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ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल : ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की फसल बर्बाद, किसानों को मिलेगा मुआवजा

ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल : ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की फसल बर्बाद,  किसानों को मिलेगा मुआवजा
पोस्ट -16 मार्च 2024 शेयर पोस्ट

ओलावृष्टि से सरसों और गेहूं की फसल चौपट, प्रति एकड़ मुआवजा के लिए यहां करें रजिस्ट्रेशन

Crop Loss Compensation : वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) की वजह से बीते दिनों उत्तर पश्चिम भारत के अधिकांश राज्यों में तेज हवाओं और गरज-चमक के साथ भारी बारिश व ओलावृष्टि हुई। इसमें हरियाणा के कई जिलों में भारी बारिश और ओलावृष्टि हुई। बारिश और ओलावृष्टि से कई जिलों में किसानों की सरसों और गेहूं फसलों को काफी नुकसान पहुंचा। इसमें राज्य के भिवlनी जिले में बीते दिनों हुई ओलावृष्टि से किसानों की गेहूं और सरसों की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है। इससे कई किसानों की सरसों और गेहूं की फसल चौपट तक हो गई, जिससे उन्हें बहुत अधिक आर्थिक हानि हुई है।  हालांकि, राज्य सरकार के दिशा- निर्देश पर राजस्व विभाग व जिला अधिकारियों और तहसीलदारों द्वारा खराब हुए फसलों की गिरदावरी के लिए गांवों का निरीक्षण किया जा रहा है, जिससे प्रभावित किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा देकर राहत प्रदान की जा सके। उपायुक्त नरेश नरवाल के अनुसार, जिले में कुल क्षेत्रफल के लगभग 56 फीसदी क्षेत्र में सरसों और 37 फीसदी क्षेत्र में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचने की खबर है। वहीं, हरियाणा सरकार द्वारा प्रभावित किसानों से ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों का विवरण ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल दर्ज देने के लिए कहा गया है।

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सरसों की फसल पर पड़ा भारी असर

उपायुक्त नरेश नरवाल ने ओलावृष्टि से प्रभावित कई गांवों का निरीक्षण किया। इस दौरान प्रभावित  किसानों ने उपायुक्त को सरसों के क्षतिग्रस्त पौधे दिखाए। किसानों का कहना है कि ओलावृष्टि से सरसों की फसल पर भारी असर पड़ा, क्योंकि फसल कटाई के चरण में थी। इसके साथ ही खेतों में कटी हुई फसल सूखने के लिए रखी थी जो ओलावृष्टि से बर्बाद हो चुकी है। पीड़ित किसानों का कहना है कि उनमें से कई किसान ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल नुकसान ब्यौरा देने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने में विफल रहे हैं, क्योंकि वे इंटरनेट से निपटने में पारंगत नहीं थे और पंजीकरण की अंतिम तिथि के बारे में नहीं जानते थे। इस दौरान उपायुक्त ने सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) हरबीर सिंह, जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) प्रदीप देसवाल और तहसीलदार अजय सैनी के साथ गौरीपुर, मढ़ामाधवी, कितलाना, रूपगढ़, नंदगांव और मानहेरू गांवों में खेतों का निरीक्षण किया और सरसों और गेहूं की फसल को पहुंचे नुकसान का जायजा लिया।

रजिस्ट्रेशन के लिए खोला गया ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल

भिवानी जिला के उपायुक्त, नरेश नरवाल ने कहा कि बारिश और आलोवृष्टि से प्रभावित किसानों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने 5 मार्च से ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला था और सभी प्रभावित किसानों से कहा गया था कि अपनी फसल के खराबे का रजिस्ट्रेशन अंतिम तिथि तक फसल ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अवश्य करवाए, ताकि अधिकारियों द्वारा सही गिरदावरी कर उचित मुआवजा राशि संबंधित किसानों के खाते में जारी की जा सके। आज फसल विफलता विवरण के पंजीकरण की अंतिम तिथि थी। उन्होंने राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे किसानों को उनकी क्षतिग्रस्त फसलों का ब्यौरा पोर्टल पर दर्ज कराने में मदद करें। उन्होंने कहा कि वह रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि बढ़ाने और फसल विफलता से संबंधित डेटा को वेब पोर्टल पर अपलोड करने के लिए किसानों की मांग सरकार को सौंपेंगे।

पटवारियों को सटीक गिरदावरी के निर्देश

संभागीय आयुक्त (DC) ने कहा कि राज्य सरकार ने फसल नुकसान प्रभावित सभी किसानों को आश्वासन दिया है कि उन्हें क्षतिग्रस्त और बर्बाद फसलों का उचित मुआवजा दिया जाएगा। किसानों से कहा कि वे अपनी फसल क्षति से संबंधित ब्यौरा ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करें, ताकि उन्हें मुआवजा मिल सके।  उन्होंने पटवारियों को निर्देश दिए कि वे खेतों में जाकर सटीक गिरदावरी कर डेटा तैयार करें, जिससे किसानों के खाते में मुआवजा ट्रांसफर किया जा सके। डीसी ने कहा कि किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर फसल का पंजीकरण कराना भी जरूरी है।

जिले में इतने क्षेत्र की फसल में पहुंचा शत-प्रतिशत नुकसान

राजस्व अधिकारी ने कहा कि अब तक, उन्हें ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल-नुकसान डेटा के पंजीकरण की अंतिम तिथि बढ़ाने के बारे में कोई सूचना सरकार से नहीं मिली है। हरियाणा में 2 और 3 मार्च के दौरान हुई बारिश और ओलावृष्टि से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में भिवानी जिला भी शामिल है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, भिवानी जिले में कुल रबी रकबा 1 लाख 16 हजार 213 एकड़ है। इसमें  से 6 हजार 650 एकड़ में 76 प्रतिशत से 100 प्रतिशत यानी शत-प्रतिशत तक फसल नुकसान हुआ है, जबकि 8 हजार 697 एकड़ में 51-75 प्रतिशत के बीच फसल का नुकसान हुआ है।  43 हजार 61 एकड़ में 26 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। बाकि 57 हजार 805 एकड़ फसल क्षेत्र में 25 प्रतिशत से कम का नुकसान हुआ है। कृषि विभाग ने संकेत दिया कि कुल 83 हजार एकड़ में से 46 हजार 389 एकड़ में 56 प्रतिशत सरसों की फसल में  26 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है और  32 हजार 723 एकड़ में से लगभग 11 हजार 969 एकड़ में 37 प्रतिशत गेहूं की फसल को क्षति पहुंची है।

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