PACS : प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) के माध्यम से ग्राम पंचायतों में किसान, कारीगर और अन्य कमजोर तबकों के जरूरतमंद लोगों को ऋण एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। राज्य में काम करने वाली यह सहकारी समितियां संबंधित राज्य के सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत संचालित होती है। इस क्रम में छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए ठोस रणनीति तैयार करने कवायद शुरू की जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy) को मजबूत करने के लिए राज्य की सभी ग्राम पंचायतों में सहकारी समितियों (Co-operatives) का नेटवर्क विस्तार करने की तैयारी कर ली है। किसानों को वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए राज्य में सहकारी समितियों का दायरा पहले से अधिक व्यापक बनाया जाएगा। राज्य के हर ग्राम पंचायत में प्राथमिक सहकारी समिति (PACS) को विकसित किया जाएगा।
सहकारिता विभाग के सचिव डॉ. सी आर प्रसन्ना और सहकारिता आयुक्त कुलदीप शर्मा ने ‘सहकार से समृद्धि’ पर बनाई गई कार्ययोजना की समीक्षा बैठक की और अधिकारियों को इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस समीक्षा बैठक में कृषि विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग, दुग्ध महासंघ, मत्स्य महासंघ, कॉमन सर्विस सेंटर तथा प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र समेत अन्य विभागों के अधिकारियों की अलग-अलग भूमिका तय करने के निर्देश दिए गए।
इस बैठक में पंचायतवार, पैक्स (PACS), मत्स्य समिति (fisheries committee) और दुग्ध समितियों (milk societies) की जानकारी उपलब्ध कराने के साथ ही क्रियाशील और अक्रियाशील समितियों के तत्काल चिन्हांकन कर सक्रिय करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे ग्राम पंचायत जहां एक भी समिति नहीं है, वहां नवीन समितियों का गठन किया जाए। सचिव डॉ. सी आर प्रसन्ना ने कहा कि आगामी छह-छह माह का लक्ष्य बनाकर प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को मजबूत करने तथा मल्टी एक्टिविटी की सुविधाएं बढ़ाने के दिशा में काम किया जाए।
उन्होंने कहा कि पैक्स (PACS) को मल्टी परपस PACS के रूप में विकसित करने से ग्रामीण लोगों के लिए घर के द्वार पर ही अनेक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इससे किसानों, गरीबों और मजदूरों के समय और पैसे की बचत होगी। उन्होंने जिलेवार, पंचायतवार, पेक्स, मत्स्य समिति और दुग्ध समितियों की जानकारी उपलब्ध कराने के साथ ही क्रियाशील और अक्रियाशील समितियों के चिन्हांकन करने के निर्देश भी दिए और कहा जिन ग्राम पंचायत में एक भी समिति नहीं है, उन्हें लक्ष्य में रखकर नवीन समितियों का गठन किया जाए।
उन्होंने विश्व अन्न भंडारण योजना, भारतीय बीज सहकारी समिति, राष्ट्रीय सहकारी निर्यात समिति, प्रधानमंत्री जनऔषधि केन्द्र, कॉमन सर्विस सेंटर (Common Service Center) एवं ई-डिस्ट्रिक्स सर्विस (E District Service) की स्थिति सहित विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्राप्त की। संभव समस्त सहकारी संस्थाओं के खाते जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में अनिवार्यता से खोला जाना चाहिए, जिससे सहकारिता का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) एवं रूपे कार्ड किसानों को मुहैया कराने के काम की प्रगति की भी समीक्षा की। राज्य के ज्यादा से ज्यादा किसानों को इन योजना से लाभान्वित करने के निर्देश दिए। साथ ही सभी समितियों के डेटाबेस को अपडेट करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
सहकारिता विभाग के सचिव डॉ. सी आर प्रसन्ना ने कहा, आगामी खरीफ फसल की खरीदी का समय नजदीक आ रहा है। ऐसे में सभी समितियों के पुराने कार्यों का ऑडिट अनिवार्य रूप से कर लिया जाए। मौजूदा समय में राज्य में 2058 सहकारी समितियों और 2739 धान उपार्जन केन्द्र हैं। इन खरीद केंद्रों की मदद से किसानों की धान उपज की खरीद न्यनूतम समर्थन मूल्य पर होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे ग्राम पंचायत अथवा ऐसे स्थान जहां खरीद केंद्रों की दूरी अधिक है, वहां नई सहकारी समितियों का गठन किया जाए।
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