ट्रैक्टर समाचार सरकारी योजना समाचार कृषि समाचार कृषि मशीनरी समाचार मौसम समाचार कृषि व्यापार समाचार सामाजिक समाचार सक्सेस स्टोरी समाचार

Farming advisory :किसान अभी शुरू कर सकते हैं इन सब्जी फसलों की बुवाई

Farming advisory :किसान अभी शुरू कर सकते हैं इन सब्जी फसलों की बुवाई
पोस्ट -31 मार्च 2024 शेयर पोस्ट

ग्रीष्मकालीन खेती : किसान अभी शुरू कर सकते हैं मौसम आधारित इन फसलों की खेती, जानें पूरी जानकारी

Summer Farming : देश के अधिकांश क्षेत्रों में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं पककर तैयार है, जिसकी अप्रैल में कटाई शुरू हो जाएगी। ऐसे में राज्य सरकारों द्वारा किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए एक अप्रैल से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीद भी शुरू कर दी जाएगी। इन सब के बीच, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली पूसा ने ग्रीष्मकालीन फसलों (summer crops) की खेती ( Farming) हेतु किसानों के लिए कुछ विशेष सलाह जारी की है। 

New Holland Tractor

संस्थान ने किसानों को सलाह दी है कि वे गेहूं की कटाई के बाद खाली पडे़ अपने खेतों में विभिन्न दलहन और सब्जी फसलों की ग्रीष्मकालीन खेती (Summer Farming) कर अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं तथा पूसा ने अपने साप्ताहिक मौसम पर आधारित सलाह में बताया है कि इन दिनों मौसम में तेजी से बदलाव दिखाई दे रहा है, जिससे राजधानी दिल्ली एवं इसके आसपास के राज्यों में तेज हवाओं के साथ बारिश और ओलावृष्टि की गतिविधियां देखी जा सकती है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी कटी हुई फसलों को सुरक्षित करने के लिए ढककर रखें और जो किसान अपने खाली खेतों में ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती करना चाहते हैं वे फसल की बुवाई और तैयारी शुरू कर सकते हैं।

मौसम आधारित इन फसलों की कर सकते हैं बुवाई 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) - पूसा, नई दिल्ली द्वारा जारी सलाह में कहा गया है कि इन क्षेत्रों के किसान अभी अपने खाली खेतों में ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई के साथ ही फ्रेंच बीन, सब्जी लोबिया, चौलाई, भिंडी, लौकी, खीरा, मूली, मक्का आदि मौसम आधारित फसलों की बुआई शुरू कर सकते है तथा खेत में लगी फसलों में लगने वाले कीट-रोगों से बचाने के लिए आवश्यक कार्य कर सकते हैं।

बता दें कि अप्रैल में गेहूं की कटाई होने बाद जून-जुलाई (मानसून के मौसम) में खरीफ फसलों की खेती किसानों द्वारा की जाती है। खरीफ फसलों में धान, मक्का, बाजरा (अनाज), तिलहन में मूंगफली, सोयाबीन, तिल, दलहन में चना, मूंग दाल, अरहर, मोठ, ग्वारफली, कुलथी और वाणिज्यिक फसलों में कपास, गन्ना, मसाले, सब्जियां और फल आदि फसलों की बुवाई की जाती है। ऐसे में अप्रैल से मानसून सीजन तक के बीच किसान अपने खाली खेतों में ग्रीष्मकालीन सब्जी और दलहन फसलों की खेती की बुवाई की तैयारी कर सकते हैं।

इन सब्जी फसलों की बुआई के लिए मौसम अनुकूल

पूसा संस्थान नई दिल्ली द्वारा जारी सलाह (एडवाइजरी) में कहा है कि जो किसान ग्रीष्मकालीन खेती में सब्जी फसलों की बुवाई करना चाहते हैं वे अभी के मौसम में फ्रेंच बीन की पूसा पार्वती, कोंटेनडर, लोबिया के लिए पूसा कोमल, पूसा सुकोमल, चौलाई के लिए पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई, भिंडी में ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई कर सकते हैं तथा लौकी की खेती के लिए पूसा नवीन, पूसा संदेश, खीरा हेतु पूसा उदय, तुरई में पूसा स्नेह, गर्मी के मौसम वाली मूली की खेती हेतु पूसा चेतकी किस्म की सीधी बुआई और खेती की तैयारी शुरू कर सकते हैं। अभी इन  फसलों की बुआई के लिए संस्थान ने मौसम और तापमान को अनुकूल बताया है। इसके साथ ही संस्थान ने सलाह दी है कि उन्नत किस्म के बीजों को प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें, साथ ही बुआई के समय खेत में आवश्यक नमी को बनाकर रखने के लिए किसानों को कहा है।

ग्रीष्मकालीन मूंग के लिए इन किस्मों की करें बुवाई

पूसा संस्थान (नई दिल्ली) ने किसानों को इस समय ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करने की सलाह दी है। संस्थान ने कहा है कि किसान इस समय मूंग की खेती के लिए पूसा रत्ना, पूसा वैसाखी, पूसा विशाल, पूसा- 5931, पी.डी.एम-11, एस.एम.एल- 32, एस.एम.एल.- 668, सम्राट आदि उन्नत किस्मों के बीजों की बुआई अभी कर सकते हैं। ये सभी मूंग की अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्में है। संस्थान ने किसानों को बुआई से पहले बीजों को राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से बीजोपचार करने की सलाह दी है और किसानों को बुआई के समय खेत में आवश्यक नमी हो, इस बात का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, किसान इस समय मक्का चारे में अफरीकन टाल प्रजाति और लोबिया की बुवाई कर सकते है तथा इस तापमान में बेबी कॉर्न के लिए एच.एम,-4 प्रजाति की बुवाई कर सकते हैं।  

कीट-रोगों से बचाव के लिए किसान करें ये उपाय

पूसा ने कहा है कि अभी मौसम में बदलाव के कारण किसानों की मटर, टमाटर, बैंगन एवं चना फसलों में फलों/ फल्लियों को फल छेदक/फली छेदक कीट आदि का प्रकोप देखा जा सकता है। इसके बचाव के लिए किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाए और कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर भूमि में दबा दें तथा फल छेदक कीट की निगरानी के लिए 2 से 3 फिरोमोन प्रपंच प्रति एकड़ की दर से लगाएं। इसके अलावा, बी.टी. 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। अगर कीट की संख्या अधिक हो तो 15 दिन के पश्चात स्पिनोसैड कीटनाशी 48 ई.सी. 1 मि.ली. प्रति 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। बेलवाली सब्जियों व पछेती मटर में चूर्णिल आसिता रोग से फसल बचाव के लिए कार्बेन्डाज़िम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। इस तापमान पर समय से बोयी गई बीज वाली प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करें और रोग के लक्षण दिखाई देने पर आवश्यकतानुसार डाईथेन एम-45 2 ग्रा. प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव करें। आम तथा नींबू में फूल आने के दौरान सिंचाई ना करें। साथ ही मिलीबग एवं होपर कीट की निगरानी करने के लिए कहा गया है।

Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y

Call Back Button

क्विक लिंक

लोकप्रिय ट्रैक्टर ब्रांड

सर्वाधिक खोजे गए ट्रैक्टर