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कृषि यंत्र : किसानों को पराली प्रबंधन की सीआरएम मशीनों पर सब्सिडी

कृषि यंत्र : किसानों को पराली प्रबंधन की सीआरएम मशीनों पर सब्सिडी
पोस्ट -17 अक्टूबर 2024 शेयर पोस्ट

कृषि यंत्र : सब्सिडी पर सीआरएम मशीन लेने के लिए बड़ी संख्या में किसानों ने किया आवेदन, पराली की समस्या से निपटने में मिलेगी मदद 

Stubble Management Machinery : किसानों द्वारा रबी सीजन की फसलों की बुवाई करने की तैयारी की जा रही है। इस दौरान किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने की घटनाओं को अंजाम दिया जाएगा। कृषि वैज्ञानिक और सरकार द्वारा किसानों को पराली प्रबंधन का बेहतर तरीके से निपटारा करने के लिए बार-बार जागरूक करने के बावजूद भी कई क्षेत्रों के किसान इसे जला रहे हैं। पराली प्रबंधन किसानों और सरकार के लिए आज भी एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। पंजाब और हरियाणा जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में यह समस्या कुछ ज्यादा ही बढ़ गई। हालांकि कई सहकारी संस्थाएं और जागरूक किसान इसे रोकने के लिए आगे आ रहे हैं, ताकि किसानों को फसल अवशेष (पराली) प्रबंधन में राहत मिल सके।  इस कड़ी में टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, हरियाणा के करनाल जिले के 1,694 किसानों ने 2024-25 के लिए पराली प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए कदम आगे बढ़ाया है। इन किसानों ने राज्य सरकार की सब्सिडी योजना के तहत इन सीटू और एक्स सीटू फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनरी के लिए आवेदन किया है, जिसका उद्देश्य पराली जलाने की बढ़ती समस्या से निपटना है।

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किसानों ने खरीदी इन सीटू और एक्स सीटू मशीनें (Farmers bought in situ and ex situ machines)

द ट्रिब्यून  की एक रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से करीब 745 किसानों ने मशीनरी खरीद ली है, जबकि बाकी किसान इन्हें खरीद रहे हैं। इससे पहले करीब 8 हजार किसान इन सीटू और एक्स सीटू मशीनों को खरीद चुके हैं और फसल अवशेष प्रबंधन में योगदान दे रहे हैं। अब इन 1,694 किसानों के साथ नए प्रगतिशील किसान जुड़ रहे हैं, जिससे मशीनरी का उपयोग करने वाले किसानों की संख्या में इजाफा होगा। द ट्रिब्यून द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, जिले में 5.60 लाख एकड़ भूमि खेती योग्य है, जिसमें 5.25 एकड़ क्षेत्र शुद्ध बुवाई क्षेत्र है, इसमें से 4.25 लाख एकड़ क्षेत्र में धान की खेती होती है, जिसमें से 1.50 लाख एकड़ क्षेत्र बासमती चावल (Basmati Rice) के लिए समर्पित है। प्रति वर्ष धान की फसल से लगभग 8.50 लाख मीट्रिक टन (MT) पराली निकलती है, जिसमें लगभग तीन लाख मीट्रिक टन (MT) बासमती और लगभग 5.50 लाख MT (मीट्रिक टन) गैर-बासमती धान किस्मों की है। 

आवेदन करने करने वाले किसानों को जारी किए परमिट (Permits issued to farmers who applied)

कृषि विभाग ने किसानों से एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सीआरएम मशीनरी पर सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किया है, जिसमें फसल अवशेष (पराली) प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता की पेशकश की गई है। इस योजना के अंतर्गत 4  प्राथमिक प्रकार की सीटू और एक्स सीटू फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनरी उपलब्ध हैं। इनमें इन सीटू प्रबंधन के लिए सुपर सीडर (Super Seeder), स्लेशर (Slasher), घास रेक (hay rake) और बेलर मशीनें (Baler Machines) शामिल है, जो एक्स सीटू प्रबंधन के लिए एक साथ काम करते हैं। इस वर्ष अनुदान हेतु आवेदन करने वाले 1,694 किसानों में से 1,640 को परमिट जारी किए गए, जबकि 914 किसानों ने सब्सिडी के लिए पहले ही अपने बिल पोर्टल  पर अपलोड कर दिए हैं। करनाल के कृषि उपनिदेशक (डीडीए) डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि जिले में पराली प्रबंधन के लिए कुल 7,948 मशीनें हैं, जिनमें से 3,065 कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) के माध्यम से उपलब्ध हैं और 4,181 मशीनें व्यक्तिगत किसानों के स्वामित्व में हैं। 

किसानों को प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान (Announcement of giving incentive amount to farmers)

कृषि अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने इन सीटू विधियों के माध्यम से 2 लाख मीट्रिक टन और एक्स सीटू विधियों के माध्यम से 5.5 लाख मीट्रिक टन धान की पराली का प्रबंधन करने का लक्ष्य रखा है, जबकि 1 लाख मीट्रिक टन का उपयोग पहले से ही चारे के रूप में किया जा रहा है। धान की पराली को बांधने के लिए स्ट्रॉ बेलर का इस्तेमाल करने वाले किसानों को 1,000 रुपए प्रति एकड़ की नकद प्रोत्साहन राशि दिए जाने का ऐलान राज्य सरकार द्वारा किया गया है। जिन गांवों से पराली जलाने के सर्वाधिक मामले सामने आते हैं, उन गांवों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। यदि इन गांवों में किसानों द्वारा पराली जलाने की एक भी घटनाओं को अंजाम नहीं दिया जाता है, तो इन गांवों के किसानों को 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, जो किसान फसल अवशेषों को जलाए बिना मिट्टी में मिला देंगे उन्हें 1000 रुपए प्रति एकड़ दिया जाएगा। 

आयोजित किए गए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम (Various awareness programs organized)

कृषि उपनिदेशक के अनुसार, विभाग जागरूकता अभियानों और प्रवर्तन उपायों की एक श्रृंखला के माध्यम से खेत में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। विभाग किसानों को वैकल्पिक पराली प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इसके लिए विभाग द्वारा गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनमें हॉटस्पॉट गांवों में दीवार पेंटिंग, प्रमुख स्थानों पर जागरूकता वैन एवं बैनर शामिल हैं। विभाग द्वारा किसानों, कस्टम हायरिंग (सीएचसी) संचालकों और हॉटस्पॉट गांवों के युवाओं के लिए सीआरएम मशीनरी के संचालन और रखरखाव के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि किसानों को पराली प्रबंधन से भी अच्छा लाभ मिले। कई किसानों ने पराली प्रबंधन के लिए मशीनें खरीदी हैं और उनके इस्तेमाल से गांठें बनाना शुरू कर दिया गया है। किसान इसे 1,700 से 1,900 रुपए प्रति क्विंटल बेच भी रहे हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय भी हो रही है। 

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