Goat Farming : देश में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र एवं राज्य सरकारें आपस में मिलकर कई प्रोत्साहन योजनाएं संचालित कर रही है। इनके माध्यम से किसान परिवारों व बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस बीच बेरोजगार युवाओं को बकरी पालन में स्वरोजगार शुरू करने के लिए पशुपालन विभाग ने दो वर्षो से बंद पड़ी समेकित बकरी विकास योजना को पुन: शुरू कर दिया है। राज्य सरकार द्वारा एक बार फिर से गरीब परिवारों को बकरी पालन के माध्यम से स्वरोजगार अवसर उपलब्ध कराने की पहल की गई है। इस वर्ष इसका लाभ राज्य के सभी वर्ग के लाभार्थियों को मिलेगा। राज्य सरकार योजना के तहत सामान्य वर्ग में आने वाली जातियों को 50 प्रतिशत और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के परिवारों को 60 प्रतिशत अनुदान देगी। इसके लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने 5 करोड़ 22 लाख 85 हजार रुपए का बजट रखा है। योजना के तहत विभाग ने एक उन्नत नस्ल के बकरे की औसत कीमत 15 हजार रुपए रखी है। सामान्य वर्ग को प्रति बकरे के साथ 20 बकरियों के लिए 1 लाख 21 हजार रुपये और एससी/एसटी परिवारों वर्ग को 1 लाख 45 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा।
दरअसल राज्य के छोटे व सीमांत किसानों एवं अनुसूचित जाति, जनजाति परिवारों को रोजगार देने के लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा समेकित बकरी विकास योजना को संचालित किया जाता है। इस योजना के तहत बकरी पालन फार्म इकाई स्थापित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से लाभार्थी परिवार को अनुदान दिया जाता है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा इस योजना के तहत सामान्य जाति वर्ग को 50 प्रतिशत और एससी/एसटी परिवारों को 60 प्रतिशत अनुदान का लाभ प्रदान किया जाता है। योजना के नियम व शर्त के मुताबिक लाभार्थी को कम से कम पांच वर्षो तक बकरी फार्म चलाना अनिवार्य है। हालांकि दो साल से यह योजना बंद पड़ी है, लेकिन इस वर्ष राज्य सरकार ने गरीब परिवारों को बकरी पालन के माध्यम से आजीविका कमाने का अवसर प्रदान करने के लिए एक बार फिर समेकित बकरी विकास योजना को शुरू कर दिया है। अगर आप बकरी पालन फार्म खोलने की सोच रहे हैं तो सरकार इस योजना के तहत आवेदन कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
जिला पशुपालन अधिकारी डॉ कांता प्रसाद ने बताया कि पशुपालन विभाग बिहार सरकार ने बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए दो साल से बंद पड़ी समेकित बकरी विकास योजना को फिर से शुरू कर दिया है। इस योजना से सभी वर्गों को लाभ मिलेगा। जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 50 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत अनुदान निर्धारित किया गया है।
जिला पशुपालन अधिकारी कांता प्रसाद ने बताया कि यह योजना तीन श्रेणियों में विभाजित है, पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर पहली योजना 20 बकरियों और एक बकरे के लिए है। दूसरी योजना 40 बकरियों और दो बकरों के लिए है, जबकि तीसरी योजना 100 बकरियों और पांच बकरों के साथ शुरू होगी। उन्नत नस्ल के बकरे की औसत कीमत 15 हजार रुपये है, इसके लिए सामान्य वर्ग को प्रति बकरे के लिए 1 लाख 21 हजार रुपये और एससी, एसटी को 1 लाख 45 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। दूसरी योजना के तहत 40 बकरियों और दो बकरों के लिए अनुदान दिया जाएगा, जबकि तीसरी योजना में 100 बकरियों और पांच बकरों के लिए अनुदान मिलेगा। इन दोनों योजनाओं के लिए, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने कुल 5 करोड़ 22 लाख 85 हज़ार रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित की है।
अधिकारी कांता प्रसाद के अनुसार, निजी क्षेत्र में बकरी फार्म (20 बकरी के साथ 1 बकरा क्षमता, 40 बकरियों के साथ 2 बकरा क्षमता, 100 बकरियों के साथ 5 बकरा क्षमता) की स्थापना लागत पर सभी वर्गों को लाभ मिलेगा। योजना के तहत एक बकरे के साथ 20 बकरियों की लागत 2.42 लाख रुपए तय की गई है, जिस पर सामान्य वर्ग को 50 प्रतिशत यानी 1.21 लाख रुपए अनुदान दिया जाएगा, जबकि अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग को 60 प्रतिशत या 1.45 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा। इस प्रकार 40 बकरियों और 2 बकरों की अनुमानित लागत 5.32 लाख रुपए है, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 50 प्रतिशत या अधिकतम 2.66 लाख रुपए का अनुदान है, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए यह अनुदान 3.19 लाख रुपए है। 100 बकरियों और पांच बकरों की कुल कीमत 13 लाख 4 हजार रुपये है, जिसमें सामान्य वर्ग को 6. 52 लाख रुपए और आरक्षित वर्ग को 7.82 लाख रुपए की सब्सिडी दी जाती है।
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