Mulching Farming : खेती में मल्चिंग तकनीक किसानों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है। इस कृषि तकनीक के उपयोग से कई किसान उच्च मूल्यवर्द्धित बागवानी फसलों की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें काफी बेहतर पैदावार भी मिल रही है। मल्चिंग बेड विधि तकनीक किसानों का पैसा बचाने में भी मददगार साबित हो रही है। क्योंकि मल्चिंग तकनीक से खेती करने पर किसानों को खरपतवार के लिए कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ती है। साथ ही कम सिंचाई संसाधनों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। मल्चिंग तकनीक के इन्हीं फायदों को देखते हुए कई कम पानी वाले राज्य किसानों को मल्चिंग लगाने के लिए इकाई लागत पर सब्सिडी भी प्रदान कर रहे हैं। इन्हीं राज्यों में बिहार भी शामिल है। किसानों के लिए वरदान साबित हो रही मल्चिंग तकनीक के लिए बिहार सरकार राज्य में किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान दे रही है, ताकि बागवानी फसलों को बढ़ावा देकर उसकी खेती को सुविधाजनक बनाया जा सके। ऐसे में सरकार की इस योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आइए, जानते हैं योजना से संबंधित पूरी डिटेल्स।
उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग बिहार की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “X” पर किए गए एक ट्वीट के मुताबिक, बिहार सरकार राज्य में मल्चिंग तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए किसानों को मल्चिंग बेड लगाने पर इकाई लागत की 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी राशि दी जाएगी। डीबीटी के माध्यम से यह राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
बिहार कृषि विभाग के ट्वीट के मुताबिक, मल्चिंग से किसानों को मूल्यवर्द्धित सब्जी व अन्य बागवानी फसलों की खेती करने में आसानी होगी। मल्चिंग से खेत की भूमि का तापमान नियंत्रित रहता है। यह वाष्पीकरण को रोकता है, जिससे खेत में नमी की मात्रा बनी रहती है। यह तकनीक खेत में मिट्टी के कटाव को रोकती है। मल्चिंग विधि से खेत में खरपतवार को रोकने में मदद मिलती है, जिससे पौधों को सुरक्षित रखने हेतु खेत की बार-बार निराई-गुडाई का कार्य किसान को नहीं करना पड़ता है। इससे खेत की मिट्टी को कठोर होने से बचाया जा सकता है, जिससे पौधों की जड़ों का विकास सुचारू रूप से होता है। इस बेड तकनीक का इस्तेमाल करने पर बागवानी फसलों में कीट-रोगों का खतरा भी कम ही रहता है। इस तकनीक में उर्वरकों का भी पूरा सदुपयोग होता है। इसमें खरपतवार भी नहीं के बराबर होती है, जिससे निराई-गुड़ाई के खर्च में कमी आती है। मल्चिंग तकनीक से किसान खरबूजे के साथ खीरा, टमाटर, लौकी, शिमला मिर्च जैसी सब्जियों की खेती कर सकते हैं।
बिहार कृषि विभाग की ओर से संरक्षित खेती से संबंधित योजना 2024-25 लागू की गई, जिसके तहत संरक्षित खेती योजना (राज्य योजना) घटक का कार्यान्वयन राज्य के सभी जिलों में कराया जाएगा। इस घटक के तहत मल्चिंग के लिए इकाई लागत 32,000.00 रुपए प्रति हेक्टेयर का 50 प्रतिशत यानी 16,000.00 रुपए प्रति हेक्टेयर सहायतानुदान किसानों को दिया जाएगा। उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग बिहार सरकार ने संरक्षित खेती योजना (राज्य योजना) 2024-25 हेतु ऑनलाईन आवेदन फॉर्म आमंत्रित किए हैं। इच्छुक किसान मल्चिंग बेड तकनीक से खेती करना चाहते हैं, तो सरकार इसके लिए सब्सिडी मुहैया करा रही है। आप संरक्षित खेती योजना (राज्य योजना) 2024-25 हेतु ऑनलाईन आवेदन आधिकारिक वेबसाइट के लिंक horticulture.bihar.gov.in पर कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए इच्छुक किसान अपने जिले के कृषि या बागवानी विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं।
मल्चिंग खेत की मिट्टी को एक परत से ढकने की प्रक्रिया है। यह खुली मिट्टी को कटाव से बचाती है, मिट्टी में नमी बनाए रखती है और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करती है। खेती में प्लास्टिक मल्चिंग बिछाने के सबसे पहले क्यारी में बेड तैयार किए जाते हैं। बैड सुबह या शाम के समय ही तैयार करना सही रहता है। मल्चिंग बिछाने के लिए हमेशा अच्छी क्वालिटी की प्लास्टिक का ही इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे प्लास्टिक के नैनो कण मिट्टी में ना मिले और मृदा प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकें। प्लास्टिक मल्चिंग फिल्म काला, पारदर्शी, दूधिया, प्रतिबिम्बित, नीला, लाल इत्यादि रंग की हो सकती है। प्लास्टिक मल्चिंग में पौधों की रोपाई के लिए छेद तैयार करते समय ड्रिप सिंचाई पाइप का विशेष ध्यान रखे। प्लास्टिक फिल्म में छेद एक जैसे करे और फिल्म न फटे इस बात का ख्याल रखे। प्लास्टिक मल्चिंग फिल्म को चारों तरफ से मिट्टी से कवरेज करें, जिससे पॉलीथीन फटने या उड़ने से बचा सके।
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