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जैतून की खेती करने वाले किसानों को मिलेगी 50 हजार रुपए की सब्सिडी, ऐसे करें आवेदन

जैतून की खेती करने वाले किसानों को मिलेगी 50 हजार रुपए की सब्सिडी, ऐसे करें आवेदन
पोस्ट -20 अप्रैल 2024 शेयर पोस्ट

जैतून से किसानों की बढ़ेगी आय, सरकार दे रही बंपर सब्सिडी, जानें खेती का उन्नत तरीका

Olive Farming: देश में व्यापारिक फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाकर किसानों को खेती के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। ऐसे में जैतून (Olive) कई राज्यों में किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। रेतीली और बंजर भूमि वाले राज्यों में जैतून की खेती किसानों की आय बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो रही है और यहां के किसानों को इसकी खेती से लाखों रुपए का फायदा मिल रहा है। इसके अलावा, इसके क्षेत्र का विस्तार करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा जैतून की खेती (Olive Farming) करने वाले किसानों को बंपर सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है, जिससे किसान जैतून की अधिक-अधिक क्षेत्र में खेती करने के लिए प्रेरित हो सके। आज राजस्थान राज्य जैतून की खेती में अग्रणी उत्पादक राज्य बनकर उभरा है। यहां किसानों को जैतून की खेती करने पर राज्य सरकार की ओर से 50 हजार रुपए तक की सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। क्योंकि राज्य में उत्पादित जैतून की गुणवत्ता का स्तर काफी बेहतर है, जिसके कारण इसके उत्पादन की मांग दुनियाभर में अधिक है। इसलिए यहां के किसानों की आय बढ़ाने में जैतून की खेती सबसे अधिक फादेमंद सौदा साबित हो रही है। ऐसे में अगर आप भी जैतून (Olive) की खेती (Farming) शुरू करना चाहते हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए खास है। इस पोस्ट में हम जैतून की खैती कैसे करें? खेती का तरीका क्या हैं? और खेती पर सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी का लाभ किस तरह लिया जा सकता हैं आदि के बारे में बता रहे हैं।   

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जैतून का उत्पादन करने वाले मुख्य देश (Main olive producing countries)

जैतून एक प्रीमियम खाद्य तेल फसल है। इसकी खेती पौधों से तेल प्राप्त करने के लिए की जाती है । विश्व में जैतून की खेती बहुत ही पुराने समय से होती आ रही है और इसके उत्पाद की लगभग सभी देशों में अधिक मांग है। क्योंकि जैतून (Olive) में कई प्रकार के विटामिन, एंटी आक्सीडेंट, फिनोल और एओलिक एसिड अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण इसे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने और दिल की बीमारियों के लिए कारगर बताया गया है। इसके तेल का इस्तेमाल स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है तथा इसके तेल का सेवन पेट संबंधी और कैंसर की बीमारी में भी लाभकारी है। भूमध्य क्षेत्रों के फिलिस्तीन, साइप्रस, लेबनान और उत्तरी पश्चिम सीरिया देश जैतून का उत्पादन करने वाले देश है। इसके अलावा, अमेरिका, ट्यूनीशिया, तुर्की, मोरक्को, स्पेन, सीरिया, पुर्तगाल, मिश्र और इटली जैतून (Olive) का अधिक उत्पादन करने वाले मुख्य देशों में शामिल है। हालांकि, इससे पहले भारत में जैतून की खेती नहीं की जाती थी, लेकिन अब भारत में भी जैतून का उत्पादन होने लगा है। जैतून की खेती आज भारत के किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार करने में कारगर साबित हो रही है।  

जैतून से कई पीढ़ियों तक प्राप्त कर सकते हैं नियमित आमदनी (One can get regular income from olives for many generations)

जैतून (Olive) का पौधा 3-10 मीटर तक ऊंचा हो सकता है, जो लंबे समय तक उत्पादन देने के लिए पॉपुलर है। इसके पौधे से 100 साल तक उपज प्राप्त की जाती है, जिसके कारण किसान भाई इसकी खेती से कई पीढ़ियों तक आमदनी हासिल कर सकते हैं। राजस्थान के गंगानगर जिले के एक किसान दीपक सहारण के अनुसार, उन्होंने परंपरागत खेती के साथ जैतून की खेती (Olive Farming) करने पर भी विचार किया। उन्होंने लगभग 5 साल पहले 15 हेक्टेयर के खेत में करीब सात हजार जैतून के पौधे लगाए। अभी उनका अच्छा विकास हो रहा है। सहारण का कहना है कि राजस्थान में उत्पादित जैतून में तेल की मात्रा अधिक है और इसके तेल की गुणवत्ता और फल की क्वालिटी विश्वभर में उत्पादित होने वाले जैतून के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर है। इसके अलावा, अब जैतून की पत्तियों से चाय भी बनने लग गई है, जिसके कारण जैतून की खेती से किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा। इसकी खेती से करीब 100 सालों तक कमाई आसानी से की जा सकती है। 

