Hoof-and-Mouth Disease : आज देशभर के अधिकांश क्षेत्रों में किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन में गाय-भैंस जैसे दुधारू मवेशियों का पालन कर अपनी आय को दोगुना कर रहे हैं तथा नए और पढ़े लिखे युवक-युवतियां पशुपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाकर बंपर मुनाफा कमा रहे हैं। देश में पशुपालन को सफल बनाने के लिए मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार की ओर से कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है, जिनके माध्यम से किसानों व पशुपालकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है तथा युवाओं को पशुपालन क्षेत्र से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। इसके कारण आज देश में पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर देने में पशुपालन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, कई बार मवेशियों में विभिन्न प्रकार के घातक रोग और संक्रमण फैल जाते हैं, जिससे पशुपालकों को मोटा नुकसान उठाना पड़ जाता है।
पशुओं में तेजी से फैलने वाली संक्रमण बीमारी में खुरपका-मुंहपका (Foot-and-mouth disease, FMD या hoof-and-mouth disease) रोग भी शामिल है। खुरपका-मुंहपका बेहद घातक संक्रामक रोग है। यह गाय-भैंस जैसे दूधारू मवेशियों में तेजी से फैलता है। इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की कार्यक्षमता एवं दुग्ध उत्पादन मात्रा कम हो जाती है तथा कई बार बीमारी गंभीर होने से पशुओं की मौत तक हो जाती है, जिससे पशुपालकों को काफी आर्थिक हानि होती है। पशुधन के लिए बड़ी समस्या बनी खुरपका-मुंहपका (FMD) को अगले 6 साल में देश से जड़ से खत्म करने का संकल्प सरकार ने लिया है। इस रोग से पशुओं को बचाने के लिए देश में मुफ्त टीकारण अभियान चल रहा है, जिसके तहत पशुओं को मुफ्त टीका लगाए जा रहे हैं। पशुपालक अपने क्षेत्र के पशु चिकित्सा विभाग से संपर्क कर टीकाकरण का लाभ उठा सकते हैं। वहीं, राज्य सरकारों द्वारा मुफ्त टीकाकरण अभियान भी चलाया जाता है, जिसमें पशुपालक पशुओं का टीकाकरण करा सकते हैं।
दरअसल, 4 अप्रैल 2024 के दिन बिहार के जमुई में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने पशुधन रक्षा का संकल्प लिया है। खुरपका-मुंहपका बीमारी से पशुओं को छुटकारा दिलाने के लिए हमारी सरकार देशभर में टीकाकरण अभियान चला रही है। पीएम ने कहा कि भाजपा (बीजेपी) सरकार इंसानों की सेवा तो कर ही रही है। साथ ही देश में पशुधन की भी रक्षा करने का लक्ष्य तय किया है। केंद्र सरकार ने बिहार के लगभग दो करोड़ पशुओं को खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) रोग से बचाने के लिए मुफ्त में टीकाकरण का अभियान चलाया है ।
इस दौरान, पीएम नरेंद्र मोदी ने लालू के जंगलराज, भ्रष्टाचार और इंडी अलायंस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पहले आतंकी हमारे ऊपर हमला करके चले जाते थे। कांग्रेस दूसरे देशों के पास शिकायत लेकर जाती थी। हमने कहा ऐसे नहीं चलेगा। आज का भारत घर में घुसकर मारता है।
इससे पहले फरवरी में गुजरात में एक कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने खुरपका-मुंहपका रोग के कारण पशुओं को होने वाली कठिनाइयों तथा पशुपालकों को होने वाले हजारों करोड़ रुपए के भारी नुकसान पर अंकुश लगाने के सरकार के प्रयास के बारे में बताया था। पीएम ने कहा कि 15 हजार करोड़ रुपए लागत से खुरपका-मुंहपका (FMD) की रोकथाम के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत फरवरी 2024 तक 7 करोड़ से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि हम साल 2030 तक देश से खुरपका-मुंहपका रोग को जड़ से मिटाने के प्लान पर काम कर रहे हैं। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि खुरपका और मुंहपका (Foot-and-mouth disease, FMD या hoof-and-mouth disease) रोग टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में पूरे देश में मार्च 2023 तक अब तक 25 करोड़ से अधिक मवेशियों की लक्ष्य आबादी में से करीब 24 करोड़ पशुओं को कवर किया गया है यानी 95 प्रतिशत से ज्यादा कवरेज हासिल कर लिया गया है।
बता दें कि खुरपका और मुंहपका बीमारी से मवेशियों की रक्षा करने के लिए मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार ने साल 2019 में “राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम” (एनएडीसीपी) की शुरुआत की थी। इसके तहत देशभर में टीकाकरण अभियान चलाकर मवेशियों का टीकाकरण किया जा रहा हैं। खुरपका-मुंहपका रोग खुर वाले पशु जैसे गाय, भैंस, भेड़-बकरी, ऊंट, सुअर, घोड़ा हाथी में अत्यधिक तेजी से फैलने वाली संक्रमित बीमारी है, जो ’एफएमडी वायरस’ (FMDV) नाम विषाणु होता है। भारत में यह रोग मुख्य रूप से ओ, ए, सी और एशिया-1 प्रकार के विषाणुओं से फैलता है। मुंहपका रोग एक प्रकार का संक्रमित रोग है, जो संक्रमित पशु के सीधे संपर्क में आने, पानी, घास, दाना, बर्तन, दूध निकलने वाले व्यक्ति के हाथों एवं हवा से फैलता हैं।
यह रोग पशुओं के जीभ, मुंह, खुरों के बीच की जगह को संक्रमित करता है, जिससे पशु की रोग प्रतिरोधक शक्ति का कमजोर हो जाती है। इस रोग के विषाणु घास, चारा, तथा फर्श पर 3 से 4 महीनों तक जीवित रह सकते हैं। आसपास के क्षेत्र में रोग का प्रकोप, बाहरी वातावरण में अधिक नमी होना, पशुओं तथा लोगों का आवागमन से यह रोग को फैल सकता है।
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