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पराली प्रबंधन : डीकम्पोजर का मुफ्त छिड़काव करने पर मिलेगा 1,000 रुपए का अनुदान

पराली प्रबंधन : डीकम्पोजर का मुफ्त छिड़काव करने पर मिलेगा 1,000 रुपए का अनुदान
पोस्ट -29 अक्टूबर 2022 शेयर पोस्ट

किसानों को पराली गलाने के लिए सरकार देगी फ्री डीकम्पोजर और अनुदान

देश में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए कई राज्य सरकारों ने बड़ा कदम उठाया है। इसमें सरकार की ओर से पराली निस्तारण में काम आने वाली मशीनों पर छूट, पूसा डीकम्पोजर का मुफ्त स्प्रे और खेतों में इसका स्प्रे करने पर किसानों को 1 हजार रुपए तक की राशि बतौर सब्सिडी के रूप में दी जा रही है। केंद्र और राज्य सरकारों के इन प्रयासों से इस साल देश में पराली जलाने की घटनाएं काफी कम हुई है। लेकिन बिना प्रदूषण के पराली निस्तारण में पूसा डीकम्पोजर ने एक अहम भूमिका अदा की है। भविष्य में पराली जलाने पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए कई राज्य सरकारें पूसा डीकम्पोजर के इस्तेमाल को बढ़ावा भी दे रही है। इसमें हाल ही में देश के राजधानी राज्य दिल्ली ने प्रदेश के एनसीआर गांव में मुफ्त डीकम्पोजर का स्प्रे करवा है। और अभी तक भी दिल्ली सरकार खेतों में इसका मुफ्त छिड़काव करवा रही है। इसके बेहतर परिणाम को देखते हुए अब हरियाणा राज्य भी बिना प्रदूषण के पराली निस्तार के लिए मुफ्त डीकम्पोर के छिड़काव की योजना बना रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, हरियाणा में पराली प्रबंधन करने के लिये पूसा डीकम्पोजर का छिड़काव मुफ्त में किया जायेगा। तथा जो किसान पराली निस्तारण के लिए इसका छिड़काव अपने खेतों में करवायेगा, सरकार उसे एक हजार रुपए तक की सब्सिडी भी देगी। इसके लिए किसानों को https://agriharyana.gov.in/ पर अपना पंजीकरण करवाना होगा। तो आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से हरियाणा सरकार की इस योजना के बारें में विस्तार से जानते है।  

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खेती और पर्यावारण के लिये वरदान बन चुका है पूसा डीकम्पोर

रिपोर्ट्स की जानकारी के अनुसार पराली निस्तारण के लिए पूसा डीकम्पोजर के इस्तेमाल से किसान बेहद खुश है। पूसा डीकम्पोजर ने सरकार और किसानों को पराली जलाने जैसी गंभीर समस्या से राहत प्रदान की है। डीकम्पोजर के छिड़काव से पराली जलाने जैसी घटनाएं कम हुई है। किसानों से बातचीत करने के बाद पता चला की डीकम्पोजर के छिड़काव के एक सप्ताह में यह पराली के अवशेषों को गलाकर उसे खाद में बदल देता है। इससे खाद का खर्च भी बच जाता है, साथ ही मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ जाती है। तथा पराली जलाने की समस्या भी खत्म हो जाती है। हवा में ज्यादा प्रदूषण भी नहीं होता है। वर्तमान समय में ये इको फ्रेंडली सोल्यूशन खेती और पर्यावरण के लिए वरदान बन चुका है। तथा इसका सीधा फायदा किसान और सरकार दोनों को मिल रहा है। 

