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संरक्षित खेती के लिए सरकार से मिलेगी 1 हजार करोड़ तक की सब्सिडी, यहां करें आवेदन

संरक्षित खेती के लिए सरकार से मिलेगी 1 हजार करोड़ तक की सब्सिडी, यहां करें आवेदन
पोस्ट -25 अप्रैल 2023 शेयर पोस्ट

संरक्षित खेती : किसानों की आय में होगा इजाफा, आवेदन के लिए यहां करें संपर्क

संरक्षित खेती : देशभर में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में परिवर्तन देखने को मिल रहा है, जिसके परिमाणस्वरूप बेमौसम बारिश, सूखा और ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। ये प्राकृतिक आपदा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिसके कारण कृषि में कई प्रकार के नुकसान का सामाना किसानों को करना पड़ रहा है। बीते मार्च एवं अप्रैल के शुरूआत में मौसम की अनिश्चितताओं के कारण अचानक हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने रबी फसलों में गेहूं सहित अन्य सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया था, जिससे किसानों की उपज प्रभावित हुई थी। ऐसे में कृषि सेक्टर के अंदर साल-दर-साल प्राकृतिक आपदा के बढ़ते जोखिमों को कम करने तथा इससे होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार के साथ सभी राज्य सरकारें भी अहम कदम उठा रही है। इस बीच कई राज्य सरकारें अपने राज्य में किसानों को संरक्षित खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मोटी सब्सिडी और नई तकनीक के कृषि उपकरण भी दे रही है। किसान सब्सिडी का लाभ उठाकर संरक्षित तकनीक से फसलों की खेती कर मौसम की अनिश्चितताओं की मार से बच सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संरक्षित खेती में फसलों की जरूरतों के अुनसार एक कृत्रिम वातावरण तैयार किया जाता है। इसके अलावा, इस तरह की खेती से किसान किसी भी मौसम में  बाजार डिमांड के अनुसार फल, सब्जी और औषधिय फसलों  की खेती कम क्षेत्रफल में कर अधिक पैदावार ले सकते हैं। इस प्रकार की खेती में मौसम परिवर्तन का कोई असर नहीं पड़ता है, क्योंकि यह पूरी तरह से कवर खेती होती है। आईये ट्रैक्टर गुरू के इस लेख के माध्यम से संरक्षित खेती तकनीक के बारे में जानते हैं तथा इस तकनीक के लिए विभिन्न राज्य सरकारें अपने किसानों को किस प्रकार कितनी सब्सिडी देती है और इस सब्सिडी का लाभ किसान किस प्रकार से प्राप्त कर सकते हैं? 

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निर्धारित इकाई लागत पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी 

सरकार सरंक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी देती है। इसमें विभिन्न राज्य सरकारें ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस, पॉली हाउस, प्लास्टिक लो-टनल, प्लास्टिक हाई-टनल, प्लास्टिक मल्चिंग सहित ड्रिप सिंचाई सिस्टम के लिए निर्धारित इकाई लागत पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती है। वहीं, लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसानों को संरक्षित खेती संरचना पर 20 से 30 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी भी दी जाती है। किसानों काे यह सब्सिडी अपने-अपने राज्य के कृषि विभाग, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के द्वारा दी जाती है। अगर आप भी संरक्षित खेती संरचना पर सब्सिडी का लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपने जिले के कृषि विभाग, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग से संपर्क करना होगा। इसके अलावा, आप अपने राज्य के कृषि एव उद्यानिकी विभाग की अधिकारिक वेबसाइट पर भी संबंधित जानकारी प्राप्त कर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।  

