Paddy farming : धान उत्पादक प्रमुख राज्यों में मानसून की कम बारिश ने राज्य सरकारों और किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है। पंजाब, हरियाणा, बिहार व झारंखड जैसे धान उत्पादक राज्यों में 28 जुलाई तक कम बारिश के कारण धान का रकबा पिछले साल की तुलना में कम है यानी किसानों ने कम भूमि पर धान की बुवाई की है। जिन इलाकों में धान की फसल मानसून की बारिश पर निर्भर है, वहां पर किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं, वहीं जिन इलाकों में सिंचाई के साधन मौजूद हैं, वहां किसान सिंचाई करके धान फसलों की बुवाई कर रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने धान किसानों की समस्या को समझते हुए डीजल सब्सिडी का ऐलान किया है। किसान डीजल सब्सिडी का लाभ उठाकर खेती की लागत को कम कर सकते हैं। ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में डीजल सब्सिडी योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं।
धान उत्पादक प्रमुख राज्यों में बिहार भी शामिल है। इस साल बिहार में अब तक कम बारिश हुई है और राज्य सूखे की ओर बढ़ रहा है। केवल 8 जिलों में अच्छी बारिश हुई है। राज्य में अब तक सामान्य से 32 फीसदी कम बारिश हुई है। सामान्यत: इस अवधि के दौरान 462.9 एमएम बारिश होती है लेकिन इस साल 314.3 एमएम बारिश हुई है। कम बारिश से धान सहित अन्य खरीफ फसलों की बुवाई प्रभावित हुई है। राज्य में इस खरीफ सीजन में 36 लाख 60 हजार 973 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य है। लक्ष्य के मुकाबले आधे से कम रकबे में धान की बुवाई हुई है जो 17 लाख 03 हजार 802 हेक्टेयर है। वहीं मक्का की खेती का रकबा भी घटा है। राज्य सरकार ने मक्का की खेती का लक्ष्य 2,93,887 हेक्टेयर तय किया है जबकि बुवाई 1,92,018 हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है।
बिहार के अधिकांश जिले सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं। यदि आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो किसानों के सामने गंभीर परिणाम सामने आएंगे। किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए सिंचाई का सहारा ले रहे हैं जिससे उनकी खेती की लागत बढ़ रही है। बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडेय के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु में परिवर्तन हो रहा है जिसका सबसे अधिक प्रभाव खेती पर पड़ रहा है। कृषि मंत्री ने कहा राज्य के किसानों को इस संकट की घड़ी से बाहर निकालने के लिए सरकार उनके साथ है। मुख्यमंत्री ने किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने व डीजल सब्सिडी योजना चलाने के निर्देश दिए हैं।
धान उत्पादक किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए डीजल की कमी न हो, इसके लिए राज्य सरकार ने डीजल पर अनुदान देने का फैसला किया है। डीजल पर अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अगर किसान खरीफ फसलों की सिंचाई में डीजल पंप सेट का उपयोग करता है तो उसे प्रति एकड़ सिंचाई के लिए 10 लीटर डीजल पर सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना में किसानों को 75 रुपए प्रति लीटर की दर से डीजल मिलेगा जबकि बिहार में डीजल का बाजार भाव 92.97 रुपए है। धान का बूचड़ा व जूट फसल की अधिकतम 2 सिंचाई के लिए 1500 रुपए प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी दी जाएगी। वहीं धान, मक्का सहित खरीफ फसलों में शामिल दलहन, तिलहन, मौसमी सब्जी, औषधीय व सुगंधित पौधे की अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 2275 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। किसान अधिकतम 8 एकड़ जमीन पर सिंचाई के लिए अनुदान का लाभ उठा सकते हैं।
बिहार में अभी बरसात की उम्मीद बाकी है। यदि बारिश नहीं होती है तो सरकार पर डीजल सब्सिडी का बोझ बढ़ जाएगा। राज्य सरकार ने डीजल सब्सिडी का लाभ 30 जुलाई 2024 से 30 अक्टूबर 2024 तक देने का फैसला किया है। डीजल अनुदान की राशि आवेदक के आधार से जुड़े बैंक खाते में टांसफर की जाएगी।
डीजल सब्सिडी योजना में आवेदन के लिए किसान को कृषि विभाग की वेबसाइट https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर विजिट करना होगा। किसान अपने मोबाइल या लैपटॉप से आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा किसान कॉमन सर्विस केंद्र या वसुधा केंद्र से भी ऑनलाइन डीजल अनुदान आवेदन के लिए संपर्क कर सकते है।
बिहार में डीजल अनुदान योजना का लाभ तीन महीने तक किसानों को मिलेगा। इस अवधि के दौरान जिला कृषि पदाधिकारी समय-समय पर किसानों के लिए ऑन-लाइन पंजीकरण और आवेदन जमा करने से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करेंगे।
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