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सोयाबीन खरीद के नए नियम जारी, किसानों को अब 40 क्विंटल पर 28000 रुपये तक फायदा

सोयाबीन खरीद के नए नियम जारी, किसानों को अब 40 क्विंटल पर 28000 रुपये तक फायदा
पोस्ट -22 नवम्बर 2024 शेयर पोस्ट

Soybean Price: किसानों को राहत, सोयाबीन खरीद के नियमों में बदलाव, 40 क्विंटल तक बढ़ाई खरीद मात्रा

Soybean purchase rules : सोयाबीन खरीद के नियमों के चलते किसानों ने सरकारी खरीद केंद्रों से दूरी बना रखी है, जिसके चलते सोयाबीन की सरकारी खरीद धीमी रफ्तार से हो रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने हाल में सोयाबीन खरीद के नियमों में बदलाव किया है। सरकार ने बताया कि अब 15 फीसदी नमी वाले सोयाबीन की खरीद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर की जाएगी। इससे पहले सोयाबीन में नमी की मात्रा 12 प्रतिशत थी, जिसे अब 3 तीन प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से एक आदेश जारी कर कहा है कि किसानों की ओर से आ रही मांग को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।  इससे किसानों के बीच खुशी की लहर है। सरकार के इस निर्णय से राजस्थान के किसानों को ज्यादा फायदा हुआ है, क्योंकि प्रत्येक किसान के लिए सोयाबीन बिक्री की लिमिट मात्रा को बढ़ा दिया गया है। सरकारी केंद्रों पर अब प्रत्येक किसान 40 क्विंटल तक सोयाबीन समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे, पहले यह लिमिट 25 क्विंटल तक ही थी। अब इस लिमिट को 15 क्विंटल तक बढ़ा दिया गया है। खरीद नियमों में ढील देने से किसानों को काफी राहत मिलेगी।

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सरकार ने इसलिए किया नियमों में बदलाव (This is why the government changed the rules)

सरकार द्वारा जारी नए नियमों के अनुसार, राज्य सरकार 15 प्रतिशत तक नमी वाले सोयाबीन की खरीद कर सकेंगी। सरकार के निर्देश पर राजस्थान के कोटा जिले में 15 अक्टूबर से सोयाबीन और उड़द खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया था। साथ ही विभिन्न जगहों पर खरीद केंद्र खोले गए और खरीद शुरू की गई।  कोटा की बात करें तो यहां एक महीने की अवधि में मात्र 15 हजार क्विंटल सोयाबीन की खरीद हो सकी थी, जबकि यह सोयाबीन का बड़ा क्षेत्र है। इससे सोयाबीन खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा था। राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों में यही स्थिति थी। खरीद केंद्रों पर सन्नाटा पसर रहा था।  खरीद में कमी के पीछे उपज में 12 प्रतिशत से अधिक नमी की मात्रा और खरीद की लिमिट का कम होना बताया जा रहा था। लेकिन केंद्र सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए नमी की मात्रा को बढ़ाकर 15 परसेंट कर दिया और लिमिट को 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल कर दिया गया, ताकि सोयाबीन खरीद ज्यादा हो सके और बड़ी संख्या में किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ मिल सके।

नियम बदलने से किसानों को फायदा (Farmers benefit from changing the rules)

इससे किसानों को फायदा मिल रहा है। नियमों में बदलाव होने से अब बड़ी संख्या में किसान सरकारी केंद्रों पर सोयाबीन बिक्री के लिए आगे आ रहे हैं।  खरीद केंद्रों पर सोयाबीन बेचने वाले किसानों की हलचल है। अभी समर्थन मूल्य खरीद केंद्रों पर 4892 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सोयाबीन की खरीद की जा रही है। बाजार में यह औसत भाव 4200 रुपए प्रति क्विंटल पर चल रहा है।  किसानों को कृषि मंडियों में सोयाबीन बेचने से काफी घाटा हो रहा है। सरकारी केंद्रों पर उन्हें अच्छा लाभ मिल रहा है। किसानों को पहले 25 क्विंटल सोयाबीन बेचने पर 17500 रुपए का मुनाफा हो रहा था। अब लिमिट बढ़ने से किसान 25 के बजाय 40 क्विंटल सोयाबीन बेच सकेंगे। इससे किसानों को अब 40 क्विंटल पर 28000 रुपये तक फायदा हो रहा है।  कोटा जिले में 9 खरीद केंद्रों पर 1002 किसानों ने पंजीयन कराया है, जिसमें 184 किसानों ने सोयाबीन बेच दिया है। खरीद लिमिट बढ़ाए जाने से शेष किसानों को भी फायदा होगा।

किसान बेच रहे उपज (farmers selling produce)

12 प्रतिशत नमी वाले सोयाबीन खरीद का नियम और 25 क्विंटल बेचने की लिमिट के चलते राजस्थान में सोयाबीन की खरीद बहुत धीमी चल रही थी। राजफेड का सोयाबीन खरीद का लक्ष्य पिछड़ रहा था। राजफेड के लिए इस सीजन में 10 लाख क्विंटल खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसकी तुलना में अभी तक मात्र 10 प्रतिशत ही खरीद हो पाई, लेकिन अब नियमों में बदलाव से जहां एक ओर राजफेड का लक्ष्य पूरा हो रहा है तो दूसरी ओर किसानों को भी फायदा हो रहा है। समर्थन मूल्य केंद्रों पर किसान अब अधिक उपज बेच रहे हैं, जिससे उनका मुनाफा भी बढ़ गया है। हालांकि, अतिरिक्त नमी के कारण होने वाले खर्च का वहन राज्य सरकार को  करना होगा। केंद्रीय नोडल एजेंसियां (NAFED और NCCF) राज्य स्तरीय एजेंसियों को सोयाबीन में नमी की मात्रा के हिसाब से समायोजित मूल्य पर भुगतान करेंगी। किसानों को समर्थन मूल्य यानी MSP का पूरा भुगतान राज्य सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा। यह फैसला एक बार के लिए लागू होगा, जिसके लिए केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा मंजूरी दे दी गई है।

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