खेत चेन फेंसिंग योजना (तारबंदी योजना) : देश की हर राज्य सरकार अपने स्तर पर फसलों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। आवारा पशु, नीलगाय और जंगली जानवरों के कारण किसानों की फसलों को होने वाला नुकसान रोकने के लिए राज्य सरकारें फसल सुरक्षा के अंतर्गत तारबंदी योजना चला रही है। इसी कड़ी में अब मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भी प्रदेश में नीलगाय, जंगली सुअर और आवारा पशुओं के कारण किसानों को फसल नुकसान से बचाने के लिए खेत चेन फेंसिंग योजना (तारबंदी योजना) को शुरू करने की तैयारी कर रही है। मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग द्वारा योजना को लेकर दी गई जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार जल्द ही इस योजना को शुरू करने जा रही है। बतया जा रहा है कि इस योजना का लाभ अब उद्यानिकी किसानों को भी दिया जाएगा। उद्यानिकी किसानों की फसलों को होने वाला नुकसान रोकने के लिए जल्द ही शुरू करने की मंजूरी के लिए सरकार द्वारा दी जाएगी।
बता दें कि मध्यप्रदेश के कौने-कौने से आए दिन हजारों किसानों की खेत में खड़ी फसल को आवारा पशु, नीलगाय और जंगली जानवरों से नुकसान की शिकायतें आती रहती है। ऐसे में किसान इस नुकसान से छुटकारा पाने के लिए अपने स्तर पर खेतों की तारबंदी कराना चाहते हैं, लेकिन अधिकतर किसान अधिक लागत के कारण खेतों की तारबंदी नहीं करा पाते है और जंगली जानवरों की वजह से फसलों के नुकसान की शिकायतें सरकार को करते हैं, जिसकी वहज से सरकार को उन्हें फसल नुकसान का मुआवजा देना पड़ता है। लेकिन अब इससे बचने के लिए उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश ने खेतों में चेन फेंसिंग (तारबंदी) के लिए तारबंदी योजना के तहत किसानों को सब्सिडी देने का फैसला किया है। ताकि उद्यानिकी किसान अपने खेतों की तारबंदी करवा कर जंगली जानवरों से खड़ी फसलों को नुकसान से बचा सकें। चेन फेंसिंग (तारबंदी) योजना का लाभ लेकर उद्यानिकी फसलों की खेती करने वाले किसान जंगली जानवरों से छुटकारा पा सकेंगे और अपनी जमीन पर बेहतर फसल उत्पादन ले सकेंगे।
मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग ने बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत किसानों को आर्थिक मदद की जाती है ताकि किसान खेतों के चारों ओर तारबंदी करवा सकें और जंगली जानवरों से फसल नुकसान को बचा सकें। प्रदेश के मालवा-निमाड़, बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल के इलाकों में नीलगाय और जंगली सुअर फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते है। इसके अलावा, छतरपुर, रीवा, पन्ना, मंदसौर, नीमच, रतलाम में भी इनका आतंक ज्यादा है। वहीं, प्रदेश के रायसेन, विदिशा, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, बैतूल जिलों में भी नीलगाय और जंगली सुअर से फसलों को काफी नुकसान होता है। इन इलाकों के किसान इनसे बचने के लिए खेतों के मेढ़ पर बड़ी बल्लियां लगाकर जाल एवं साड़ी बांधते हैं और फसलों से इन्हें दूर रखने के लिए लाउड स्पीकर से लेकर पटाखे तक छोड़ते हैं। इन क्षेत्रों में नीलगाय और जंगली सुअर से हर साल खेतों की फसलों चौपट हो जाती है।
मिली जानकारी के अनुसार, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह का कहा है कि उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश किसानों की फसलों को नीलगाय और जंगली सुअर से बचाने के लिए चलाई जा रही तारबंदी योजना (खेत चेन फेंसिंग) का लाभ जल्द मिल पाएगा। उन्होंने कहा कि चेन फेंसिंग योजना को शुरू करने की पूरी तैयारियां सरकार की ओर से की जा रही हैं। हाल ही में उद्यानिकी विभाग ने चयनित जिलों के विकास खंडों में चौनलिंक फैसिंग के लिए अनुदान देने का लक्ष्य भी जारी किया है। विभाग ने “राष्ट्रीय कृषि विकास योजना” के तहत प्रदेश के 20 जिलों के मॉडल विकासखंड के किसानों के
लिए लक्ष्य जारी किया है।
चयनित जिलों के किसान मध्यप्रदेश उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण के पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर खेत चेन फेंसिंग योजना का लाभ उठा सकते है। इस योजना में आवेदन करने के लिए किसानों के पास फोटो, आधार कार्ड, खसरा नम्बर /B1/ पट्टे की कॉपी, बैंक खाता पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज होने चाहिए।
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