Global Fisheries Conference India-2023 : देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन और जलीय कृषि लाखों किसानों की आजीविका का एक अहम स्रोत बनकर उभरा है। कम लागत में अच्छा लाभ देने वाला मछली पालन कारोबार करीब 280 लाख ग्रामवासियों की आय बढ़ाने और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने में महत्वपूर्ण रोल निभा रहा है। इसे देखते हुए सरकार खेती के साथ-साथ मछली पालन को भी बढ़ावा दे रही है। इसके लिए मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत मत्स्य पालन के प्रति किसानों की रूचि बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं, योजना के तहत कई राज्य सरकारें अपने राज्य में कई परियोजनाएं लागू कर मत्स्यपालन को बढ़ावा भी दे रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में मछली पालन को बढ़ावा देने और पालकों की आमदनी बढ़ाने के प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश ने अंतरदेशीय मत्स्य पालन (मैदानी क्षेत्र) में प्रथम स्थान हासिल किया है। इसकी सिफ़ारिश विश्व मत्स्य पालन दिवस के अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार ने की है। आईए इस पोस्ट की मदद से इस पूरी खबर के बारे में विस्तार से जानें।
मछली पालन के लिए उत्तर प्रदेश को दिया जाएगा अवार्ड
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार की मेहनत अब रंग लाने लगी हैं। सरकार के प्रयासों का ही असर है कि प्रदेश अंतरदेशीय मछली पालन (मैदानी क्षेत्र) में अव्वल रहा है। मत्स्य विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने लोकभवन में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि विश्व मत्स्य पालन दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली में आयोजित ग्लोबल फिशरीज कॉन्फेंस इंडिया 2023 में उत्तर प्रदेश को यह अवार्ड दिया जाएगा। बता दें कि दिल्ली में विश्व मत्स्य पालन के अवसर पर 22 नवंबर को ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस इंडिया-2023 आयोजित की जाएगी।
लाभार्थियों को अब तक वितरित की जा चुकी है 15282.5 लाख रुपए की धनराशि
प्रदेश के मत्स्य विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने बताया कि पिछले साढ़े छह सालों में मत्स्य पालन और इसके उत्पादन में काफी वृद्धि दर्ज की गई है। आज उत्तर प्रदेश ने पूरे देश में अंतरदेशीय मछली पालन (fish farming) में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। पिछले वर्ष जहां प्रदेश में मत्स्य उत्पादन 8.09 लाख मीट्रिक टन था, वहीं इस वर्ष अब तक विभाग ने 9.15 लाख मीट्रिक टन का मत्स्य उत्पादन किया है। इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना ने इस साल मत्स्य विभाग ने मत्स्य बीज उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज की है। पिछले वर्ष जहां विभाग ने 27,128 लाख मीट्रिक टन मत्स्य बीज उत्पादन किया था, वहीं इस बार अब तक 36,187 लाख मीट्रिक टन मत्स्य बीज का उत्पादन हुआ है। उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत वर्तमान में 31 परियोजनाएं संचालित की जा रही है। इन परियोजनाओं के अतंर्गत अब तक 15282.5 लाख रुपए की धनराशि लाभार्थियों को वितरित की जा चुकी है। वहीं, मत्स्य विभाग (Fisheries Department) की ओर से इस साल 1500 से अधिक मत्स्य पालकों को मत्स्य पालन में प्रशिक्षण (Training) दिया गया है।
62 करोड़ रुपए की लागत से अल्ट्रा मॉडर्न फिश मॉल का निर्माण
विभाग के कैबिनेट मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में अब तक 1,16,159 मत्स्य पालकों को मछुआ दुर्घटना बीमा योजना का लाभ दिया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत दुघर्टना/ हादसे में अपनी जान गंवाने वाले मत्स्य पालकों को 5 लाख रुपए, दिव्यांग होने पर 2.5 लाख रुपए और घायल होने पर 25 हजार रुपए की मदद प्रदान की जाती है। पहले जहां उत्तर प्रदेश के 12 जनपदों की नदियों में रैंचिंग की जाती थी, वहीं आज 68 जनपदों की नदियों में रैंचिंग की जा रही है। इसके अलावा, प्रदेश को मत्स्य पालन का हब बनाने के लिए चंदौली में 62 करोड़ रुपए की लागत से अल्ट्रा मॉडर्न फिश मॉल का निर्माण भी किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इस वर्ष अब तक 14,021 मत्स्य पालकों के लिए 10772.77 लाख रुपए के बैंक कर्ज स्वीकृत किए हैं।
मत्स्य पालकों और किसानों के लिए संचालित की जा रही है खेत तालाब योजना
उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालकों और किसानों के लिए योगी सरकार द्वारा खेत तालाब योजना को संचालित किया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश के किसानों को उनके खेत में तालाब निर्माण करवाकर सिंचाई हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध करवाना है। उत्तर प्रदेश खेत तालाब योजना के तहत किसानों को उनके खेत के एक हिस्से को तालाब में बनवाने के लिए अनुदान दिया जाता है। यह अनुदान आने वाले लागत खर्चे का 50 प्रतिशत तक दिया जाता है। इस योजना के तहत किसान अपने खेत में तालाब निर्माण कर बारिश के पानी को संरक्षित कर अपने खेत की सिंचाई कर सकते हैं। इसके अलावा इन तालाबों के संरक्षित पानी में मछली पालन कर के अपनी आय का एक और स्रोत प्राप्त कर सकते हैं। मालूम हो कि खेत तालाब योजना के तहत प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को खेत में तालाब का निर्माण करने पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। छोटे तालाब के निर्माण करने पर लगभग लागत खर्च 1,05,000 का 50 प्रतिशत या अधिकतम 52,500 रुपए सरकार द्वारा अनुदान के रूप में दिया जाता है। वहीं, बड़े तालाब के निर्माण पर लागत खर्च 2,28,400 रुपए का 50 प्रतिशत या अधिकतम 1,14,200 रुपए का खर्च सरकार द्वारा खुद वहन किया जाता है। इसके अलावा प्लास्टिक लाइनिंग के काम में आने वाले लागत खर्च पर 75,000 रुपए की अतिरिक्त राशि प्रदेश सरकार की ओर से प्रदान की जाती है।
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