Makhana ki kheti : बाढ़ में डूबे खेत में किसान करें इसकी खेती, सरकार देगी 72,750 रुपए

पोस्ट -22 अगस्त 2024 शेयर पोस्ट

Makhana Farming : बाढ़ में डूबे खेत करेंगे लाखों रुपए की कमाई, सरकार इस खेती पर किसानों को दे रही 72,750 रुपए

Makhana Cultivation : सक्रिय मानसून के चलते देश के कई राज्यों में भारी बारिश का दौर जारी है। इन दिनों लक्षद्वीप, केरल और दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक में मध्यम से भारी बारिश की गतिविधियां देखी जा रही है, तो वहीं, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और असम के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हुई। इसके अलावा पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में हल्की से मध्यम बारिश का दौर जारी है। भारी बारिश के चलते इन दिनों कई राज्य भयंकर बाढ़ का कहर झेल रहे हैं। किसानों के खेत बाढ़ में डूबे हुए, जिसकी वजह से खरीफ की फसल धान, मक्का, कपास, सोयाबीन समेत अन्य फसलें नष्ट हो गई हैं। इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है।

इस कड़ी में बिहार सरकार बाढ़ प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए मखाना विकास योजनाचला रही है। सरकार द्वारा इस योजना के तहत किसानों को मखाना की खेती करने के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। मखाना ड्राई फ्रूट्स श्रेणी में आता है और इसकी मांग दुनियाभर में उच्च स्तर पर है। ऐसे में किसान बाढ़ में डूबे अपने खेतों में इसकी खेती कर उत्पादन से लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं।

किसानों को 75 प्रतिशत की सब्सिडी (75 percent subsidy to farmers)

बिहार में उत्पादित पोषक तत्वों से भरपूर मखाने की धूम दुनियाभर में है। 100 ग्राम मखाने में करीब 9.7 ग्राम प्रोटीन, 14.5 ग्राम फाइबर और प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। बिहार के कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा और खगड़िया जिले में मखाना की खेती होती है और इसे पहले से भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राप्त है। ऐसे में बिहार सरकार मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य में  'मखाना विकास योजना' चला रही है। इस योजना के तहत राज्य सरकार ने मखाने की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर लागत 97 हजार रुपये तय की है, जिस पर किसान भाइयों को 75 प्रतिशत की सब्सिडी या अधिकतम 72,750 रुपए सरकार की ओर से दिए जाएंगे। इसका मतलब किसान भाई को अपनी जेब से केवल 24,250 रुपए ही खर्च करने होंगे।

क्या होता है जीआई टैग? (What is GI tag?)

बता दें कि जीआई टैग से पहले किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता, उसकी क्वालिटी और पैदावार की अच्छे से जांच की जाती है। इस जांच के आधार पर यह तय किया जाता है कि उस खास वस्तु की सबसे अधिक और ओरिजिनल पैदावार उसी राज्य की ही है और इसके बाद उस उत्पाद या वस्तु को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग दिया जाता है। देश में उत्पादित होने वाले मखाने का 80-90 प्रतिशत हिस्सा अकेले बिहार शेयर करता है। राज्य के मिथिलांचल मखाने की चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है, जिसके चलते मिथिलांचल मखाना को जीआई टैग से नवाजा गया है।

किसान कैसे ले सकते हैं मखाने की खेती पर अनुदान लाभ? (How can farmers avail subsidy benefits on makhana cultivation?)

कृषि विभाग, बिहार सरकार की मखाना विकास योजना में मखाने की खेती करने पर 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। मखाना उत्पादन पर मिल रहे इस अनुदान का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसान को पहले योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन करना होता है। यह ऑनलाइन आवेदन उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग, बिहार सरकार की वेबसाइट https://horticulture.bihar.gov.in/  पर किया जा सकता है।  साथ ही अधिक जानकारी के लिए संबंधित जिला के सहायक निदेशक उद्यान कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं। बता दें कि उद्यान निदेशालय, बिहार ने राज्य योजना अंतर्गत मखाना विकास योजना (2024-25) के लिए ऑनलाइन आवेदन फॉर्म मांगे हैं।

ये किसान ले सकेंगे अनुदान लाभ (These farmers will be able to avail subsidy benefits)

फिलहाल, कृषि विभाग द्वारा मखाना विकास योजना (2024-25) के अंतर्गत मखाना की खेती का क्षेत्र विस्तार, उन्नत प्रभेदों का बीज उत्पादन और मखाना की खेती में परंपरागत तरीकों से निर्मित उपकरण किट के लिए किसानों को अनुदान लाभ दिया जा रहा है। राज्य के 10 जिलों यथा-कटिहार, पूर्णियां, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा एवं खगड़िया में इस योजना के तहत किसान अनुदान लाभ ले सकेंगे। इस योजना के तहत किसान को इकाई लागत 97 हजार रुपए पर 75 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। मखाना खेती में परंपरागत तरीकों से निर्मित एवं प्रयुक्त उपकरण किट औंका/गांज, कारा, खेन्ची, चलनी, चटाई, अफरा, थापी की खरीद करने के लिए सहायतानुदान प्रति किट अनुमानित इकाई लागत 22100 रुपए का 75 प्रतिशत यानी 16575 रुपए की सब्सिडी प्रति किट ले सकेंगे।

इतने हेक्टेयर के लिए मिलेगी सब्सिडी (Subsidy will be available for this many hectares)

मखाना विकास योजना अंतर्गत मखाने की खेती करने पर किसानों को न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) और अधिकतम 10 एकड़ (4 हेक्टेयर) के लिए सब्सिडी दी जाएगी। चयन हेतु जिला के लक्ष्य अन्तर्गत 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। किसान चयन में हर वर्ष 30 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा। मखाना के उन्नत प्रभेद का बीज उत्पादन अवयव अन्तर्गत बीजों की अधिप्राप्ति राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र (मखाना), दरभंगा एवं भोला पासवान शास्त्री, कृषि महाविद्यालय, पूर्णियां द्वारा अनुशंसित प्रभेद का बीज किसानों को सहायक निदेशक उद्यान के माध्यम से उपलब्ध कराया जायेगा। मखाना खेती में परंपरागत तरीकों से निर्मित एवं प्रयुक्त उपकरण किट औंका/गांज, कारा, खेन्ची, चलनी, चटाई, अफरा, थापी की खरीद करने के लिए  सहायतानुदान प्रति किट अनुमानित इकाई लागत 22100 रुपए का 75 प्रतिशत यानी 16575 रुपए की सब्सिडी प्रति किट दिया जाएगा। इस अवयव का लाभ रैयत/गैर-रैयत मखाना की खेती करने वाले एवं इस कार्य में सम्मिलित है, उनको दिया जाएगा। गैर-रैयत किसानों को इसके लिए एकरारनामा देना होगा।

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