Millet Farming : मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थ के इस्तेमाल एवं इनमें मौजूद पोषक तत्व तथा इसके सेवन के फायदे को देखते हुए “श्री अन्न योजना” के तहत इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। मोटे अनाज (मिलेट्स) का उपयोग न केवल मानव स्वास्थ्य को कई तरह से लाभ पहुंचाता है, बल्कि इसकी खेती किसानों के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। इसकी खेती प्रतिकूल मौसम में भी की जा सकती है। जलवायु परिवर्तन का मोटे अनाज की खेती पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है और यह विपरीत मौसम में भी किसानों को उचित पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा देती है। कम बारिश और सूखाग्रस्त क्षेत्रों के किसानों के लिए मोटे अनाज की खेती किसी वरदान से कम नहीं हैं। कम पानी में इसकी खेती से इतनी पैदावार मिल जाती है कि किसानों को खेती में नुकसान नहीं उठाना पड़ता है। वर्तमान में कई राज्यों में मिलेट यानी मोटे अनाज की खेती पर काफी जोर दिया जा रहा है। किसानों को इसकी खेती से जोड़ने के लिए जोर-शोर से प्रयास किया जा रहा है। कई योजनाओं के माध्यम से मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। झारखंड में भी मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
राज्य कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए मोटे अनाज की खेती पर किसानों को प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया गया है। इसके तहत राज्य में श्री अन्न यानी मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। यह राशि कम से कम एक एकड़ और अधिकतम पांच एकड़ भूभाग पर मोटे अनाज (मिलेट्स) खेती करने पर किसानों को मिलेगी। किसानों को प्रति एकड़ तीन हजार रुपये की राशि दी जाएगी। इस तरह से अधिकतम पांच एकड़ के लिए किसानों को 15 हजार रुपये दिए जाएंगे। झारखंड कृषि विभाग की यह योजना राज्य के किसानों के लिए वर्ष 2023-24 से लेकर 2027-28 पांच वर्षों तक के लिए प्रस्तावित है। इस योजना तहत राज्य के सभी जिलों में किसानों को मोटे की खेती पर अलग-अलग सब्सिडी राशि तथा खेती के लिए फसलों के बीज तक उपलब्ध कराए जाएंगे।
कृषि विभाग ने वर्ष 2024-25 के लिए इस योजना को राज्य के सभी 24 जिलों में लागू किया है। इसके तहत इन जिलों में ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, सांवा की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। राज्य सरकार की इस योजना में केवल उन किसानों को लाभ दिया जा रहा है, जो स्वयं की भूमि पर मोटे अनाज खेती करते हैं। इस योजना से बटाईदार किसानों को दूर रखा गया है यानी जो किसान बटाई या भूमि लीज पर लेकर खेती करते है उन्हें इस योजना में लाभ के लिए अपात्र माना है। इस महत्वपूर्ण योजना की खास बात यह है कि इससे न केवल किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, बल्कि प्रगतिशील किसानों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। राष्ट्रीय किसान दिवस के मौके पर बेहतर उत्पादन करने वाले राज्य के 10 किसानों को पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए उन्हें 50 हजार रुपए नकद राशि इनाम के तौर पर देकर सम्मानित किया जाएगा।
झारखंड मिलेट मिशन योजना राज्य में अगले पांच वर्ष के संचालित की जा रही है। इस मिशन के तहत राज्य के किसानों को वर्ष 2027-28 तक श्री अन्न की खेती पर प्रोत्साहन दिया जाएगा। यदि इसके बाद योजना को बढ़ाए जाने की जरूरत पड़ती है, तो फिर इस योजना को आगे भी बढ़ाया जाएगा। बीज प्रणाली तथा बीज बैंक के माध्यम से बाजरा भूमि प्रजातियों का संरक्षण एवं संवर्धन करना होगा। इस मिशन के तहत रैयत किसान पात्र होंगे। किसानों को आधार कार्ड के साथ रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साथ ही भूमि के कागजात, बैंक पासबुक तथा मोबाइल नंबर आदि भी रजिस्ट्रेशन के दौरान आवेदक को देना होगा।
झारखंड मिलेट मिशन के तहत राज्य में जो किसान लाभ लेना चाहते हैं। वह जन सुविधा केंद्र यानी कि CSC में जाकर आवेदन फार्म भर सकते हैं। वहीं, जिन किसानों ने इस वर्ष मोटे अनाज में रागी, ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी, सावां की बुवाई की है, तो वे भी अतिम तिथि 30 अगस्त से पहले जन सुविधा केंद्र की मदद से ऑन-लाइन आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इस मिशन के तहत रैयत और बटाईदार दोनों ही किसान लाभ लेने के लिए पात्र होंगे। 1 सितंबर से 15 नवंबर तक खेतों व फसल का सर्वेक्षण किया जाएगा। सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर पूरे राज्य से किसानों को चयन कर योजना का लाभ और पुरस्कार दिया जाएगा।
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