Cotton Farming : इस खरीफ सीजन में कपास की फसल (Cotton Crop) कीट-रोगों से प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार के साथ-साथ कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम खेतों में जाकर का फसलों का उचित निरीक्षण कर रही है और कपास में लगने वाले कीट-रोगों के नियंत्रण के लिए तकनीकी जानकारी दे रही है। फसल में कीट रोगों की पहचान कर उनके प्रबंधन के लिए किसानों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है, ताकि कपास की फसल को मुख्य कीट-रोगों से बचाया जा सके। इस कड़ी में मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के कृषि उपसंचालक ने कपास की फसल को मुख्य कीट-रोगों से बचाने के लिए सलाह जारी की है। कपास किसान इन सलाह को अपनाकर फसल को प्रकोप से बचा सकते हैं और उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते हैं। आइए कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए जारी सलाह के बारे में जानते हैं।
खरगोन जिला के कृषि विभाग के उप संचालक मेहताब सिंह सोलंकी ने सभी किसानों के लिए सलाह जारी की है कि अगर कपास के पौधे मुरझाते हुए घेरे में दिखाई देते हैं, तो उसमें कार्बेन्डाजिम एक ग्राम या कॉपर आक्सीक्लोराइड तीन ग्राम दवा प्रति लीटर पानी के हिसाब से पौधों की जड़ों में ट्रेंचिंग (टोहा) करें। उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं पर कपास फसल के पौधों के पत्तों में सिकुड़न (Shrinkage of plant leaves) पाई गई है। जिसमें रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स, हरा मच्छर का प्रकोप पाया गया। इसके प्रबंधन के लिए किसानों को फसल पर फ्लोनिकोमाइड 50 डब्ल्यूपी 06 ग्राम/पम्प या फिप्रोनिल 20 एमएल प्रति दवाओं का पंप छिड़काव करें। प्रकोप अधिक होने पर फिप्रोनिल प्लस इमिडाक्लोरोप्रिड के मिश्रण का भी छिड़काव फसल पर करने की सलाह दी गई है।
कपास की फसल अब फूल देने की अवस्था में प्रवेश कर चुकी है। इस बीच फसल में गुलाबी इल्ली (पिंक बॉलवर्म) का प्रकोप देखा जा रहा है, जिससे किसानों को पैदावार में काफी नुकसान होने की उम्मीद है। इसलिए कपास की फसल में गुलाबी सुंडी नियंत्रण (pink bollworm control) के लिए फुल अवस्था में प्रति एकड़ खेत में 4 फेरोमेन ट्रैम लगाए। इनमें प्रतिदिन इकट्ठा होने वाले वयस्क पंखियों का रिकार्ड रखें। खेत में जैसे ही प्रति ट्रैम आठ या इससे अधिक पंखी आने लगे तब खेत में बिना किसी भेदभाव के दस हरे घेटों का चयन करें। इन घेटों में इल्लियों की उपस्थिति को देखें, अगर औसत रूप से एक या इससे अधिक घेटों में कीट प्रकोप है, तो तुरंत प्रभाव से कीटनाशकों का उपयोग आरंभ करें। शुरूआत में प्रोफेनोफास या थायडीओकार्ब जैसे कम विषैले कीटनाशकों में से किसी एक का चयन कर उपयोग करें। कीट का अधिक प्रकोप होने की स्थिति में लेमडासायहेलोथ्रिन या एमिमोमेकटीन बेंजोएट या इन्डोक्साकार्ब जैसे अधिक विषैले कीटनाशकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कृषि विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, फिलहाल कपास की फसल में किसी प्रकार के कीट-रोगों का प्रकोप नहीं है, क्योंकि मौजूदा मौसम फसल के लिए अनुकूल है और इसके पौधों में अच्छी वृद्धि देखी जा रही है। हालांकि, आने वाले दिनों में खेतों की निगरानी बढ़ानी पड़ेगी और कीट-रोगों के प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी। क्योंकि अब फसल में फूल आने शुरू हो जाएंगे। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, क्षेत्र के विभिन्न स्थानों के खेतों में गुलाबी सुंडी (pink caterpillar) देखा गया है। आने वाले सप्ताह तक फसल में इसका प्रकोप अधिक हो सकता है। ऐसे में किसानों के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि अब फसल आने की अवस्था में हैं। ऐसे समय में कीट का प्रकोप घातक (Deadly Insect Infestation) साबित हो सकता है। इसलिए किसानों को अपने खेतों में लगातार नजर बनाए रखने की आवश्यकता है। फूल आने की अवस्था में ही फसल में गुलाबी इल्ली का प्रकोप शुरू हो जाता है, इस वक्त अगर सही समय पर कीटनाशकों का उपयोग किया जाए तो फिर कपास को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
कृषि सहायक संचालक प्रकाश ठाकुर ने बताया कि मक्का के खेतों में फॉल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप दिखाई देने पर, उसके प्रबंधन के लिए किसान फ्लूबेंन्डामाइट 20 डब्ल्यू डीजी 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर या स्पाईनोसेड 15 ईसी, 200 से 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर के दर से 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर या एमिमोमेकटीन बेंजोएट 5 एसजी का 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर में छिड़ाकाव करें। कीट प्रकोप की स्थिति के अनुसार इसे 15 से 20 दिन के अन्तराल पर 2 से 3 छिड़काव करें। इसके अलावा कार्बाफ्युरॉन 3जी 2 से 3 किग्रा प्रति हेक्टेयर दर से उपयोग करें। दानेदार कीटनाशकों का इस्तेमाल पौधे की पोंगली में (5 से 10 दाने प्रति पोंगली) करने की सलाह दी है। कीट नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर 100 फेरोमोन फंदा का इस्तेमाल करें। कृषि विशेषज्ञों या अधिकारियों की सलाह पर ही कीटनाशक का उपयोग करें।
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