Drip Irrigation : देश के कई राज्य इन दिनों जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे कृषि उत्पादक राज्य में बीते कुछ सालों से भूमिगत जल स्तर (Ground water level) तेजी से नीचे गिरता जा रहा है, जिसके कारण यहां के किसानों को खेती के लिए पर्याप्त जल नहीं मिल पा रहा है। वहीं, फसलों की सिंचाई की पारंपरिक पद्धति ने इन राज्यों में इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। जल संकट की इस समस्या से निपटने के लिए राज्यों की सरकारों द्वारा किसानों को कम पानी में पैदावार देने वाली फसलों की शुष्क खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
साथ ही कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए जल की आपूर्ति हेतु माइक्रो इरिगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) यंत्रों एवं सहायक उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा भी दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सरकार द्वारा भारी सब्सिडी का लाभ भी दिया जाता है। ऐसे में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति में ड्रिप इरिगेशन तकनीक किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। सिंचाई की यह तकनीक ना सिर्फ पानी और उपज को बर्बाद होने से बचाती है, बल्कि उत्पादकता भी बढ़ाती है।
खास बात यह है कि इस सिंचाई तकनीक के उपयोग हेतु किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें मिलकर किसानों को 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है। इसके लिए अलग-अलग राज्य की सरकारें अलग-अलग योजनाओं के तहत लक्ष्य जारी कर किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करती है। ऐसे में किसान अपने राज्य के कृषि विभाग की वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, ड्रिप सिंचाई तकनीक (Drip Irrigation) के लाभ के लिए कुछ निर्धारित शर्तों को पूरा करना होता है, जिसकी जानकारी इस पोस्ट में दी जा रही है। आइए संबंधित जानकारी के बारे में जानते हैं।
भारत सरकार द्वारा संचालित “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” (पीएमकेएसवाई) के तहत देश में किसानों को सूक्ष्म सिंचाई तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा स्प्रिंकलर सेट, पाईप लाईन सेट, रेनगन और ड्रिप सिंचाई तकनीक प्रणाली की लागत पर किसानों को अनुदान दिया जाता है। पीएमकेएसवाई (PMKSY) योजना को वर्ष 2015-16 के दौरान खेत में पानी की भौतिक पहुंच बढ़ाने और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करने, खेत में पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार करने, स्थायी जल संरक्षण प्रथाओं को शुरू करने के मकसद से लागू किया गया था। पीएम कृषि सिंचाई योजना (PM Agricultural Irrigation Scheme) के प्रमुख दो घटक, त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP) और हर खेत को पानी (HKKP) के अंतर्गत राज्य सरकारें परियोजनाओं को लागू कर अपने किसानों को सूक्ष्म सिंचाई साधनों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहन देती है। इसके लिए प्रत्येक राज्य सरकार अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग प्रावधान कर सब्सिडी लाभ किसानों को देती है।
कृषि क्षेत्रों में फसलों की सिंचाई के लिए जल की पूर्ति करने और कम पानी में अधिक उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा पीएमकेएसवाई योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके तहत बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे अन्य कृषि उत्पादक राज्यों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सीमांत और लघु किसान वर्ग, महिला किसान और सामान्य वर्गों के किसानों को जोत श्रेणी के अनुसार ड्रिप सिंचाई तकनीक पर 90 प्रतिशत की सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप सिंचाई तकनीक का लाभ उठाने के लिए हर राज्य में कृषि विभाग राज्य सरकार द्वारा किसानों से आवेदन मांगे जाते हैं। अगर आप किसान हैं और अपने खेतों में ड्रिप सिंचाई सिस्टम इंस्टॉल करना चाहते हैं, तो आपको इस पर तकरीबन 90 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी। इस सिंचाई तकनीक इंस्टॉलेशन में पाईप लाइन, ड्रिप सिंचाई वॉल्वस, ट्यूब्स और एमीटर्स इत्यादि सहायक सामग्री की आवश्यकता होगी।
देश के छोटे और सीमांत किसान जिनके पास ढाई एकड़ सूखी भूमि या फिर डेढ़ एकड़ तक सिंचित भूमि है वे ड्रिप सिंचाई पर 90 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए अपने राज्य के कृषि विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट कर आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में सहायक निदेशक से संपर्क कर सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। पीएमकेएसवाई योजना के अंतर्गत जिन किसानों के पास 5 एकड़ तक की सूखी जमीन या फिर ढाई एकड़ तक की गीली जमीन है ऐसे सभी किसानों को सीमांत और लघु किसान श्रेणी में रखकर उन्हें ड्रिप सिंचाई तकनीक पर सब्सिडी का लाभ दिया जाता है। अनुदान का प्रतिशत हर राज्य में अलग-अलग हो सकता है। वहीं, ऐसे किसान जिनके पास पांच एकड़ से अधिक की सूखी जमीन हो या फिर ढाई एकड़ से अधिक की गीली जमीन हो, उन्हें सामान्य किसान मानते हुए 60 से 80 फीसदी तक की सब्सिडी ड्रिप सिंचाई के लिए प्रदान की जाती है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत राज्य की सरकारें ड्रिप सिंचाई प्रणाली और सहायक सामग्री की लागत पर अलग-अलग अनुदान प्रतिशत किसानों को देती है। इस सिंचाई सिस्टम से खेत में लगने वाले हर पौधे को सीधा पानी उसकी जड़ों तक मिलता है। इस तकनीक से सिंचाई करने से भूमि में नमी बनी रहती है, जिससे पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
किसान इस सिस्टम से कम पानी में अधिक क्षेत्र में फसलों की सिंचाई कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का उपयोग किसान आम, केला, अनानास, लीची, अमरूद, अनार, पपीता, गन्ना, लत्तादार सब्जी फसल, और ड्रैगन फ्रूट्स की खेती में कर सकते हैं। ग्रीन हाउस खेती, घरों के बगीचों, पॉलीहाउस, शेड नेट फार्मिंग में भी इस सिंचाई तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है। बड़ी ड्रिप सिंचाई में फिल्टर्स लगे होते हैं जो छोटे एमीटर के बहाव के रास्ते में पानी से पैदा होने वाले ऐसे पदार्थों को रोकता है जो अवरोध पैदा कर सकते हैं। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से किसान फसलों की सिंचाई में 50-70 प्रतिशत तक पानी की बचत करते हुए खेती में 50 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं।
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