Potato Varieties : देश में धान, गेहूं और गन्ने के बाद परंपरागत रूप से आलू की ही खेती सबसे बड़े लेवल पर होती है। आलू एक ऐसी सब्जी है, जिसे कितने भी दिनों तक स्टोर करके रखा जा सकता है और बाजारों में इसकी मांग सालभर रहती है। इसलिए अधिकांश किसान आलू की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं। देश में आलू की खेती रबी सीजन के दौरान किसानों द्वारा की जाती है। कई राज्यों में किसान कृषि परिस्थितियों के अनुरूप आलू की अलग-अलग वैरायटी की बुवाई/गड़ाई करते हैं, ताकि इसकी खेती से कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सके। कृषि विश्वविद्यालय ने आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए आलू की कई किस्में विकसित की हुई है, जो जलवायु अनुकूल कम समय में भरपूर पैदावार देने के लिए जारी की गई है। ऐसे में जो किसान रबी सीजन में आलू की बुवाई या गड़ाई करने जा रहे हैं वे आलू की इन उन्नत किस्मों का चयन कर सकते हैं। आलू की ये किस्में कम लागत में किसानों को बंपर पैदावार दे सकती है। आइए, आलू की इन किस्मों की विशेषता और पैदावार के बारे में जानते हैं।
देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल भी आलू उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्यों में शामिल है। इन राज्यों में किसान कुफरी सदाबहार, कुफरी पुष्कर, कुफरी गरिमा, कुफरी गौरव, कुफरी गंगा, कुफरी ख्याति, कुफरी मोहन, कुफरी अरूण, कुफरी नीलकंठ, कुफरी शैलजा, कुफरी लीलिमा, कुफरी सूर्या, कुफरी माणिक, कुफरी नीलिमा, कुफरी गिरधारी, कुफरी हिमालिनी, कुफरी सहयाद्री, कुफरी कर्ण, कुफरी ललित कुफरी फ्राईसोना, कुफरी चिप्सोना और कुफरी हिमसोना आलू की किस्में लगाते हैं। हालांकि, आलू की खेती से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसानों को आलू की कुफरी पुखराज, कुफरी सूर्या और कुफरी अशोक (पीजे-376) किस्मों की गड़ाई करनी चाहिए। आलू की इन उन्नत किस्मों को देश के विभिन्न पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में रबी खेती के लिए सिफारिश की गई है।
आलू की “कुफरी पुखराज” (Kufri Pukhraj Potatoes) किस्म देश में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली आलू किस्म है। इसकी खेती मुख्य रूप उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में की जाती है। आलू की कुफरी पुखराज किस्म 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देने मे सक्षम है। यह किस्म देश के आलू उत्पादन में लगभग 33 प्रतिशत हिस्सेदारी पेश करती है। कुफरी पुखराज एक सफेद आलू किस्म है, जिसकी फसल बुवाई के 70-90 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है। आलू यह किस्म कम तापमान वाले क्षेत्रों में खेती के अनुशंसित की गई है। कुफरी पुखराज आलू को 1998 में भारत में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) द्वारा विकसित किया गया था। यह किस्म परांठे से लेकर चिप्स और कई तरह- तरह के व्यंजन बनाए जाने के लिए उपयुक्त है।
कुफरी अशोक (पी जे- 376) आलू की एक अगेती किस्म है। आलू की यह किस्म गंगा तटीय क्षेत्रों में अगेती खेती के लिए उपयुक्त है। कुफरी अशोक किस्म यूपी बिहार, बंगाल, पंजाब और हरियाणा में किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह आलू की एक सफेद किस्म है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 60 से 80 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म की परिपक्वता अवधि 70 से 80 दिन की है। इसकी औसतन उत्पादन क्षमता 280 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। एनएचआरडीएफ के अनुसार, आलू यह किस्म सिंचित स्थिति में प्रति हेक्टेयर 40 टन की पैदावार देने में सक्षम है।
कुफरी सूर्या आलू की किस्म उच्च तापमान के प्रति सहनशील है। आलू की इस प्रजाति का उपयोग फ्रेंच फ्राइज और चिप्स के अनुप्रयोगों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। यह आलू अन्य किस्मों की तुलना में आकार में अधिक बड़े होते है। ऐसे में आलू की कुफरी सूर्या की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इस किस्म के आलू के कंद सफेद होते हैं, जो सिंधु-गंगा क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की परिपक्वता अवधि 75 से 80 दिनों की है और इसकी औसतन पैदावार क्षमता 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है। कुफरी सूर्या आलू की किस्म उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में सितंबर में और प्रायद्वीपीय भारत में रबी और खरीफ़ की खेती के लिए उपयुक्त है। यह किस्म हॉपर-बर्न प्रतिरोधी है।
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