसाइट www.agriharyana.gov.in में एग्री स्कीम गवर्नेंस लिंक पर अपना आवेदन ऑनलाइन 31 दिसंबर 2024 तक प्रस्तुत करना होगा।
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