FMD Special Vaccination Campaign : देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून की बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले कुछ दिनों में देश के कई राज्यों में भारी से मध्यम बारिश होने का अनुमान है। गंगीय पश्चिम बंगाल, उत्तरी ओडिशा के कुछ हिस्सों, तटीय आंध्र प्रदेश, बिहार के कुछ हिस्सों और दक्षिण पूर्वी उत्तर प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक या दो बार भारी बारिश देखी जा रही है, तो उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश का दौर जारी है। इस बीच पशुओं में बहुत से रोग एवं संक्रमण फैलने की संभावना है। इसे देखते हुए पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) द्वारा सघन टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ पशुधन विकास विभाग द्वारा केन्द्र शासन की योजना पशुधन स्वास्थ्य व रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत गौवंशीय एवं भैंस वंशीय पशुओं में खुरपका/ मुंहपका (एफएमडी) रोग नियंत्रण हेतु विशेष टीकाकरण अभियान 30 सितम्बर 2024 तक चलाया जाएगा। यह अभियान 15 अगस्त 2024 से शुरू किया गया है। ऐसे में पशुपालक पशुओं में तेजी से फैलने वाली संक्रमण बीमारी में खुरपका-मुंहपका (Foot-and-mouth disease, FMD या hoof-and-mouth disease) रोग से मवेशियों की सुरक्षा के लिए टीका जरूर लगवाएं।
इस सघन टीकाकरण अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ पशुधन विकास विभाग (Livestock Development Department) द्वारा प्रत्येक जिले के विकासखंडों में टीकाकरण कार्यकर्ताओं को शामिल कर टीकाकरण दलों का गठन किया गया है। जिनके द्वारा सभी मवेशियों में शत-प्रतिशत टीकाकरण कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार की योजना लाइव स्टॉक हेल्थ एंड डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के तहत खुरपका-मुंहपका (Foot-and-mouth disease, FMD या hoof-and-mouth disease) रोग यानी एफएमडी (खुरहा चपका रोग) का टीकाकरण किया जा रहा है।
खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) रोग दो खुर वाले पशुओं में अत्यंत संक्रामक एवं घातक विषाणुजनित रोग है। यह गाय-भैंस जैसे दूधारू मवेशियों में तेजी से फैलता है। इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की कार्यक्षमता एवं दुग्ध उत्पादन मात्रा कम हो जाती है तथा कई बार बीमारी गंभीर होने से पशुओं की मौत तक हो जाती है, जिससे पशुपालकों को काफी आर्थिक हानि होती है। यह रोग बाहरी वातावरण में अधिक नमी होने और पशुओं तथा लोगों का आवागमन अधिक होने के कारण फैलता है। यह रोग मुख्य रूप से ओ, ए, सी और एशिया-1 प्रकार के विषाणुओं से फैलता है। मुंहपका रोग एक प्रकार का संक्रमित रोग है, जो संक्रमित पशु के सीधे सम्पर्क में आने, पानी, घास, दाना, बर्तन, दूध निकलने वाले व्यक्ति के हाथों से एवं हवा से फैलता है।
यह रोग पशुओं के जीभ, मुंह, खुरों के बीच की जगह को संक्रमित करता है, जिससे पशु की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है। इस रोग के होने पर पशुओं को तेज बुखार हो जाता है। पशु के मुंह, मसूड़े, जीभ के ऊपर नीचे, होंठ के अंदर भाग, खुरों की बीच की जगह पर छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं, जो कि आपस में मिलकर छालों का रूप ले लेते हैं। संक्रमित मवेशियों को आहार और पानी निगलने में दिक्कत होती है, जिससे पशुओं की कार्यशक्ति कम होने लगती है। पशु खाना-पीना छोड़ देता है और सुस्त पड़ जाता है। दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है तथा बैलों की कार्यक्षमता भी कम हो जाती है।
खुरपका-मुंहपका रोग (Hoof Disease) एक विषाणु जनित रोग है। इस रोग की रोकथाम ही नियंत्रण का कारगर उपाय है। इसलिए उक्त पशु रोग के नियंत्रण हेतु गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी शासन द्वारा सघन टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। पशुपालन विभाग के उप संचालक ने जिले के पशुपालकों से अपील की है कि अपने पशुओं में अनिवार्य रूप से इस रोग की रोकथाम एवं बचाव के लिए आवश्यक रूप से टीकाकरण कराएं।
इस बीमारी के संक्रमण का खतरा न हो और पशु स्वस्थ रहें। इसके लिए तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श लें। संक्रमित पशु में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उन्हें डाइक्रिस्टीसीन या ऑक्सीटेट्रासाइक्लीन जैसे एंटीबॉयोटिक्स 5 या 7 दिन तक दिए जा सकते है। खुर और मुंह के घावों को पोटाश तथा फिटकरी के पानी के घोल से धोये और बोरो-गिलिसरीन और खुरों में किसी एंटीसेप्टिक लोशन का उपयोग करें।
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