किसानों के लिए कृषि और पशुपालन के बाद मत्स्यपालन तीसरा सबसे बड़ा व्यवसाय है। यही वजह है कि सरकार मत्स्यपालन को बड़े स्तर पर प्रोत्साहित करती है। मछलीपालकों को जलाशय, तालाब, नाव आदि में काम करने के लिए विभिन्न उपकरणों के लिए सरकार से अनुदान मिलता है। गौरतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था में मत्स्यपालन का एक बड़ा योगदान है। मछली देश के बहुत सारे उपभोक्ताओं के प्रोटीन और विटामिन का बड़ा स्रोत है। यही वजह है मार्केट में मछली का रेट अच्छा मिल जाता है। लेकिन बहुत सारे ऐसे मत्स्यपालक हैं, जो पूंजी के अभाव में पूरी सुविधा और तकनीक से काम नहीं कर पाते। इससे उनके आय में वृद्धि नहीं हो पाती।
ट्रैक्टर गुरु के इस पोस्ट में हम मछलीपालकों को नई नाव की खरीद पर मिलने वाली 40 प्रतिशत सब्सिडी की प्रक्रिया, जरूरी दस्तावेज और पात्रता-शर्तें आदि की जानकारी दे रहे हैं।
निषादराज बोट सब्सिडी योजना उत्तरप्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के तहत प्रदेश में मछलीपालन पर निर्भर मछुआरों को नाव खरीदने के लिए अनुदान देने का प्रावधान है। इससे मछुआरों की आय में वृद्धि होगी।
इस योजना से प्रदेश के गरीब मछलीपालकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी ताकि वे अपने काम के लिए नाव की खरीदी कर सकें। जलक्षेत्रों में शिकारमाही और मत्स्य प्रबंधन हेतु नाव का होना जरूरी है। इस योजना के तहत मछुआरो को अधिकतम 26,800 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
निषादराज बोट सब्सिडी योजना के तहत मछुआरों को अधिकतम 0.67 लाख यानी 67 हजार रुपए की लागत पर अनुदान दिए जाएंगे। बता दें कि योजना के अंतर्गत एफआरपी बोट, वुडन फिशिंग बोट आदि की खरीद पर मछुआरों को 40% का अनुदान मिलेगा। अगर 67 हजार रुपए की इकाई लागत आती तो अधिकतम 26,800 रुपए का लाभ मत्स्यपालकों को सरकार की ओर से दिए जाएंगे। इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत सरकार ने प्रति वर्ष लागत में वृद्धि करने का प्रावधान रखा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में ही योजना की इकाई लागत 67 हजार अधिकतम रखा गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना की इकाई लागत 70 हजार होगी। इकाई लागत में प्रति वर्ष होने वाली वृद्धि को समझने के लिए कृपया इस चार्ट को देखें।
वित्तीय वर्ष | इकाई लागत ( लगभग ) | इकाई लागत पर अनुदान की राशि |
2022-23 | 67 हजार रुपए | 26 हजार 800 रुपए |
2023-24 | 70 हजार 350 रुपए | 28 हजार 140 रुपए |
2024-25 | 73 हजार 700 रुपए | 29 हजार 480 रुपए |
2025-26 | 77 हजार 50 रुपए | 30 हजार 820 रुपए |
2026-27 | 80 हजार 400 रुपए | 32 हजार 160 रुपए |
उपरोक्त आंकड़ों से पता चलता है कि हर नए वित्तीय वर्ष मूल इकाई लागत को 5% ज्यादा बढ़ाकर, उस राशि पर अनुदान दिया जाएगा। 2026-27 तक बोट के लिए इकाई लागत बढ़ कर 80 हजार 400 रुपए हो जाएगी। जिस पर मछलीपालक को 32 हजार 160 रुपए का अनुदान दिया जाएगा।
उत्तरप्रदेश के ऐसे मत्स्यपालक जो निषादराज बोट सब्सिडी योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उनका निम्नलिखित पात्रता शर्तों का पूरा किया जाना आवश्यक है।
यह योजना 5 साल के लिए चलाई जा रही है। 2022 से 2027 तक यह योजना संचालित होगी। हर साल लागत राशि को 5 प्रतिशत बढ़ाया जाएगा। इस तरह कुल 20% की वृद्धि होगी। योजना के तहत प्रति वर्ष 3000 और कुल 5 वर्षों में 15000 लाभार्थियों को जोड़ने का लक्ष्य रहेगा।
निषादराज बोट सब्सिडी योजना में आवेदन के लिए कुछ दस्तावेजों का होना अनिवार्य है। जो इस प्रकार है।
निषादराज नाव योजना में आवेदन करने के लिए आवेदन की प्रक्रिया इस प्रकार है।
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