नाशपाती की खेती से होगी लाखों की कमाई, बस अपनाएं ये आसान तरीका

पोस्ट -14 फ़रवरी 2023 शेयर पोस्ट

जानें, नाशपाती में लगने वाले रोग और ध्यान रखने वाली खास बातें

हमारे देश के किसान विभिन्न प्रकार के फलों की खेती पारंपरिक फसलों के साथ करके अपनी आय में वृद्धि करते हैं। इसी कड़ी में किसान भाई नाशपाती की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। नाशपाती मौसमी फल है और इसके फल को खाने के काफी फायदे भी होते हैं। नाशपाती में फाइबर व आयरन भरपूर मात्रा में होता है, इसके फल का सेवन करने से शरीर में खून बढ़ जाता है व बैड कोलेस्ट्रॉल भी कम हो जाता है। इन्हीं फायदों के कारण लोग इस फल को खाना पसंद करते हैं और बाजार हमेशा इसकी मांग भी रहती है। नाशपाती के हर एक पेड़ से किसान आसानी से एक से दो क्विंटल के बीच उत्पादन प्राप्त करता है। इस तरह इसकी एक एकड़ में बाग लगाने से 400 से 700 क्विंटल नाशपाती का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। किसान नाशपाती की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। किसान भाईयों आज ट्रैक्टरगुरु की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ नाशपाती की खेती से जुड़ी अन्य जानकारियां साझा करेंगे।

भारत में नाशपाती की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

भारत में नाशपाती की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल है। इसकी कम सर्दी वाली किस्मों की खेती उप-उष्ण क्षेत्रों में भी की जा सकती है। दुनिया भर में नाशपाती की कुल 3000 से अधिक प्रजाति उपलब्ध हैं, जिनमें से भारत नाशपाती की 20 से अधिक किस्मों की खेती करता है।

नाशपाती की उन्नत किस्में

भारत में नाशपाती की विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्मों की खेती की जाती है व उससे अच्छा उत्पादन भी प्राप्त करते हैं। नाशपाती की अगेती किस्मों में लेक्सटन सुपर्ब, थम्ब पियर, शिनसुई, कोसुई, सीनसेकी और अर्ली चाईना आदि प्रमुख हैं। नाशपाती की पछेती किस्मों में कान्फ्रेन्स (परागण), कश्मीरी नाशपाती और डायने डयूकोमिस आदि प्रमुख हैं। भारत के मध्यवर्ती, निचले क्षेत्र व घाटियों हेतु नाशपाती की पत्थर नाख, कीफर (परागण), गोला, होसुई, पंत पीयर-18 और चाईना नाशपाती आदि प्रमुख हैं।

नाशपाती में लगने वाले प्रमुख रोग

मकोड़ा जूं कीड़ा

यह कीड़े नाशपाती के पत्तों को खाते हैं और रस चूसते हैं, जिससे पत्ते पीले पड़ने शुरू हो जाते हैं। इसकी रोकथाम करने के लिए घुलनशील सल्फर 1.5 ग्राम या प्रोपरगाइट 1 मिलीलीटर या फेनेजाक्वीन 1 मिलीलीटर या डिकोफॉल 1.5 मिलीलीटर को पानी में अच्छे से मिलाकर छिड़काव करें।

टिड्डा रोग

इस रोग के लगने के कारण फूल चिपकवे हो जाते हैं और प्रभावित भागों पर काले रंग की फंगस जम जाती है। इसकी रोकथाम करने के लिए कार्बरील 1 किलो या डाईमेथोएट 200 मिलीलीटर को 150 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

चेपा और थ्रिप्स रोग

इस रोग में लगने वाले कीड़े पत्तों का रस चूसते हैं, जिससे इसके पत्ते पीले पड़ जाते हैं। यह कीड़े शहद जैसा पदार्थ छोड़ते हैं, जिस कारण प्रभावित भागों पर काले रंग की फंगस जमा हो जाती है। इनकी रोकथाम करने के लिए फरवरी के आखिरी हफ्ते में इमीडाक्लोप्रिड 60 मिलीलीटर या थाईआमिथोकसम 80 ग्राम को प्रति 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। दूसरी छिड़काव मार्च के महीने में पूरी तरह से धुंध बनाकर करें और तीसरी छिड़काव फल के गुच्छे बनने पर करें।

धफड़ी रोग

इस रोग में पत्तों में काले धब्बे दिखाई देते हैं। बाद में यह धब्बे स्लेटी रंग में बदल जाते हैं। पौधों का प्रभावित भाग टूट कर गिर जाता है। बाद में यह धब्बे फलों के ऊपर दिखते हैं। इनकी रोकथाम करने के लिए कप्तान 2 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव पौधे की निष्क्रिय समय से शुरू करके पत्ते झड़ने के समय तक 10 दिनों के अंतर पर करें। प्रभावित फलों, पौधे के भागों को हटा दें और खेत से दूर ले जाकर इन्हें नष्ट कर दे। 

जड़ का गलना रोग

इस रोग में पौधे की छाल और लकड़ी भूरे रंग की हो जाती है और इस पर सफेद रंग का पाउडर दिखाई देने लगता है। प्रभावित पौधे सूखना शुरू हो जाते हैं और इनके पत्ते जल्दी झड़ जाते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 400 ग्राम को 200 लीटर पानी में मिलाकर मार्च महीने में छिड़काव करें व जून में दोबारा छिड़काव करें।

नाशपाती के बगान के साथ करें सब्जी की खेती

नाशपाती के बगान में जब तक फल नहीं लगे तब तक उड़द मूंग और तोरीया जैसी फसलें की खेती करके मुनाफा कमाया जा सकता है। रबी के मौसम में गेंहू, चना और सब्जियां की बुवाई कर सकते हैं। रबी के मौसम में नाशपाती के बगान से आलू मटर बरबट्टी प्याज,टाऊ, गेहूं हल्दी और अदरक की खेती की जा सकती है।

