प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना : मत्स्य पालन क्षेत्र को पहले से और अधिक मुनाफेदार तथा सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य की सरकारें अपने लेवल पर कई योजनाएं लागू कर रही हैं। इनके तहत मछुआरों व मत्स्य पालन करने वाले किसानों को आर्थिक लाभ के साथ विभिन्न सुविधाएं भी मुहैया करवाई जा रही है ताकि वे कम लागत में मछली पालन शुरू कर अपनी आय को बढ़ा सकें। वर्तमान में कई राज्य के युवा मत्स्य किसान एवं मछुआरा समुदाय के लोग बड़े स्तर पर मछली पालन से जुड़ रहे हैं और इस क्षेत्र में नए रोजगार के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। इन सबमें केंद्र एवं राज्य की सरकारें भी उनकी मदद कर रही हैं। इस बीच झारखंड में मछली पालन क्षेत्र का काफी तेजी से विस्तार हो रहा है। राज्य में मछली पालन के लिए बड़ी संख्या में मत्स्य किसानों को राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। वहीं, राज्य के रांची स्थित शालीमार मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र में मछली पालन के इच्छुक युवा किसानों को दो दिवसीय निशुल्क आवासीय प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी बीच झारखंड में सक्रिय मत्स्य किसानों एवं मछुआरों को सामूहिक दुर्घटना बीमा का लाभ दिया जाएगा। खास बात यह है कि इसके लिए लाभार्थियों को कोई प्रीमियम भी नहीं भरना होगा। आईए, इस योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं।
दरअसल, झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार राज्य के सक्रिय मछुआरों और मत्स्य किसानों को सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना से जोड़ने पर कार्य कर रही है। इसके तहत मछुआरों को बीमा कवर योजना का लाभ देने की योजना बनाई गई है, जिसके माध्यम से राज्य के सक्रिय मछुआरों को सामूहिक दुर्घटना बीमा कवर का लाभ मिलेगा। हेमंत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) के अंतर्गत मछुआरों को बीमा कवर का लाभ देने का प्रावधान किया है। इस बीमा कवरेज के लाभ दिए जाने के संबंध में मत्स्य निदेशालय, झारखंड सरकार की ओर से आदेश भी जारी किया गया है। इसके अनुसार, योजना के अंतर्गत 18 से लेकर 70 वर्ष की आयु तक के सभी सक्रिय मछुआरों को बीमा कवर योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा।
मत्स्य निदेशालय के अनुसार, सामूहिक दुर्घटना बीमा का लाभ लेने के लिए मछुआरों को संबंधित जिला मत्स्य कार्यालय में आवेदन देने का आदेश दिया गया है। पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत इस योजना का लाभ उन मछुआरों को मिलेगा जो किसी भी निबंधित मत्स्यजीवी सहयोग समिति या मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहयोग समिति के सदस्य हों। इसके साथ ही जिला स्तर, प्रमंडल स्तर या राज्य स्तर पर मत्स्य विभाग से संबद्ध मत्स्य किसानों, मत्स्य विक्रेता, मत्स्य बीज उत्पादक, मछली के तालाब में काम करने वाले मत्स्य श्रमिक, मछली पकड़ने वाले और मत्स्य मित्र या मत्स्य पालन क्षेत्र से संबद्ध गतिविधियों से जुड़े लोगों को भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
मत्स्य निदेशालय झारखंड से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीमित मछुआरे की मृत्यु पर बीमा कंपनी द्वारा बीमित व्यक्ति के परिजनों को 5 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा अगर किसी दुर्घटना में बीमित मछुआरे को पूर्ण अपंगता हो जाती है तब भी इस योजना के तहत बीमा कवर का लाभ दिया जाएगा, जबकि मछुआरे को स्थायी आंशिक अपंगता की स्थिति में 2.50 लाख रुपए के बीमा कवरेज का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा, इस योजना के तहत बीमित व्यक्ति के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में 25 हजार रुपए तक का खर्च लाभ मिलेगा। इसके लिए लाभार्थी को किसी तरह का कोई प्रीमियम नहीं भरना होगा।
मत्स्य निदेशालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत मछुआरों को बीमा योजना का लाभ लेने के लिए अपना नाम, पता, आधार नंबर, पैन नंबर, जन्म तिथि, मोबाइल नंबर और बैंक खाता समेत अन्य जानकारियों का विवरण निर्धारित प्रारूप में भरकर जमा कराना होगा। इसके बाद इस प्रारूप को अपने संबंधित जिले के जिला मत्स्य कार्यालय में जमा कराना होगा। कार्यालय व बीमा कंपनियों के सत्यापन के बाद बीमित व्यक्ति को इस बीमा योजना का लाभ प्रदान कर दिया जाएगा। विशेष जानकारी के लिए मत्स्य पालन करने वाले किसान व पारंपरिक सक्रिय मछुआरे जिला मत्स्य कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) को लगभग 20,050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ “आत्मनिर्भर भारत” के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था। पीएमएमएसवाई योजना वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक यानी 5 वर्षों की अवधि के लिए देश के सभी केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में लागू की जा रही है। इस योजना के तहत संस्थागत ऋण तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए मछुआरों व मछली पालकों को बीमा कवरेज, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा भी मुहैया करवाई जाती है। इस योजना के तहत लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार के मुताबिक, इस योजना के तहत सभी उप-घटक/गतिविधियां विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित की जाती है। साथ ही लागत राशि केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें आपस में साझा करती है। योजना के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार है :
देश की अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरों और इस क्षेत्र से जुड़े कई अन्य परिवारों को आजीविका प्रदान करता है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) के तहत वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक 14,654.67 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
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