Mukhyamantri Krishi Vidyut Sambandh Yojana : सिंचाई की बढ़ती समस्या के मद्देनजर राज्य सरकारों द्वारा कई योजनएं लागू की जा रही है। इनके अंतर्गत किसानों को सब्सिडी पर नलकूप (ट्यूवबेल) कनेक्शन के साथ नए कृषि पंप सेटों के लिए मुफ्त बिजली कनेक्शन भी दिए जा रहे हैं। इससे किसान कृषि पंपों के उपयोग से अपने खेतों की सिंचाई कर सके। इस कड़ी में बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी है। राज्य के किसानों को बिजली कनेक्शन पर सब्सिडी के साथ ही नए बिजली कनेक्शन देने के लिए बिहार सरकार द्वारा “मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना” चलाई जा रही है, जिसके तहत कृषि विभाग के द्वारा प्रतिवेदित राज्य में कृषि कार्य के लिए डीजल चलित कुल 7.20 लाख कृषि पम्प सेटों में से पूर्व की योजनाओं के अंतर्गत अब तक कुल 3 लाख 60 हजार लाख पंप सेटों को बिजली कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। राज्य सरकार द्वारा अब इस योजना के तहत किसानों को नए बिजली के कनेक्शन दिए जा रहे हैं। साथ ही सिंचाई लागत कम करने के लिए सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध करवाई जा रही है, ताकि किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए डीजल का उपयोग नहीं करना पड़े। आइए जानते है कि कृषि पंप के लिए मुफ्त बिजली कनेक्शन हेतु योजना में आवेदन कैसे करें?
राज्य सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई के लिए कृषि विद्युत कनेक्शन देने के लिए मुख्यमंत्री कृषि विद्यूत (Mukhyamantri Krishi Vidyut Sambandh Yojana) योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत किसानों को पंप सेट के लिए नए बिजली के कनेक्शन दिए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त सिंचाई में बहुत कम लागत आए इसके लिए सस्ती दरों पर बिजली आपूर्ति भी की जाती है। बिहार सरकार इस राज्य योजना के अंतर्गत अब शेष 3.60 लाख पंप सेटों के अतिरिक्त 1 लाख 20 हजार नए कृषि पंप सेटों का आंकलन करते हुए कुल 4 लाख 80 हजार कृषि पंप सेटों का बिजली कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। इस तरह मुफ्त बिजली कनेक्शन (Free electricity connection) योजना के तहत 4 लाख 80 हजार पम्प सेटों में से 1.50 लाख किसानों को वर्तमान वर्ष 2024-25 में बिजली कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से अब तक कुल 1 लाख किसानों को कृषि पंप बिजली कनेक्शन दिया जा चुका है।
इस योजना के तहत शेष 50 हजार कृषि पम्प सेटों को अगले साल मार्च 2025 तक बिजली कनेक्शन दिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 तक शेष 1.50 लाख और सितंबर 2026 तक शेष 1.80 लाख लक्षित किसानों को पंप सेटों के लिए नि:शुल्क कृषि विद्युत संबंध प्रदान कर दिया जाएगा। इससे किसान बेहद ही कम कीमत पर खेतों में सिंचाई कर सकते हैं, उन्हें डीजल का उपयोग भी नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि डीजल के उपयोग से फसल की सिंचाई करने में बहुत ज्यादा खर्च होता है। इसलिए बिहार सरकार इलेक्ट्रॉनिक नलकूप की सुविधा किसानों को दे रही है। बिहार कृषि विभाग द्वारा किसानों से अपील किया गया है, कि वे अपने पंप सेट अधिष्ठापन के स्थल के संबंध में पूरा पता आवेदन के साथ दें ताकि सही स्थान पर बिजली कनेक्शन समय पर दिया जा सके। राज्य सरकार द्वारा कृषि के लिए बिजली बिल में सब्सिडी दिये जाने के बाद डीजल की तुलना में कृषि पटवन कार्य अब किसानों को 10 गुना से भी अधिक सस्ता पड़ता है।
मुख्यमंत्री कृषि विद्यूत योजना (Mukhyamantri Krishi Vidyut Sambandh Yojana) के तहत किसानों को कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली कनेक्शन दिए जाते है। इसके लिए किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। हांलाकि, योजना में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन करते हैं तो आपको सिंगल फेज कैटेगरी के आवेदन शुल्क 75 रुपए, अधिष्ठापन शुल्क 400 और प्रतिभूति शुल्क प्रति एचपी 400 का भुगतान करना होता है, जबकि, 3 फेज कनेक्शन के लिए 200 रुपए आवेदन शुल्क, अधिष्ठापन शुल्क 900 और प्रतिभूति शुल्क प्रति एचपी 400 रुपए का भुगतान आवेदन के दौरान करना होता है। कृषि विभाग द्वारा किसानों से अनुरोध किया गया है कि किसान अपने पम्पसेट अधिष्ठापन के स्थल के संबंध में पूरा पता आवेदन के साथ दें, जिससे सही स्थान पर बिजली कनेक्शन समय पर दिया जा सके।
किसान अपनी जरूरत के अनुसार 3 फेज या सिंगल फेज कनेक्शन ले सकते हैं। मुख्यमंत्री कृषि विद्यूत योजना के अंतर्गत बिहार का कोई भी किसान लाभ उठा सकता है। किसान जिनके पास खेती करने के लिए खुद की जमीन होनी चाहिए। जिनके पास पहले से कोई बिजली कनेक्शन नहीं है वह इसमें आवेदन कर सकते हैं। किराए पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसान भी इस योजना के अंतर्गत लाभ उठा सकते हैं। इच्छुक किसान जो कृषि विद्युत संबंध योजना के अंतर्गत लाभ उठाना चाहते हैं वे सुविधा एप, वितरण कंपनी के पोर्टल अथवा स्थानीय कार्यलयों में आवेदन करते हैं। आवेदन के दौरान किसानों को मात्र पहचान दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस के साथ जमीन संबंधित कागजात ही देना होगा। राज्य सरकार द्वारा सिंचाई के लिए बिजली बिल में सब्सिडी दिए जाने के बाद डीजल की तुलना में कृषि पटवन कार्य अब किसानों को दस गुना से भी अधिक सस्ता पड़ता है।
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