Urea-DAP fertilizer : किसानों द्वारा रबी फसलों की बुवाई का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा। फसलों की बुवाई के लिए खेतों की तैयारी के दौरान किसानों को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश जैसे मुख्य उर्वरकों की आवश्यकता होगी। जिसको देखते हुए राज्य सरकारों द्वारा यूरिया, डीएपी समेत अन्य खाद-उर्वरकों की व्यवस्था की जा रही है, ताकि फसलों की बुआई के दौरान किसानों को उर्वरकों की कोई कमी नहीं हो। हालांकि, इसके बाद भी कई स्थानों पर किसानों को डीएपी एवं अन्य खाद मिलने में समस्या भी हो रही है। क्योंकि बुवाई के दौरान खाद और उर्वरकों की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है। ऐसे में किसान डीएपी खाद की जगह वैकल्पिक खाद-उर्वरक का इस्तेमाल कर अच्छी फसल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, जिसके लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को लगातार सलाह भी दी जा रही है।
दरअसल, मध्यप्रदेश सहित अन्य कई राज्यों में रबी फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है, लेकिन किसानों को मांग के अनुसार डीएपी नहीं मिल रही है। इसकी वजह से फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है, जिसको देखते हुए किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग जबलपुर द्वारा किसानों को रबी सीजन की फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए डीएपी के स्थान पर एन.पी.के उर्वरक का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। कृषि विभाग का कहना है कि एनपीके ग्रेड के उर्वरक अपेक्षाकृत डीएपी से सस्ते और अच्छे उर्वरक होते हैं। इनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश जैसे मुख्य पोषक तत्वों का समावेश होता है। यह उर्वरक डबल लॉक केन्द्रों, समितियों तथा पंजीकृत कृषि आदान विक्रेताओं के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। प्रदेश सरकार ने रबी 2024 में 41.10 लाख मीट्रिक.टन की मांग के अनुरूप एक अक्टूबर 2024 से अभी तक 19 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध कराया है। इसमें 7.74 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 5.21 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 6.05 लाख मीट्रिक टन एसएसपी उर्वरक उपलब्ध करा दिया गया है।
उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास डॉ. एस के निगम ने किसानों से रबी की फसलों में एक ही प्रकार के खाद-उर्वरकों का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है। उन्होंने बताया है कि किसानों को समन्वित प्रबंधन में गोबर एवं केंचुए की खाद के साथ अनुशंसित मात्रा में फसलों के अनुरूप एनपीके उर्वरकों उपयोग करना चाहिए। संतुलित उर्वरकों के उपयोग से उत्पादन की लागत में कमी होती है, उत्पादकता में वृद्धि होती है और भूमि, जल एवं पर्यावरण भी सुरक्षित रहते हैं। एनपीके के प्रयोग से फसलों में पोटाश की मात्रा बिना अतिरिक्त पैसे खर्च किए प्राप्त होती है। साथ ही बीजों में चमक एवं वजन और उत्पादन की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है और उत्पादन का बाजार में अधिक मूल्य प्राप्त होता है।
उपसंचालक कृषि ने कहा है कि किसानों को एनपीके खाद का इस्तेमाल फसलों की बुवाई के समय नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा एवं फॉस्फोरस तथा पोटाश की संपूर्ण मात्रा के साथ आधार उर्वरक के रूप में करना चाहिए। अधिक उर्वरक मात्रा का उपयोग किसी भी हालत में नहीं करें। यह फसल की लागत बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी व पानी की दशा भी खराब करते हैं और फसलों में कीटों और बीमारियों को बढ़ावा देते हैं, जिसकी रोकथाम के लिए किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। इसके अलावा, प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने “नैनो यूरिया” और “नैनो डीएपी” भी किसानों को उपयोग करने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि दिए गए उर्वरक गुणवत्तापूर्ण हों। जहां भी घटिया गुणवत्ता के उर्वरक, बीज एवं कीटनाशक ब्रिकी की सूचना मिलेगी, उनके विरूद्ध हम सख्त कार्रवाई करेंगे।
कृषि मंत्री कंषाना ने कहा, केंद्र सरकार द्वारा डीएपी उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ा दी गई है, जिससे कि किसानों को सस्ते दर पर उर्वरक उपलब्ध हो सके। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक बैग यूरिया की कीमत 2 हजार 265 रुपए है। लेकिन सरकार इसे सस्ती दर पर किसानों को 266.50 रुपए में उपलब्ध करा रही है। इसी प्रकार डी.ए.पी की एक बैग की कीमत 2 हजार 446 रूपए है, जबकि सरकार इसे किसानों को 1,350 रूपये प्रति बैग पर उपलब्ध करा रही है। किसानों को सस्ती दरों पर फसलों के लिए उर्वरक मिले, इसके लिए सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत उर्वरक कपंनियों को सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा, प्रदेश में रबी फसल वर्ष 2024 के लिए भी पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध हैं। रबी सीजन की शुरुआत में राज्य ने पहले ही 6.55 लाख मीट्रिक टन अग्रिम भंडारण कर लिया था। भारत सरकार से पर्याप्त मात्रा में उर्वरक आपूर्ति सुनिश्चित कराने का आश्वासन मिला है, जबकि लगातार उर्वरक प्राप्त भी हो रहे हैं।
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