Crop Protection Advice : देश के कई क्षेत्रों में कम बारिश और बारिश में हो रहे विलंब के कारण खरीफ की फसलों की बुवाई का कार्य देरी से चल रहा है। वहीं, दूसरी ओर अधिकांश क्षेत्रों में किसानों ने लगभग खरीफ फसलों की बुआई का काम पूरा भी कर लिया है। उनकी फसल तेजी से ग्रोथ भी कर रही है। लेकिन, इस समय पर फसलों में विभिन्न कीट और रोगों के प्रकोप की संभावना सबसे अधिक होती है। इसे ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार किसानों के खेतों पर जाकर उन्हें फसलों में लगने वाले कीट-रोगों से बचाव एवं उनके नियंत्रण के लिए सलाह दी जा रही है। ऐसे में राजस्थान के दौसा जिले के कृषि अधिकारियों की एक टीम ने जसोता गांव में फील्ड भ्रमण कर खरीफ फसलों का जायजा लिया और किसानों को फड़का व सफेद लट नियंत्रण एवं फसल सुरक्षा की सलाह दी।
पंत कृषि भवन में प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी वैभव गालरिया की अध्यक्षता में बीटी कपास में गुलाबी सुंडी के प्रकोप, प्रभावी नियंत्रण, प्रबंधन के लिए किए जा रहे कार्यो की समीक्षा हेतु वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने सभी जिलों के कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे गुलाबी सुंडी के प्रकोप का नियमित सर्वेक्षण कर उसके बचाव के उपाय तुरंत किसानों को बताए। साथ ही गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए पंचायत स्तर पर गोष्ठियों, सभाओं व रात्रि चौपालों का आयोजन किया जाए।
कृषि अधिकारी (प्रशिक्षण) दौसा अशोक कुमार मीना ने बताया कि क्षेत्र में बाजरा की फसल में सफेद लट और फड़का कीट का प्रकोप देखा गया है, जिससे फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि सफेद लट की ग्रब बाजरे के पौधों की छोटी जड़ों को काट कर नष्ट कर देती है, जिससे बाजरे की फसल धीरे-धीरे सूख कर नष्ट हो जाती है।
अशोक कुमार मीना ने किसानों को सलाह दी कि वे सफेद लट के नियंत्रण के लिए बाजरा की खड़ी फसल में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत SL 500 मिलीलीटर या क्यूनालफॉस 25 EC 4 लीटर दवाई प्रति हेक्टेयर की दर से 80 से 100 किलोग्राम सूखी मिट्टी या बजरी में मिलाकर बारिश से पहले भुरकाव करें। अगर वर्षा नहीं हो रही है, तो फव्वारा चलाकर सिंचाई करें, ताकि कीटनाशक पानी के साथ घुलकर जड़ क्षेत्र तक पहुंचे और सफेद लट की ग्रब को नष्ट कर किया जा सके।
कृषि अधिकारी मीना ने बताया कि मानसून की पहली वर्षा से 21 दिन तक लट की पहली व दूसरी अवस्था को नियंत्रण करना आसान रहता है। फड़का कीट के नियंत्रण के लिए किसान खेत की मेड़ों से घास की कटाई कर दें और क्यूनालफॉस चूर्ण 1.5 प्रतिशत पाउडर का भुरकाव करें, जिससे फड़का की निम्फ अवस्था को नष्ट किया जा सके। जसोता फील्ड भ्रमण के दौरान कृषि की टीम में कृषि अधिकारी (फसल) दौसा धर्म सिंह गुर्जर, कृषि पर्यवेक्षक जसोता सुशीला गुर्जर, बजरंग लाल सैनी समेत कई स्थानीय किसान मौजूद रहे।
कपास की फसल में हर साल गुलाबी सूंडी से काफी नुकसान होता है, जिसका असर किसानों की आमदनी पर पड़ता है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्षा होने से अधिक वनस्पति वृद्धि व कम तापमान के कारण कीट को अनुकूल वातावरण मिलने से फसल में कीट का प्रकोप देखा जा सकता है। इसे देखते हुए राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी वैभव गालरिया सभी जिलों के कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह गुलाबी सुण्डी के प्रकोप का नियमित सर्वेक्षण कर उसके बचाव के उपाय तुरन्त किसानों को बताए। बीटी कपास में गुलाबी सुण्डी के प्रकोप, प्रभावी नियंत्रण, प्रबंधन के लिए प्रमुख शासन सचिव ने पंत कृषि भवन में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से बैठक का आयोजन किया गया। इसमें गुलाबी सुण्डी के जीवन चक्र, उसके प्राथमिक स्तर के प्रकोप व नुकसान पर भी विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में कृषि वैज्ञानिकों ने बीटी कपास में गुलाबी सुण्डी प्रकोप होने का मुख्य कारण किसानों के खेतों में रखी पिछले वर्ष की वनसठियों के दूषित टिण्डों में कीट प्यूपा अवस्था में मौजूद रहना बताया जो कि मई-जून में अनुकूल वातावरण मिलते ही सक्रिय होकर फसल को संक्रमित करता है।
Website - TractorGuru.in
Instagram - https://bit.ly/3wcqzqM
FaceBook - https://bit.ly/3KUyG0y