हरियाणा में सब्सिडी प्रतिशत 

हरियाणा सरकार ने राज्य में किसानों को एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत सरंक्षित खेती योजना के तहत नेट हाउस, ग्रीन हाउस और नई तकनीक से लैस पॉलीहाउस, प्लास्टिक हाई-टनल, प्लास्टिक लो-टनल, प्लास्टिक मल्चिंग एवं ड्रिप सिंचाई तकनीक पर लगभग 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का प्रावधान किया है। इसके अलावा लघु एवं सीमांत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसानों को 20 से 30 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी भी देती है। यानी इन किसानों को कुल 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। इसके लिए सरकार अपने राज्य के उद्यानिकी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करती है। पॉली हाउस व नेट हाउस पर प्रत्येक आवेदनकर्ता को 500 से 4000 वर्ग मीटर के क्षेत्र के लिए सब्सिडी दी जाती है। इस येाजना के तहत उद्यानिकी फसल उच्च गुणवत्ता की सब्जियों के उत्पादन तथा फूलों की खेती करने वाले किसान या किसान संस्था आवेदन कर सकते हैं।  

राजस्थान में संरक्षित खेती पर सब्सिडी प्रतिशत 

राजस्थान सरकार ने राज्य में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए कवायद की है अगले दो वर्षों में लगभग 60 हजार कृषकों को 1000 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। हाल के दिनों में सीएम गहलोत ने इस प्रस्ताव को सहमति प्रदान कर दी है। राज्य सरकार इस प्रस्तावित धनराशि से ग्रीन हाउस, शेडनेट हाउस, लो टनल, प्लास्टिक मल्चिंग पर सब्सिडी प्रदान करेगी। इस प्रस्ताव पर जल्द ही ग्राउंड लेवल पर काम भी शुरू कर दिया जाएगा। सरकार की प्लानिंग अनुसार, वित्तीय साल 2023-24 में लगभग 30 हजार कृषकों को 501 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इसमें कृषक कल्याण कोष से 444.43 करोड़ रुपए की धनराशि दी जाएगी। इसके अलावा, राष्ट्रीय बागवानी मिशन/राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से 56 करोड़ (राज्यांश 22.75 करोड़) रुपए की धनराशि किसानों को सब्सिडी के तौर पर दी जाएगी। योजना के तहत राज्य के सभी अधिसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति, समस्त लघु एवं सीमांत किसानों को 25 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी ग्रीन हाउस, शेडनेट हाउस, लो टनल, प्लास्टिक मल्चिंग पर दी जाएगी। सब्सिडी के लिए लाभार्थी किसानों का चयन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा। 

मध्यप्रदेश में संरक्षित खेती पर सब्सिडी

मध्यप्रदेश सरकार संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को पॉली हाउस, शेडनेट और प्लास्टिक मल्चिंग के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है। इसके लिए  मध्य प्रदेश उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। किसान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं बागवानी मिशन के अंतर्गत ग्रीन हाउस ढांचा, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग एवं उच्च कोटि की सब्जियों की खेती, पॉली हाउस/शेड नेट हाउस निर्माण पर सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश किसानों को इकाई लागत का 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है। इसके अलावा, लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति किसानों को 20 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान राज्य योजना मद से देती है। इस प्रकार इन सभी किसानों को इकाई लागत का 70 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। अधिक जानकारी के लिए किसान प्रदेश के निदेशक, उद्यान और जिला उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं। 

संरक्षित खेती के बारे में विस्तार से जानिए

संरक्षित खेती कृषि विशेषज्ञों द्वारा विकसित खेती की एक ऐसी तकनीक है, जिसमें बाजार मांग के अनुसार महंगी फसलों की खेती की जाती है। इस तकनीक में फसलों के हिसाब से वातावरण तैयार किया जाता है, जिससे इन महंगी फसलों पर प्राकृतिक आपदा का किसी प्रकार को बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। इस तकनीक में मौसम परिवर्तन के कारण बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, आधी तुफान, कड़ाके की धूप तथा शरीर को झुलसा देने वाली लू के गर्म थपेड़ों से भी फसलों को कोई नुकसान नहीं होता है। इसमें नेट हाउस, ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस, प्लास्टिक लो-टनल, प्लास्टिक हाई-टनल, प्लास्टिक मल्चिंग संरचना में इसमें पर्याप्त वेंटिलेशन और फॉगर सिस्टम के अलावा कोई पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली नहीं होती है। वेटिलेशन और फॉगर सिस्टम से इन संरचनाओं का तापमान नियंत्रित किया जाता है। 

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