New Paddy Variety 2024 : चावल निर्यात में भारत पहले नंबर पर आता है। भारत दुनिया के कुल चावल निर्यात में लगभग 40 प्रति की हिस्सेदारी रखता है। बेनिन, बांग्लादेश, अंगोला, कैमरून, जिबूती, गिनी, आइवरी कोस्ट, केन्या, नेपाल जैसे देशों को भारी मात्रा में भारत चावल निर्यात करता है। साथ ही देश की अधिकांश आबादी का मुख्य भोजन भी चावल है, जिस वजह से कृषि वैज्ञानिक एवं सरकार द्वारा चावल के उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि अनुसंधान संस्थानों द्वारा धान की नई किस्मों को तैयार करने पर काम किया जा रहा है, जो प्रमुख रोगों के लिए प्रतिरोधी हो और क्षेत्र की जलवायु के अनुसार अधिक पैदावार देने में सक्षम हो। इसी क्रम में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने इस साल (2024) के लिए धान की विभिन्न नई किस्में जारी की है। धान की इन उन्नत किस्मों को विभिन्न राज्यों की जलवायु के अनुसार विकसित किया गया है। ये किस्में रोगों से लड़ने में सक्षम है और कम समय में अधिक पैदावार देती है। आइए, इन धान की किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
धान की सीआर धान 322 किस्म : ओडिशा के कटक स्थित आईसीएआर के नेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा सीआर धान 322 (CR Paddy 322) किस्म को विकसित किया है। जिसे 2024 यानी इसी साल अधिसूचित किया गया है। यह किस्म महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के लिए अनुशंसित की गई है। धान की यह किस्म सिंचित स्थिति में, देर से बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की परिपक्वता अवधि 135 से 140 दिन की है। इससे औसत उपज 54.07 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हासिल की जा सकती है। इस धान किस्म की खास विशेषता यह है कि यह कीटों और रोगों के प्रति प्रतिरोधी है। सीआर धान 322 तना छेदक, पत्ती मोड़क और अनाज के रंग बदलने के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।
सीआर धान 331 को भी आईसीएआर- नेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किया है। इसे वर्ष 2024 में ही जारी किया गया है। यह सिंचित स्थिति में देर अवधि की बुवाई के लिए उपयुक्त है। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सिंचित कृषि पारिस्थितिकी स्थिति में देर से बुवाई के लिए अनुशंसित की गई है। धान की नई किस्म सीआर धान 331 औसत पैदावार क्षमता 5215 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की है और इसकी परिपक्वता अवधि 140 दिन की है। सीआर धान 331 नेक ब्लास्ट के प्रति सहनशील और जीवाणु ब्लाइट, पत्ती ब्लास्ट और शीथ रॉट का कम प्रकोप है।
चावल की किस्म सीआर धान 332 को आईसीएआर- राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (एनआरआरआई), कटक ने विकसित किया है। इस धान किस्म को ओडिशा और पश्चिम बंगाल की सिंचित पारिस्थितिकी के लिए 2024 में अधिसूचित किया गया है। यह किस्म सिंचित क्षेत्र में खेती के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 135 से 140 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। चावल की सीआर धान 332 की औसत पैदावर 57.58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म में अच्छी कुटाई (हलिंग) और छिलका हटाना (मिलिंग) के साथ कम टूटने वाले लंबे मोटे दाने के साथ वांछनीय क्षार प्रसार मूल्य होता हैं। यह किस्म भूरे धब्बे और म्यान सड़न, पत्ती मोड़क, भंवर मैगॉट और थ्रिप्स के हमले के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।
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