Animal Husbandry Scheme Madhya Pradesh : देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ ही किसानों की आमदनी को बढ़ाने में पशुपालन एक महत्वपूर्ण जरिया है, ऐसे में सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाकर अधिक से अधिक किसानों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भी पशुपालन गतिविधियों पर खासा ध्यान दिया जा रहा है, ताकि प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके। ऐसे में मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री लखन पटेल ने कहा कि प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने में पशुपालन गतिविधियां विशेष योगदान दे रही है। मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना सहित कई अन्य विभागीय योजनाओं के तहत किसानों को कुक्कुट (मुर्गी) पालन, बकरी पालन, शूकर (सूअर) पालन और चरी / चारा उत्पादन जैसे विभिन्न कार्यों के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।
प्रदेश के पशुपालन राज्य मंत्री लखन पटेल ने पशुपालन संचालनालय के सभागार में विभाग की प्रदेश स्तरीय समीक्षा बैठक की। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि किसानों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करें। किसानों को मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना और राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत शासन की योजनाओं का पूरा लाभ दें। पशुपालन मंत्री ने विभागीय अधिकारी से कहा मुख्यमंत्री जन कल्याण अभियान के तहत पशुपालन शिविर लगाया जाए और पशुपालन योजनाओं के अधिक से अधिक प्रकरण स्वीकृत किए जाएं।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत किसानों को कुक्कुट पालन, बकरी पालन, शूकर पालन और चरी/चारा उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाएगा। पशुपालन मंत्री ने कहा, वर्तमान में एक यूनिट में 40 कुक्कुट प्रदाय किए जाते हैं, जिसे बढ़ाकर 100 कुक्कुट करने का प्रस्ताव केंद्र को भिजवाया जाएगा। बड़े शहरों में कड़कनाथ मुर्गें-मुर्गियों की मांग से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है। इसको देखते हुए महिला स्व-सहायता समूह को राष्ट्रीय पशुधन मिशन की गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। इस योजना अंतर्गत एसजीएस समूह को कुक्कुट पालन के लिए प्रेरित कर उन्हें कुक्कूट यूनिट प्रदाय किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों को बकरी और शूकर पालन के लिए भी राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत अनुदान दिया जा रहा है।
पशुपालन मंत्री पटेल ने कहा कि किसानों को चरी/चारा उत्पादन योजना के अंतर्गत किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा, जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। मंत्री ने बताया कि पशुओं के लिए पोषणयुक्त आहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किसानों को चरी और चारा उत्पादन की ओर प्रेरित किया जा रहा है। मक्के की चरी और नेपियर घास से तैयार किया जाने वाला साइलेज भूसे की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है। साइलेज के उपयोग से पशु में दूध उत्पादन में वृद्धि होती है और इसकी कीमत भी कम होती है।
पशुपालक किसानों को तुरंत चिकित्सा सुविधा देने के उद्देश्य से शुरू की गई चलित पशु चिकित्सा वाहन योजना अत्यधिक लोकप्रिय हुई है। विभाग की चलित पशु चिकित्सा वाहन योजना को किसानों ने हाथों-हाथ लिया है और बड़ी संख्या में अपने पशुओं का इलाज करवा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत प्रति 1 लाख पशुओं पर एक चिकित्सा वाहन तैनात किया गया है, जो कॉल सेंटर 1962 पर संचालित है। प्रदेश में 406 लाख पशुओं की आबादी है, जिन्हें चिकित्सा वाहनों से चिकित्सा सेवा दी जा रही है। पशुपालन मंत्री द्वारा समीक्षा के दौरान निर्देश दिए गए कि विभाग की चलित पशु चिकित्सा वाहनों का समुचित रखरखाव किया जाए, जिससे पशुपालकों को चिकित्सा सुविधा में काेई परेशानी न हो।
इस बैठक में प्रमुख सचिव पशुपालन उमराव ने कहा कि लंबित पशु बीमा के मामलों का तेजी से निराकरण किया जाएगा। अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि लंबित मामलों का बीमा कंपनियों से निरंतर संपर्क कर तेजी से निपटारा करा जाएं। यदि संबंधित बीमा कंपनियां बेवजह किसानों के दावों को रोकती हैं, तो उपभोक्ता फोरम में प्रकरण दर्ज कराएं। सभी किसानों को पशु बीमा की दावा राशि दिलाए जाने की जिम्मेदारी विभाग द्वारा उठाई गई है।
समीक्षा बैठक में पशुपालन मंत्री पटेल ने कहा कि पालतू और आवारा घूमने वाले पशुओं की पहचान के लिए यह आवश्यक है कि उनके टैग अलग-अलग रंग के हों। बैठक में गौशालाओं के संचालन और वहां की व्यवस्था को लेकर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के अंतर्गत निर्मित गौशालाओं में पशुओं के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए है। गौशालाओं में गोबर गैस संयंत्र लगाने का भी प्रस्ताव है, जिससे इसका लाभ गौशाला संचालक द्वारा उठाया जा सके। शासन पशुपालन विभाग द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र या संबंधित विभागीय कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। चलित पशु चिकित्सा वाहन सुविधा के लिए 1962 पर कॉल कर सकते हैं और पशु बीमा, कुक्कुट पालन, साइलेज उत्पादन और चारा उत्पादन की जानकारी भी विभागीय अधिकारियों से प्राप्त की जा सकती है।
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