देश के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जाता है। सरकार द्वारा इन योजनाओं के तहत आधुनिक कृषि यंत्रों एवं सिंचाई यंत्रों पर अनुदान दिया जाता है, ताकि अधिक से अधिक किसान सिंचाई के लिए यंत्रों का उपयोग कर सकें। ऐसे ही अनुदानित रेट पर किसान सिंचाई के विभिन्न यंत्र खरीद सके, इसके लिए उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर ड्रॉप मोर क्रॉप के लिए जिलेवार लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। राज्य उद्यानिकी विभाग द्वारा लागू की इस योजना में किसानों को ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर और रेनगन, पोर्टेबल स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्रों की खरीद करने पर 65 प्रतिशत से 90 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। इस योजना से किसानों को सिंचाई की समस्या में भी बहुत लाभ मिलेगा। कम पानी में फसल की अच्छी सिंचाई होगी, जिससे सिंचाई में आने वाली लागत में कमी होगी। फसल की उर्वरक क्षमता बढ़ेगी और उसका उत्पादन अधिक होगा।
लगातार नीचे जा रहे भूमिगत जलस्तर को रोकने के लिए सरकार द्वारा सूक्ष्म सिंचाई पद्धति को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई (पर ड्राप मोर क्रॉप) योजना के अंतर्गत ड्रिप, स्प्रिंकलर एवं पोर्टेबल सिस्टम पर अनुदान भी दिया जा रहा है। पीएमकेएसवाई योजना (पर ड्रॉप मोर क्रॉप) में ड्रिप व मिनी स्प्रिंकलर पर लघु, सीमांत किसानों को लागत का 90 प्रतिशत एवं सामान्य किसान (2 हेक्टेयर से अधिक जोत वाले) को 80 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। इस तरह पोर्टेबल स्प्रिंकलर सिस्टम एवं रेनगन सिंचाई यंत्र पर लघु और सीमांत किसानों को 75 प्रतिशत व अन्य किसानों को 65 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। किसानों द्वारा यंत्र की खरीदरी करने के बाद सरकार की ओर से जारी अनुदान राशि सीधे उनके बैंक खाते में दी जाएगी।
किसान जिला उद्यान कार्यालय में जाकर संबंधित अधिकारी से संपर्क कर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पर ड्रॉप मोर क्रॉप) में सीधे आवेदन करके योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा, किसान अपने आधार कार्ड, खतौनी व बैंक पासबुक जैसे दस्तावेज की छायाप्रति के साथ उद्यानिकी विभाग ऑफिशियल वेबसाइट uphorticulture.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसान इस योजना से जुड़ी अधिक जानकारी इस लिंक पर चेक कर सकते हैं। योजना के तहत आवेदन करने वाले किसानों का चयन पहले आवक और पहले पावक के आधार पर किया जाएगा। आवेदन करने वाले किसानों के पास स्वयं की कृषि योग्य भूमि व निजी सिंचाई सुविधा का होना अनिवार्य है।
इस योजना का लाभ लेकर किसान 60 से 90 प्रतिशत तक के अनुदान ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्र ले सकते हैं। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई की एक प्रणाली है, जिसमें पौधों को उनके अनुसार पानी दिया जा सकता है। इन सिंचाई यंत्रों से पौधे को उसके मानक के अनुसार पानी मिलता है और उसकी जड़ों तक पानी जाता है, जिससे फसलों की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और फसल का उत्पादन भी अच्छा होता है। भूमिगत जलस्तर को रोकने एवं जल संचयन के सूक्ष्म सिंचाई यंत्रों से सिंचाई करना उपयुक्त है। किसान ड्रिप व स्प्रिंकलर प्रणाली का प्रयोग करके सिंचाई करते हैं, तो उनकी मेहनत और लागत दोनों ही बचेगी। अगत 50 हजार रुपए तक की लागत पर ड्रिप स्प्रिंकलर किसानों ने लिया तो उससे लगभग एक एकड़ क्षेत्र की सिंचाई आराम से हो सकेगी। अगर इससे महंगी ड्रिप और स्प्रिंकलर यंत्र लिया है, तो करीब दो एकड़ तक की सिंचाई एक बार में हो सकेगी।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली (Drip irrigation system) में भूमि के नीचे चलने वाली ट्यूबिंग (पाईप लाईन) में छोटे-छोटे छिद्र (छेद) होते हैं] जिनसे पौधों की जड़ों के ठीक ऊपर बूंद-बूंद पानी की आपूर्ति होती है। इस सिंचाई विधि में पानी और पोषक तत्व कम मात्रा में और बार-बार दिए जाते हैं, जिससे पौधे को जरूरत के अनुसार पानी और उर्वरक मात्रा मिलती रहती है। इससे पौधों का विकास बढ़िया होता है और फसल से ज़्यादा उपज मिलती है। ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत होती है। इससे पौधों की देखरेख में कम खर्च आता है और फसल में रोग कम लगते हैं। ड्रिप सिंचाई से उबड़-खाबड़ ज़मीन में भी आसानी से सिंचाई की जा सकती है, इसके लिए प्रेशर कॉम्पेनसेटिंग ड्रिपर्स लगाने की सलाह दी जाती है।
स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम में जमीन में धंसी हुई पाईल लाईन यानी ट्यूबिंग होती है। इसके ऊपर सिर पर स्प्रिंकलर (फव्वारा सेट) लगे होता है, जो पानी का छिड़कवा करता है। स्प्रिंकलर सिंचाई से खेत में पानी की बौछार की जाती है। इस सिंचाई में 80 से 85 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल होता है। मिनी स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम विश्वसनीय और टिकाऊ मानी जाती है। ऐसे में ड्रिप और स्प्रिंकलर से पौधे को उसके मानक के अनुसार पानी मिलता है और उसकी जड़ों तक पानी जाता है।
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