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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : शीर्ष फसल बीमा कंपनियों ने की जोखिम में कटौती

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : शीर्ष फसल बीमा कंपनियों ने की जोखिम में कटौती
पोस्ट -12 जुलाई 2024 शेयर पोस्ट

प्रधानमंत्री फसल बीमा क्लेम योजना : वित्त वर्ष 2024 में फसल बीमा कवरेज में गिरावट, जाने क्या है कारण

Crop Insurance Coverage : मानसून पर ला नीना ( La Nina) का असर दिखाई देने लगा है, जिसके कारण देश के कई राज्यों में अधिक बारिश का दौर जारी है और बारिश की वजह से कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति भी बन गई है। मूसलाधार मानसूनी बारिश के चलते उत्तर प्रदेश की कई नदियां उफान पर बह रही है, जिससे कई जनपदों में बाढ़ जैसे हालात तक पैदा हो चुके है। बाढ़ और जल जमाव से किसानों की फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है। आलम यह है कि देश के कई राज्यों में इन हालातों में किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है। ऐसे में किसानों की फसलों को बीमा सुरक्षा देने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा (पीएमएफबीवाई) योजना से किसानों को बीमा कवरेज मिलने की काफी उम्मीदें हैं। लेकिन किसानों की इस उम्मीद को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि 4 शीर्ष फसल बीमा कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा क्लेम योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत फसल बीमा के जोखिम दायरे में अपनी हिस्सेदारी कम कर दी। कृषि क्षेत्र में बीमा कवरेज का विस्तार करने के सरकार के प्रयास के बावजूद बीमा कंपनियों ने फसल बीमा जोखिम दायरें में कटौती की है, जिसने किसानों की मुश्किले और बढ़ा दी है।

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हिस्सेदारी में 4.1 प्रतिशत की कटौती (Share cut by 4.1 percent)

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, सामान्य बीमा कंपनियों ने वित्त वर्ष 24 के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत फसल बीमा में अपनी हिस्सेदारी में 4.1 प्रतिशत की कटौती की है। बीमा कंपनियों द्वारा लिखित सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम (ग्रास डायरेक्ट) वित्त वर्ष के दौरान 4.17 प्रतिशत घटकर 30,677 करोड़ रुपये रह गया, जो पिछले वर्ष 32,011 करोड़ रुपए था। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 23) में फसल बीमा प्रीमियम 8.66 प्रतिशत बढ़कर 29,465 करोड़ रुपये हो गया था। क्योंकि पिछले साल किसानों को बाढ़, बेमौसम बारिश और भीषण गर्मी के कारण फसल का नुकसान उठाना पड़ा।

प्रीमियम आय में गिरावट (Decline in premium income)

मानसून के कारण इन दिनों देश के कई राज्यों में भारी बारिश होने का सिलसिला जारी है, जिससे नदी-नाले उफान पर है और बाढ़ के कारण किसान चिंतित है। बाढ़ से बर्बाद हुए अपने फसल नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें पीएम फसल बीमा योजना से उम्‍मीद है, लेकिन इधर सामान्य बीमा कंपनियों ने अपना जोखिम दायरा कम कर दिया है। जनरल इंश्योरेंस काउंसिल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, यह गिरावट मुख्य रूप से सरकारी स्वामित्व वाली कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) द्वारा वित्त वर्ष 24 के दौरान प्रीमियम आय में 32 प्रतिशत की गिरावट के कारण हुई है। जारी आंकड़ों के अनुसार, एआईसी की लिखित प्रीमियम एक साल पहले 14,619 करोड़ रुपए थी, जो वित्त वर्ष 24 के दौरान घटकर 9,890 करोड़ रुपए रह गई। एआईसी ने इस वर्ष पीएमएफबीवाई के तहत रिकॉर्ड 12,353 करोड़ रुपए के दावों का भुगतान किया। एआईसी (AIC) देश की प्रमुख फसल बीमाकर्ता है। चार सरकारी नियंत्रित बीमा कंपनियों - एआईसी, न्यू इंडिया एश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और एसबीआई जनरल - ने वित्त वर्ष 2024-25 में पीएम फसल बीमा योजना में अपना जोखिम कम कर दिया।

