Agricultural Road Map : कृषि बाजारों में सुधार करने के लिए केंद्र सरकार ने क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) शुरू किया हुआ है। इस कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने और भारतीय उपज को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए क्लस्टर खेती (Cluster Farming) को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बिहार में गत वर्ष से ही चौथा कृषि रोड मैप (Agricultural Road Map) कार्यरत है, जिसके तहत बागवानी फसलों (Horticultural Crops) में क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण से उत्पादन, कटाई के बाद प्रबंधन, विपणन और फसलों की ब्रांडिंग सुविधा के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही क्षेत्र में कृषि गतिविधियों का स्तर बढ़ाने के लिए आर्थिक सहायता (Financial assistance) भी प्रदान की जा रही है, जिससे कार्यक्रम का सफल क्रियान्वयन किया जा सके।
चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत राज्य में “बागवानी मिशन योजना“ का आरंभ किया गया है। इसके तहत क्लस्टर में फूलों की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने के लिए चतुर्थ कृषि रोड मैप में बागवानी योजना के अन्तर्गत प्रावधान किया गया है। क्लस्टर में खेती के लिए चयनित फसल का क्लस्टर निर्माण एक राजस्व ग्राम में 25 एकड़ या उससे अधिक के क्षेत्र में विस्तार किया जाएगा। इसमें एक कृषक को अधिकतम दस एकड़ और कम से कम 0.25 एकड़ में खेती करने के लिए सब्सिडी देय होगी। मिशन के तहत अनुदान के लिए 1 लाख रुपए प्रति एकड़ तक का प्रावधान है, जबकि स्ट्रॉबेरी और ड्रैगन फ्रूट के लिए 2 लाख रुपए प्रति एकड़ अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। संबंधित जानकारी राज्य के कृषि सचिव संजय अग्रवाल द्वारा दी गई।
राज्य के कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा पटना जिले के विभिन्न प्रखंडों का निरीक्षण दौरा किया गया है। इस दौरान उन्होंने जिला के विभिन्न प्रखंडों में किसानों द्वारा बागवानी के क्षेत्र में नए तकनीकों से आंवला, नींबू, अमरूद, पपीता फलों के क्लस्टर में खेती करने हेतु सुझाव दिया। उन्होंने कहा, किसान क्लस्टर में फलों की खेती कर रहे हैं और इन उपायों को अपनाकर इससे अच्छी उपज भी ले रहे है। क्लस्टर में फलों की बेहतर पैदावार को देखते हुए किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए उद्यान निदेशालय, बिहार सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए राज्य योजना मद से कलस्टर में बागवानी योजना लागू किया है। इस घटक के तहत चयनित फसल अमरूद, आंवला, नींबू, बेल, लेमनग्रास, पपीता, गेंदा फूल, ड्रैगन फ्रूट एवं स्ट्रॉबेरी फसलों की क्लस्टर खेती के लिए किसानों को आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया गया है।
कृषि सचिव ने बताया कि क्लस्टर में बागवानी की योजना का लाभ न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हे०) तथा अधिकतम 10 एकड़ (4 हे०) के लिए देय होगा। क्लस्टर निर्माण हेतु चयनित फसल अमरूद, आंवला, नींबू, बेल, लेमनग्रास, पपीता एवं गेंदा फूल के लिए अधिकतम अनुदान की राशि एक लाख रपए प्रति एकड़ होगी, जबकि ड्रैगन फ्रूट एवं स्ट्राबेरी के लिए अनुदान की राशि अधिकतम दो लाख रूपए प्रति एकड़ होगी, जिसमें पौध सामग्री सम्मिलित है। चयनित फसल के लिए सहायतानुदान की राशि दो किस्तों (65:35) में किसानों को देय होगी। गेंदा फूल, स्ट्रॉबेरी तथा पपीता के क्षेत्र विस्तार का लाभ गैर रैयत को भी दिया जायेगा, जिसके लिए उन्हें एकरारनामा उप स्थापित करना अनिवार्य होगा। एकरारनामा का प्रारूप दिए गए लिंक https://horticulture.bihar.gov.in/HORTMIS/AreaExpansionStateScheme/Documents/SchemeDocuments/Ekrarnama.pdf पर उपलब्ध है,जिसे आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।
कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि राज्य योजना मद से क्लस्टर में बागवानी की योजना (2024-25) हेतु ऑनलाईन आवेदन फॉर्म आमंत्रित किए गए हैं। जो किसान घटक के अधीन चयनित फसल अमरूद, आंवला, नींबू, बेल, लेमनग्रास, पपीता, गेंदा फूल, ड्रैगन फ्रूट एवं स्ट्रॉबेरी की क्लस्टर खेती पर अनुदान लाभ लेना चाहते है, तो वे डीबीटी पोर्टल पर अपना पंजीयन कराकर बागवानी मिशन योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के बारे में अधिक जानकारी किसान विभागीय वेबसाइट से हासिल कर सकते हैं। योजना में ऑनलाइन आवेदन में आवेदक द्वारा अपलोड किए गए भूमि-स्वामित्व प्रमाण-पत्र/ राजस्व रसीद/एकरारनामा में किसी भी प्रकार की त्रुटि पाए जाने पर आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा और आवेदन रद्द करने का कारण ऑनलाईन पोर्टल में दर्ज किया जाएगा। लाभुकों का चयन नियमानुसार श्रेणी वार 78.56 : 20.00 : 1.44 के अनुपात में किया जाएगा। सभी श्रेणियों में न्यूनतम 30 प्रतिशत महिला कृषकों के चयन को प्राथमिकता दी जायेगी। इच्छुक किसान आवेदन करने से पूर्व डीबीटी (DBT) में पंजीकृत बैंक खाता संबंधित विवरण की अनिवार्य रूप से जांच स्वयं कर लें। योजना के नियमानुसार अनुदान DBT कार्यक्रम के तहत CFMS द्वारा भुगतान किया जाएगा।
संजय अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने कई किसानों के खेतों में जाकर इसका निरीक्षण किया। जिला के बिहटा प्रखंड के सिकन्दरपुर गांव में किसान बिरेन्द्र प्रसाद एवं राजीव रंजन वर्मा द्वारा क्लस्टर में लगाए गए पपीता और खीरा की खेती का निरीक्षण किया। राज्य कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ लेकर इन किसानों ने क्लस्टर निर्माण किया है। इस दौरान उन्होंने किसानों को कई सुझाव भी दिए। उन्होंने किसानों को पपीता की दो पंक्तियों के बीच खाली जगह में ओल, हल्दी, अदरख, मूली फसलों की खेती लगाकर सदुपयोग करने का सुझाव दिया। 24 एकड़ में लगे पपीता एवं खीरा के फसल में कीटनाशी के छिड़काव के लिए ड्रोन के इस्तेमाल के लिए सुझाव दिया।
कृषि सचिव ने इस दौरान कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक को निर्देश दिया कि किसानों के पपीता और खीरा के खेतों में ड्रोन से छिड़काव करने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा ड्रोन से कीटनाशी दवा के छिड़काव कम समय में अधिक प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है। ड्रोन के उपयोग से खेती की लागत में कमी आएगी। इसके बाद सचिव ने दुल्हिन बाजार प्रखण्ड के भिमानीचक गांव में गेन्दा फूल की खेती का भी निरीक्षण किया। किसानों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि गेंदा फूल के पौधे उन्हें कोलकाता से मंगाने पड़ते हैं। इसके कारण खेती में उनकी लागत बढ़ जाती है। इस पर सचिव ने निर्देश दिया कि किसानों के समूह बनाए जाएं और पौधा उत्पादन की ट्रेनिंग करने के लिए किसानों को कोलकाता भेजा जाए। इसके अलावा, किसानों को पॉली हाउस में फूल की खेती करने का सुझाव दिया।
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