Crop Residue Burning Incident : किसानों द्वारा गेहूं फसल की कटाई का काम लगभग पूरा किया जा चुका है। इसके बाद, सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था वाले अधिकांश क्षेत्रों के किसान अब अपने खाली पड़े खेतों में जायद फसलों की बुवाई का कार्य कर रहे हैं, तो दूसरी ओर रबी सीजन फसल की खेती करने वाले किसानों ने कटाई के बाद अपने खेतों को खाली छोड़ दिया है। इसमें तीन महीने बाद खरीफ मौसम की फसलों की बुवाई किसानों द्वारा की जाएगी। इस दौरान किसान अपने खेत में फसल अवशेष या पराली न जलाए, इसके लिए कई राज्य सरकारों द्वारा गेहूं की नरवाई (अवशेष) या पराली जलाने को प्रतिबंधित किया गया है।
साथ ही फसल अवशेष या पराली जलाने की घटना (Crop Residue Burning Incident) को अंजाम देने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई कर अर्थदंड लगाने का भी प्रावधान किया गया है। ऐसे में जो भी किसान अपने खेत में फसल अवशेष या पराली जला रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस बीच बिहार के गया जिले में फसल अवशेष जलाने वाले 21 किसानों के पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) ब्लॉक कर दिए गए हैं। अब इन प्रतिबंधित किसानों को राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। इसके साथ ही शासन ने अपने कार्य में लापरवाही बरतने वाले 4 कृषि समन्वयकों और एक सहायक तकनीकी प्रबंधन के वेतन पर भी रोक लगा दी है।
दरअसल, फसल अवशेष / पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण एवं मिट्टी की उर्वरा शक्ति के नुकसानों को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य के सभी जिले में पराली या फसल अवशेष जलाने को प्रतिबंधित किया गया है और जो भी किसान पराली जला रहे हैं उनके खिलाफ शासन द्वारा कार्रवाई की जा रही है। पराली नहीं जलाने की घटना को रोकने एवं किसानों को जागरूक करने के लिए सभी प्रखंडों में फ्लैक्स बैनर/होर्डिंग लगाया गया है। वहीं इसके लिए बार-बार जिला पदाधिकारी की तरफ से भी किसानों एवं अधिकारियों को दिशा- निर्देश जारी किया जा रहा है। इन सबके बीच राज्य के गया जिले से करीब 21 किसानों खिलाफ पराली जलाने की सूचना मिली है, जिन पर शासन ने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश भी दे दिया है। इसके साथ ही, जिला प्रशासक की अनुमति पत्र (पास) के कंबाइन हार्वेस्टर चलाने वाले लोगों पर मालिक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश प्रशासक द्वारा दिया गया है।
इसके अलावा, अपने कार्य में लापरवाही बरतने वाले 4 कृषि समन्वयक, 1 सहायक तकनीकी प्रबंधक का वेतन रोक दिया गया है और आदेश में बताया गया है कि जिन पंचायतों में फसल अवशेष या पराली जलाने की घटना होगी। इस क्षेत्र से संबंधित पंचायत के कृषि कर्मियों के विरुद्ध आरोप गठित कर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
गया जिले में कुल 21 किसानों के खिलाफ पराली जलाने के लिए प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने के जिला प्रशासक की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं। पराली जलाने वाले इन किसानों के पंजीयन ब्लॉक कराने के आदेश भी जारी कर दिया गया है। अब इन किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी भी सरकारी योजनाओं में लाभ भी नहीं दिया जाएगा। किसान अपने रजिस्ट्रेशन संख्या की मदद से ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan Samman Nidhi Yojana), कृषि इनपुट अनुदान (Agricultural Input Subsidy), बीज अनुदान (seed subsidy), कृषि यंत्रों पर अनुदान का लाभ ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त पैक्सों को धान/गेहूं उपज की बिक्री के लिए ऑनलाइन आवेदन सिर्फ वहीं किसान कर सकते हैं जिन्हें किसान पंजीकरण संख्या सरकार द्वारा प्रदान की गई है। फसल अवशेष जलाने के कारण जिले में जिन कृषकों का पंजीकरण अवरुद्ध (ब्लॉक) कर दिया गया वे सभी अब इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे।
ज़िला कृषि अधिकारी ने बताया कि खेतों में पराली या फसल अवशेषों को न जलाने के लिए बार-बार अनुरोध किया जा रहा है। इसके बावजूद भी कुछ किसान खेत में फसल अवशेष जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। खेत में फसल अवशेष जलाने से भूमि की ऊपरी परत पर मौजूद लाभदायक जीवणु मर जाते हैं, और जो लाभदायक जैव विविधता क्रिया उन सूक्ष्म जीव द्वारा की जाती है वह भी समाप्त हो जाती है। इससे भूमि में अम्लीयता बढ़ती है तथा मृदा की उर्वरक क्षमता को अत्यधिक क्षति पहुंचती है। फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे उठने वाले जहरीले धुआं से वातावरण प्रदूषित होता है और वायु की गुणवत्ता खराब होती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन तथा नाक एवं गले की समस्या बढ़ती है। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी, मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए जिला प्रशासान पराली या फसल अवशेष न जलाने के लिए किसानों से बार-बार अनुरोध कर रहा है। लेकिन बार-बार किसानों को जागरूक करने के बाद भी कुछ किसान फसल अवशेष जला रहे हैं, जिसको देखते हुए पराली जलाने वाले किसानों की पंजीकरण संख्या ब्लॉक कर दी गई है।
पराली या फसल अवशेष जलाने से फैलने वाले वायु प्रदूषण पर अंकुश, अग्निकांड दुर्घटना को रोकने के लिए कई राज्य में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के दिशा-निर्देशों के तहत कृषि विभाग एवं जिला अधिकारियों द्वारा आदेश जारी कर फसल अवशेष जलाने वाले किसानों के विरूद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। इसके अलावा, पर्यावरण मुआवजा के तौर पर किसानों पर जर्माना भी लगाया जा रहा है। वहीं, कृषि अधिकारियों द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से सभी जिला प्रखंडों में फसल अवशेष या पराली जलाने वाले किसानों के खेतों में सेटेलाइट मैपिंग के माध्यम से निगाहबानी भी की जा रही है।
बता दें कि राज्य शासन द्वारा एमपी में नरवाई जलाने वाले किसानों के ऊपर दंडात्मक कार्रवाई करते हुए अर्थदण्ड लगाने का प्रावधान किया गया है। इसमें दो एकड़ या इससे कम भूमि धारक किसान अगर फसल अवशेष जलाने की घटना को अंजाम देते हैं, तो उन्हें 2500 रूपए प्रति घटना जुर्माना देना पडे़गा। वहीं, इससे अधिक और पांच एकड़ से कम भूमि धारक को 5 हजार रूपए प्रति घटना और पांच एकड़ से अधिक भूमि धारक किसान को 15 हजार रूपए प्रति घटना जुर्माना भरने का प्रावधान किया गया है।
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