1,000 रुपए की राशि अनुदान के तौर पर देगी सरकार 

रिपोर्ट्स के अनुसार खरीफ सीजन की फसलों की कटाई से पहले ही हरियाणा सरकार ने पराली के निस्तारण के लिए तैयारियां शुरू कर दी थी। इसके लिए हरियाणा सरकार ने पराली मैनेजमेंट के काम आने वाली मशीनों को छूट पर देने पर  फैसला भी लिया था। किसानों को व्यक्तिगत तौर पर 50 फीसदी और समितियों को 80 फीसदी छूट भी प्रदान की गई थी। राज्य में पराली जलाने की घटनाएं न हो इसके लिए हरियाणा सरकार ने पराली मैनेजमेंट के लिए धान की कटाई के बाद कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने मुफ्त में डीकम्पोजर का छिड़काव करवाने का फैसला भी किया है। इतना ही नहीं, पराली मैनेजमेंट के लिए राज्यभर के किसानों को ये सुविधा मुफ्त मुहैया करवाई जाएंगी। वहीं, जो किसान पराली के निस्तारण के लिए पूसा डीकम्पोजर का छिड़काव अपने खेतों में करवायेगा, सरकार उसे 1,000 रुपए अनुदान के तौर पर देगी। प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि इससे पराली जलने की घटनाओं में कमी आएगी। और पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा तथा मिट्टी की उर्वरक शक्ति भी बढ़ेगी।

किसानों को करवाना होगा अपना पंजीकरण 

धान फसलों की कटाई के वक्त पराली प्रबंधन एक गंभीर समस्या बन कर खड़ी हो जाती है। इसके प्रबंधन के बावजूद भी हर साल हरियाणा में कई जगहों से पराली जलाने की घटना सामने आती रहती हैं। बता दें कि हरियाणा के यमुनानगर जिले में करीब 85 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल खड़ी थी। धान फसलों की कटाई के बाद पराली प्रबंधन के लिए कृषि विभाग ने मुफ्त में डीकम्पोजर का छिड़काव करवाने का फैसला किया है। और फसल अवशेष प्रबंधंन स्कीम के तहत पराली की छिड़काव अपने खेतों में करवाने पर सरकार उसे 1,000 रुपए का अनुदान देगी। पूसा डीकम्पोजर के मुफ्त छिड़काव और फसल अवशेष मैनेजमेंट के जरिए एक हजार रुपये प्रति एकड़ राशि पाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा की आधिकारिक वेबसाइटप पर अपना पंजीकरण करवाना पड़ेगा। इस स्कीम का लाभ उठाकर धान की खेती करने वाले किसान आसानी से फसलों के अवशेष का प्रबंधन सीख सकते हैं और बढि़या मुनाफा हासिल कर सकते हैं।

क्या है पूसा डीकम्पोजर?

जानकारी के लिए बता दें कि पूसा डीकम्पोजर एक जैव सॉल्यूश है, जो पाउडर के तौर पर कैप्सूल में और तरल पदार्थ के तौर पर बोतलों में भरा होता है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक पूसा डीकम्पोजर फसल अवशेषों को गलाने के लिये विकसित किया गया है। ये पराली को निपटाने का सबसे सस्ता और टिकाऊ तरीका बन चुका है। डीकंपोजर घोल का छिड़काव करने के कुछ दिनों बाद पराली सड़कर खाद में बदल जाता है। इसके बाद धान के फानों को जमीन में कृषि मशीनों के सहारे दबाया दिया जाता है। ऐसा करने करने से जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। और किसानों को अब पराली के निस्तारण के लिए टेंशन भी नहीं रहा। अब पराली किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।  

इस प्रकार करें पूसा डीकम्पोजन का छिड़काव

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल राज्य सरकार पहले से ही सतर्क होते हुए पराली के प्रबंधन के लिए तैयारी करती देखी गई थी। धान फसलों की कटाई के दौरान किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं के निस्तारण के लिए सरकार ने बेहद सख्त फैसलें भी लिए थे। इसके लिए प्रशासन ने खेतों में बायो डीकंपोजर घोल का छिड़काव का निर्णय भी लिया है। किसान खुद तो पूसा डीकम्पोजर खरीद ही रहे हैं। साथ ही अब राज्य सरकार भी किसानों को डीकम्पोजर छिड़काव की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध करवा रही है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, डीकम्पोजर का स्प्रे करने वाली मशीन भी एक दिन में 20 एकड़ से ज्यादा जमीन पर स्प्रे कर सकती है। एक एकड़ खेत में इसके छिड़काव के लिए 300 ग्राम डीकम्पोजर काफी रहता है। ये बेहद कम दामों में उपलब्ध करवाया जाता है, इसलिये किसान चाहें तो खुद भी पूसा डीकम्पोजर खरीदकर फसल अवशेषों पर छिड़काव कर सकते हैं। 

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