नाशपाती की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु

नाशपाती की खेती गर्म आर्द्र उपोष्ण मैदानी क्षेत्रों से लेकर शुष्क शीतोष्ण व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आसानी से की जाती है। इसके फलों के अधिक उत्पादन के लिए 10 से 25 डिग्री तक का तापमान अनुकूल रहता है। सर्दी के सीजन में पड़ने वाले पाले और कोहरे से इसके फूलों को बहुत नुकसान होता है।

नाशपाती की खेती करने के लिए उपयुक्त मिट्टी

नाशपती की खेती करने के लिए मध्यम बनावट वाली बलुई दोमट तथा गहरी मिट्टी उत्तम मानी जाती है। खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। नाशपाती की खेती करने के लिए मिट्टी का पी एच मान 7 से 8.5 के बीच का होना चाहिए।

नाशपाती की खेती करने के लिए खेत की तैयारी 

नाशपाती की खेती करने के लिए भुरभुरी मिट्टी उपयुक्त होती है। इसकी खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को मिट्टी पलटने वाले हल या कल्टीवेटर की मदद से 2 से 3 बार गहरी जुताई कर दें। उसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेउ करने के लिए छोड़ दें। इसके बाद खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए रोटोवेटर की मदद से 2 से 3 बार जुताई कर दें। 

नाशपाती की पौधे की रोपाई एवं सिंचाई 

नाशपाती की खेती करने के लिए विभिन्न प्रकार की विधियों का उपयोग किया जाता है आप इसके पौधों की कलम लगाकर नर्सरी में तैयार करके जब पौधे 20 से 25 दिन के हो जाए तो खेत में पौधों की रोपाई कर दें। इसकी खेती में बीज की बुवाई करने के लिए खेत तैयार करने के बाद करें। पौधों के बीच 8x4 मीटर का फासला अवश्य रखें| खेत को अच्छी तरह से समतल करें और पानी के निकास के लिए हल्की ढलान दें।
नाशपाती की खेती में पेड़ को एक वर्ष में 75 से 100 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है। रोपाई के बाद समय-समय पर नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों में 5 से 7 दिन तथा सर्दियों में 15 दिनों के अंतर पर सिंचाई अवश्य करें।

नाशपाती की खेती में खाद और उर्वरक प्रबंधन 

नाशपाती की खेती में फल के अच्छे उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेत में उचित मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है। नाशपाती की खेती में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए वर्मी कम्पोस्ट या अच्छी सड़ी गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए। जब इसका पेड़ 3 साल का हो जाये तो 10 किलो गोबर की खाद, 100 से 300 ग्राम यूरिया, 200 से 300 ग्राम तक सिंगल फास्फेट और 200 से 450 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश एक पेड़ की दर से मिट्टी में मिला दें और उसके बाद सिंचाई कर दें। जब इसका पेड़ 4 से 6 साल का हो जाने पर 25 से 35 किलो गोबर खाद, 400 से 600 ग्राम यूरिया, 800 से 1200  ग्राम सिंगल फास्फेट (SSP), 600 से 900 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश एक पेड़ की दर से डाले। 

नाशपाती की खेती में खरपतवार नियंत्रण

इसकी खेती करते समय खेत में खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।

नाशपाती के पेड़ की कटाई और छंटाई

नाशपाती के पौधे की शाखाओं को मज़बूत, अधिक पैदावार और बढ़िया गुणवत्ता के फल प्राप्त करने के लिए कंटाई व छंटाई की जाती है। इसके लिए बीमारी-ग्रस्त, नष्ट हो चुकी, टूटी हुई और कमज़ोर शाखाओं की टहनियों को काट कर पेड़ से अलग कर दिया जाता है।

नाशपाती की फल की तुड़ाई

नाशपाती के फलों की तुड़ाई जून के प्रथम सप्ताह से सितम्बर के बीच की जाती हैं। नज़दीकी मंडियों में फल पूरी तरह से पकने के बाद और दूरी वाले स्थानों पर ले जाने के लिए नाशपाती के हरे फल तोड़े जाते हैं। नाशपाती के फल की तुड़ाई का समय किस्म के आधार पर तय होता है। इसके फलों के पकने के लिए लगभग 145 दिनों की जरूरत होती है, जबकि सामान्य नरम किस्म के लिए 135 से 140 दिन में फल पक के तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है।

नाशपाती के फल का भंडारण

इसके फलों की तुड़ाई करने के बाद फलों की छंटाई करें, फिर फलों को बॉक्स में स्टोर करके मंडी ले जाया जा सकता है, फलों को 1000 ppm एथेफोन के साथ 4 से 5 मिनट तक के लिए उपचार करें जिससे कच्चे फल भी पक्क जाये या इनको 24 घंटों के लिए 100 ppm इथाइलीन गैस में रखें और फिर 20° सेंटीग्रेट पर बॉक्स में स्टोर करके रख दें। फलों को 0-1 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान और 90-95 % नमी वाले स्टोर रुम में 60 से 65 दिन तक रखा जा सकता है।

नाशपाती के फल का उत्पादन और कमाई

नाशपाती के प्रति पेड़ से औसतन 4 से 5 क्विंटल के बीच फलों की पैदावार होती है और इसकी कई किस्मों का उत्पादन 6 से 7 क्विंटल तक का होता है। इस तरह इसकी एक एकड़ में बाग लगाने से 400 से 700 क्विंटल नाशपाती का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। नाशपाती की बाजार में कीमत 60 से 100 रुपये के बीच तक की होती हैं जिससे किसान भाई आसानी से लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं।
 

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