Cotton Crop Season 2024 : आगामी 20 अप्रैल से देश के कई राज्यों में कपास की बिजाई का काम किसानों द्वारा शुरू कर दिया जाएगा। वहीं, पिछले वर्ष कई प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में कपास की फसल में गुलाबी संडी (पिंक बॉलवर्म) का प्रकोप देखा गया, जिसके कारण कपास की फसल को काफी नुकसान हुआ। पैदावार घटने से कपास किसानों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा था। इसके देखते हुए कृषि विभाग ने आगामी फसल सीजन 2024 (Crop Season 2024) के लिए तैयारी शुरू कर दी है, जिससे कपास की फसल (Cotton Crop) में गुलाबी सुंडी के संक्रमण को रोका जा सके।
पिछले साल कपास फसल सीजन के दौरान राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) का आक्रमण देखा गया, जिससे फसल को बड़े स्तर पर नुकसान हुआ था। इस फसल सीजन में भी गुलाबी सुंडी के प्रकोप की आशंका कृषि विभाग द्वारा जताई जा रही है, जिसको लेकर कृषि विभाग राजस्थान सरकार द्वारा आगामी खरीफ सीजन 2024 में कपास की फसल (Cotton Crop) में गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए किसानों के मध्य जागरूकता फैलाने का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार किसानों के बीच संगोष्ठी, पंफ्लेट, सोशल मीडिया प्लेटफार्म का सहारा लेगी। साथ ही क्षेत्र के किसानों को समय से फसल की बिजाई करने, बिजाई के वक्त बीज की उपयुक्त दूरी रखने तथा बीज की मात्रा इत्यादि की जानकारी दी जा रही है।
कृषि विभाग के अनुसार, राजस्थान की मुख्य पैदावार में से एक कपास में पिछले साल गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) का प्रकोप अधिक देखने को मिला। गुलाबी सुंडी के प्रकोप के कारण कपास की फसल को काफी नुकसान हुआ था। ऐसे में आगामी फसल सीजन में कपास में गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए राजस्थान सरकार ने कृषि एवं उद्यानिकी विभाग से विचार विमर्श के दौरान एडीजी सीड्स व अन्य वैज्ञानिकों द्वारा कीट प्रकोप से बचाव के लिए निम्न उपाय बताए हैं। कृषि वैज्ञानिकों और विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, पिछले साल जिले में बीटी कपास ( BT Cotton) की बिजाई मार्च के अंत से शुरू हो गई थी, जो मई अंत तक चली थी। गुलाबी सुंडी का प्रकोप, बॉल सड़ने के रोग और बॉल के अपरिपक्व रहने से आशा अनुरूप कपास का उत्पादन नहीं मिला। ऐसे में इस बार नुकसान से बचने के लिए किसानों को कपास की बिजाई से पहले अपने खेतों में भंडारित कपास की बनछटियों के ढेर का निस्तारण कर देना चाहिए।
आगामी खरीफ सीजन 2024 में कपास में गुलाबी सुंडी को नियंत्रण कर कॉटन के उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सके, इसके लिए राज्य कृषि विभाग के वैज्ञानिकों और विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) की पहचान कर उसके लार्वा नष्ट करने के लिए तकनीकी जानकारी और रोकथाम के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में कपास की बिजाई 20 अप्रैल से 20 मई के बीच करना फायदेमंद बताया गया है। कपास की खेती के लिए अगेती और पिछेती बिजाई हर बार कारगर नहीं होती है। ऐसे में किसानों को सलाह है कि उपयुक्त समय पर ही कपास की बिजाई करनी चाहिए। सिंचाई के लिए पानी की उचित व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में पिछेती बिजाई करने के स्थान पर किसान भाई मोठ, मूंग और उड़द आदि फसल की बुआई को प्राथमिकता दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त विभागीय अधिकारी एवं फील्ड स्टाफ की तरफ से किसानों को कपास की बिजाई संबंधी विभिन्न तकनीकी जानकारी भी दी जा रही है।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में पिछले फसल सीजन में दो लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बीटी कपास (BT Cotton) की बिजाई किसानों द्वारा की गई थी, जिसमें गुलाबी सुंडी कीट के प्रकोप से लगभग 80 प्रतिशत से अधिक फसलें नष्ट हो गई थी। इसको देखते हुए किसान इस सीजन के लिए ऐसे किस्म के बीज की तलाश में है, जिनमें गुलाबी सुंडी कीट (pink caterpillar) का प्रकोप न हो। कई सोशल मीडिया प्लेट फार्म पर बीटी कॉटन 4 तक किस्म के बीज होने का दावा किया जा रहा है तथा इसमें यह भी बताया जा रहा है कि गुलाबी सुंडी का प्रकोप नहीं होता है। इससे किसान भी नकली कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर अब तक बीटी कॉटन-2 किस्म के बीज ही उपलब्ध है, जिसमें गुलाबी सुंडी की प्रतिरोधी क्षमता नहीं है।
कृषि विभाग के अधिकारी के अनुसार, जिले के लिए कपास की बुवाई का समय 20 अप्रैल से 20 मई उपयुक्त माना जाता है। बिजाई से पूर्व अच्छे किस्म के बीज का चयन करना जरुरी है। बीटी कॉटन के एक बीघा खेत में 475 ग्राम वजन वाले एक पैकेट बीज का ही उपयोग में लेने की सलाह है। इसके अलावा, प्रति बीघा 2-3 पैकेट (475gm) बीज की बोनी करना फायदेमंद नहीं होता है। बिजाई हेतु बीटी कपास की ढाई फीट वाली बुआई यंत्र को 3 फीट (108 सेमी.) पर सेट करने की सलाह दी गई है। ध्यान रखें के किसी भी हालत में 3 फीट से कम दूरी पर बीज की बोनी नहीं करनी चाहिए। पहली सिंचाई के पश्चात पौधे से पौधे की दूरी 2 फीट रखने के लिए विरलीकरण करना आवश्यक है। बुवाई के वक्त सिफारिश खाद-उर्वरक बेसल में अवश्य देना चाहिए।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, कपास की बनछटियां में अधखिले टिडों में गुलाबी सुंडी के लार्वा उपस्थित रहते हैं, जिसे नष्ट किया जाना अति आवश्यक है। किसानों को सलाह है कि बुवाई से पहले खेत में से कपास की लकड़ियों को झाड़कर किसी अन्य स्थान पर ले जाएं व बचे हुए अवशेष को जलाकर नष्ट कर दें, जिससे भविष्य में बीटी कॉटन में गुलाबी सुंडी प्रकोप से होने वाले फसल नुकसान से बचा जा सके।
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