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ई-फसल पोर्टल : 72 घंटे के अंदर मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा, ऐसे करे आवेदन

ई-फसल पोर्टल : 72 घंटे के अंदर मिलेगा फसल नुकसान का मुआवजा, ऐसे करे आवेदन
पोस्ट -28 सितम्बर 2022 शेयर पोस्ट

ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर देनी होगी प्रभावित फसल की डिटेल

दरअसल बदलते मौसम के बीच हाल के दिनों में देशभर के कई हिस्सों में जमकर बरसात हुई है। कई जगह तो इस बारिश से खेत पानी से भर गए है और खेत में पककर तैयार खड़ी फसल पानी में डूब गई है। जिससे फसलों को काफी नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भारी बारिश के चलते हजारों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई जिस वजह से किसान बेहद परेशान है। किसानों की इस परेशानी को देखते हुए हरियाणा सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए बारिश के कारण खरीफ फसलों में हुए नुकसान की जानकारी मांगी है। क्योंकि हरियाणा में बारिश के कारण खरीफ फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है और राज्य में कई इलाकों में फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। इसे देखते हुए किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा। शासन ने फसल में हुए नुकसान को जानने के लिए अलग से ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल को लॉन्च किया है। राज्य के किसान इस पोर्टल में अपनी फसल खराब होने की जानकारी 72 घंटे के अंदर दर्ज कर सरकार तक पहुंचा सकते हैं। किसान के द्वारा दर्ज की गई जानकारी को पटवारी एक हफ्ते में खेत पर जाकर इसकी सही तरीके से सर्वें करेगा। पटवारी के सर्वें करने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। तो आइए ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट के माध्यम से ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल से संबंधित सभी जानकारियों को जानते हैं। सभी जानकारी के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।

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72 घंटे में सरकार को देनी होगी सूचना

हरियाणा में पिछले दिनों लगातार हुई तेज बारिश के कारण खरीफ की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। खराबे का यह आंकड़ा कृषि विभाग द्वारा करवाए गए सर्वें में सामने आया है। राज्य में लगभग 8 लाख एकड़ खेतों में पानी भर गया है। सर्वें रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में सबसे अधिक फसल नुकसान करनाल जिले में हुआ है। जिले में 90 हजार एकड़ तक धान के खेतों में बारिश का पानी भरा हुआ है। जिसमें से अधिकांश खेतों में फसल खराब हो गई है। फसल खराबे का मुआवजा पाने के लिए सरकार ने एडवाजरी जारी की है। इसमें हरियाणा सरकार ने किसानों से जलभराव के कारण खराब हुई फसलों का मुआवजा पाने के लिए 72 घंटे में ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर सूचना देने के लिए कहा है। इस अवधि में फसल खराबे की सूचना नहीं दी तो फसल खराबे का मुआवजा नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा शासन ने सभी खेतों से पानी निकालने के लिए राज्यों के सभी जिलों के डीसी को हिदायत दी है। सरकार की तरफ से स्पेशल गिरदावरी भी शुरू कर दी गई हैं।

सरकार किसानों की पूरी मदद करेगी

हरियाणा के किसानों को इस बार खरीफ फसलों से बंपर पैदावार मिलने की उम्मीद थी। लेकिन बदलते मौसम के कारण हुई भारी बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। फसल नुकसान को देखते हुए राज्य के किसानों मुआवजे के लिए सरकार से अर्जी लगाई है, जिसे स्वीकार कर लिया गया। सरकार विशेष गिरदावरी करा रही है। प्रभावित किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार उनकी पूरी मदद करेगी। अधिकारियों के फील्ड रिव्यू और फसल नुकसान का आंकलन करने के बाद सरकार किसानों को मुआवजे की राशि देगी। फसल खराबे का लाभ लेने के लिए उन्हें मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर जमीन का खसरा नंबर के साथ फसल से संबंधित सभी जानकारी दर्ज करनी होगी। जैसे, पोर्टल में फसल का बीमा, कितनी एकड़ तक फसल है और कितने प्रतिशत तक फसल खराब हुई। 

इन किसानों को नहीं दिया जाएगा सरकार की इस सुविधा का लाभ

फसल खराबे का मुआवजा पाने के लिए सरकार द्वारा जारी एडवाजरी के अनुसार राज्य के उन किसानों को सरकार की इस सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा, जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना और बीज विकास निगम प्रोग्राम से जुड़ें हैं।

राज्य के जिलों में लाखों एकड़ फसल खराब होने की कगार पर

पिछले दिनों हुई लगातार बारिश ने भी किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है। बारिश से खरीफ फसलों पर विपरीत असर पड़ा है। भारी बारिश और कीटों के हमले से मूंग, कपास, धान, बाजरा, गन्ना और सब्जी की फसल को नुकसान पहुंचा है। राज्य के जिलों में स्थानिय किसानों का कहना है कि यदि समय रहते खेतों से पानी बाहर नहीं निकाला गया, तो फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगी। राज्य के करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, रोहतक, सोनीपत, झज्जर और भिवानी और अन्य कई जिलों में लाखों एकड़ फसल खराब होने की कगार पर हैं।

उत्पादों की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल सकती हैं  

अधिकारियों ने फील्ड रिव्यू और फसल नुकसान का आंकलन करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद सरकार को पता चला है कि राज्य में लगातार हुई बारिश के कारण सबसे अधिक पूसा-1509 और पूसा-126 फसलों की किस्मों का नुकसान हुआ है। जिसके चलते भविष्य में मंडियों में इन फसलों के उत्पादों की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। 

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