सन 2007 में इजरायल के सहयोग से शुरू की गई जैतून की खेती (Olive cultivation started in 2007 with the cooperation of Israel)

वर्तमान समय में राजस्थान के कई जिलों में जैतून की खेती की जा रही है और आने वाले समय में भी राज्य के कुछ अन्य जिलों में इसकी खेती होने लगेगी। सबसे पहले राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, चूरू और हनुमानगढ़ जिलों के लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्र में जैतून की खेती (Olive Farming) करने का लक्ष्य रखा गया। इसके लिए साल 2007 लगभग 1.12 लाख पौधे इजरायल से आयात कर उसके सहयोग से इन जिलों में जैतून की खेती शुरू की गई। क्योंकि राजस्थान की जलवायु और भूमि इजरायल के जैसी ही है। 

राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेंद्र सिंह शेखावत का कहना है  कि राजस्थान में अभी जैतून की खेती का रकबा बढ़कर करीब 1100 हेक्टेयर के क्षेत्र से अधिक हो गया है। राजस्थान के श्रीगंगानगर, बीकानेर, जोधपुर, जालौर सहित राज्य कई अन्य इलाकों में अब जैतून (Olive) का उत्पादन होने लगा है। राज्य में जैतून की खेती के विस्तार की अपार संभावनाओं को देखते हुए, राज्य की सरकार इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को करीब 50 हजार रुपए की सब्सिडी दे रही है, जिससे राजस्थान के किसानों में जैतून की खेती के प्रति रुझान बढ़ रहा है और उनकी आय बढ़ाने में जैतून सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है। 

राज्य के इस जिले में लगाए गए है पेराई प्लांट (Crushing plants have been installed in this district of the state)

राजस्थान के बीकानेर जिले में जैतून (Olive) के फल से तेल निकालने के लिए पेराई प्लांट लगाए गए हैं। यह प्लांट राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड, (आरओसीएल) द्वारा लगाए गए हैं। आरओसीएल (राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड) राज्य सरकार के सहयोग से गठित एक संगठन है, जिसमें राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड, फिनोलेक्स प्लासन इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड और पुणे एंड इंडोलिव लिमिटेड ऑफ इजरायल की साझेदारी है। जयपुर के उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के सहायक निदेशक केदार प्नसाद शर्मा के अनुसार,  जैतून प्रीमियम खाद्य तेलों की श्रेणी में सबसे ऊंचा स्थान रखता है। इसके तेल की बाजार कीमत 1 हजार रुपए प्रति लीटर तक होती है। इसके एक पौधै से लगभग 30 किलो तक पैदावार प्राप्त होती है। इसके एक हेक्टेयर खेत में लगभग 1250 पौधे लगाए जा सकते हैं। जैतून के एक किलो फल से लगभग 15 प्रतिशत तक तेल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। किसानों से राजस्थान सरकार 60 रुपए किलो की दर से  जैतून फल क्रय कर रही है। 

जैतून की खेती कैसे और कब शुरू करें? (How and when to start olive farming?)

सीओई के सहायक निदेशक केदार शर्मा ने बताया कि जैतून की खेती राज्य के लिए एक नई फसल है। इसकी खेती के लिए रोपाई साल में कभी भी की जा सकती है। अमतौर पर जैतून की खेती में पौधों की रोपाई जुलाई से अगस्त महीने में की जाती है, लेकिन जहां सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है, वहां इसकी रोपाई दिसंबर से जनवरी में भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जैतून की खेती (Olive Farming) के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि की जरूरत होती है, लेकिन इसे अलग-अलग मिट्टियों में भी उगाया जा सकता है। लेकिन इसकी खेती के लिए अम्लीय और क्षारीय भूमि जिसका P.H. मान 6.5 से 8.0 के मध्य हो उचित होती है। उन्होंने बताया कि बार्निया, अरबी क्युना, कोरोनीकी और कोर्टिना जैतून की चार किस्में राजस्थान की भूमि के लिए उपयुक्त है। जैतून की खेती के लिए राज्य के जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, नागौर, झुंझुनू, हनुमानगढ़, अलवर और जालोर जिले काफी  उपयुक्त है। राजस्थान के जयपुर में जैतून (Olive) की नर्सरी से पौधे तैयार किए जाते हैं।

जैतून के पौधों को खेत में लगाने से पहले खेत को ठीक तरीके से तैयार करने की आवश्यता होती है। इसके लिए खेती की अच्छे से जुताई कर पाटा लगाकर खेती तैयार कर लेते है। इसके बाद जैतून के पौध की रोपाई लिए खेत में 3X3 आकार वाले गड्ढ़ों को तैयार करें। इन गड्ढ़ों में जैतून के पौधे लगाए। खेत में लगाए गए इन पौधों के मध्य 4 मीटर और कतार से कतार की दूरी 7 मीटर रखते हुए पौधरोपण करें और रोपाई के पश्चात खेत में ड्रिप सिंचाई विधि से पौधों की सिंचाई करें। जैतून (Olive) का पौधा रोपाई के चार साल बाद उपज देना आरंभ कर देता है और 100 साल तक फल देता रहता है।

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