सरकार द्वारा नियंत्रित है ये चार शीर्ष बीमा कंपनियां (These four top insurance companies are controlled by the government)

सरकारी स्वामित्व वाली ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी ने भी वित्त वर्ष 24 में अपना जोखिम घटाकर 8.94 करोड़ रुपये कर दिया, जो एक साल पहले 1,752 करोड़ रुपये था। एसबीआई जनरल इंश्योरेंस ने भी इस वित्त वर्ष में अपना जोखिम कम किया है। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ने पिछले साल 11.38 करोड़ रुपए के मुकाबले 34.41 करोड़ रुपए का नकारात्मक प्रीमियम दर्ज किया। एक बीमा कंपनी के अधिकारी ने कहा, "सरकार द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित चार बीमा कंपनियों ने फसल बीमा कवरेज में गिरावट की सूचना दी है। इसके अनुसार, चार सरकारी नियंत्रित बीमा कंपनियों - एआईसी, न्यू इंडिया एश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और एसबीआई जनरल ने वित्त वर्ष 2024-25 में फसल बीमा में अपना जोखिम कम कर दिया। अधिकारी ने कहा, कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं को बाढ़, गर्मी और बेमौसम बारिश के कारण नुकसान का जोखिम झेल रहे किसानों को बीमा कवरेज प्रदान करने में सबसे आगे होना चाहिए था।

किसानों को कई कारणों से उठाना पड़ा फसल नुकसान (Farmers had to suffer crop loss due to many reasons)

खबर के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में किसानों को कई कारणों से फसल का नुकसान उठाना पड़ा, जिससे मुद्रास्फीति के स्तर में वृद्धि हुई। हालांकि, सामान्य बीमा कंपनियों ने प्रीमियम आय में 19.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जो एक साल पहले 17,391 करोड़ रुपए थी, जो बढ़कर 20,786 करोड़ रुपए हो गई। इस साल आठ सामान्य बीमा कंपनियों ने फसल बीमा से दूरी बनाए रखी। पीएमएफबीवाई योजना ने वित्त वर्ष 24 में 50 से अधिक विभिन्न फसलों वाले लगभग 4 करोड़ किसानों को बीमा कवरेज के तहत कवर किया है। वर्ष में बीमित किसानों में से 55 फीसदी से अधिक गैर-ऋणी किसान श्रेणी के अंतर्गत आते हैं । मुख्य रूप से चैनल पार्टनर के रूप में सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) के माध्यम से नामांकित होते हैं, जिसमें चैनल ने खरीफ और रबी सीजन में क्रमशः 2.5 करोड़ और 1.5 करोड़ नामांकन के साथ 4 करोड़ किसानों के प्रभावशाली आवेदन पंजीकृत किए हैं। पीएमएफबीवाई फसल की विफलता के विरुद्ध एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करती है, जिससे किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिलती है तथा उन्हें नवीन पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

किसानों द्वारा देय अधिकतम प्रीमियम (Maximum premium payable by farmers)

पीएमएफबीवाई योजना अधिसूचित फसलों के लिए फसल ऋण या किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) खाता प्राप्त करने वाले ऋणी किसानों के लिए अनिवार्य है। लेकिन, यह योजना अन्य / गैर-ऋणी किसानों के लिए स्वैच्छिक है। योजना में सभी खरीफ खाद्य और तिलहन फसलों के लिए किसानों द्वारा देय अधिकतम प्रीमियम 2 प्रतिशत, रबी खाद्य और तिलहन फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और वार्षिक वाणिज्यिक या बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत होगा। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने पीएमएफबीवाई के कवरेज का विस्तार करने के लिए एआईडीई (मध्यस्थ नामांकन के लिए ऐप) लॉन्च किया, जो बिचौलियों को खरीफ 2023 से गैर-ऋण लेने वाले किसानों को नामांकित करने की अनुमति देता है। इस पहल ने बीमा दलालों को सफलतापूर्वक शामिल किया और इसके परिणामस्वरूप पॉइंट ऑफ सेल्सपर्सन (पीओएसपी) के माध्यम से 71 प्रतिशत किसान नामांकन हुए, कुल 6.88 लाख किसान आवेदन हुए।

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