Mustard Varieties : कृषि में बीज का अत्यधिक महत्व होता है, क्योंकि फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बीज की गुणवत्ता पर ही निर्भर है। इसलिए कृषि अनुसंधान संस्थानों एवं सरकार द्वारा किसानों को उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। किसान इन बीजों की खेती करके अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। आने वाले दिनों में देशभर में रबी सीजन की शुरूआत हो जाएगी। इस दौरान अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों द्वारा गेहूं, सरसों समेत अन्य रबी फसलों की बुवाई की जाएगी। ऐसे में सरसों की खेती करने वाले किसानों को बंपर उत्पादन देने वाली उन्नत किस्में मिले, इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और डीआरएमआर (डायरेक्टरेट ऑफ रैपसीड एंड मस्टर्ड रिसर्च) द्वारा राई/ सरसों की कई किस्में विकसित कर जारी की जा रही है। मौजूदा दौर के लिए कृषि अनुसंधान द्वारा कई खास सरसों की वैरायटी जारी की है, जिनमें तेल की मात्रा अन्य किस्में के मुकाबले कहीं अधिक है। इनमें से हम सरसों की टॉप 7 किस्मों की जानकारी किसानों भाईयों को उपलब्ध कराने जा रहे हैं। क्षेत्र की कृषि पारिस्थितिकी के अनुसार किसान सरसों की इन टॉप किस्मों का चयन कर खेती कर सकते हैं और फसल पैदावार बढ़ा सकते हैं।
सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर भरतपुर (डीआरएमआर) द्वारा विकसित टॉप सरसों किस्मों में एनआरसीडीआर-2 (भारतीय सरसों), एनआरसीएचबी-506 हाइब्रिड (भारतीय सरसों), एनआरसीडीआर-601 (भारतीय सरसों), एनआरसीएचबी-101 (भारतीय सरसों), डीआरएमआरआईजे-31 (गिरिराज) (भारतीय सरसों), डीआरएमआर 1165-40 (भारतीय सरसों), डीआरएमआरआईसी 16-38 (बृजराज) (भारतीय सरसों) किस्म शामिल है। सरसों की ये किस्में सफेद रतुआ, अल्टरनेरिया ब्लाइट, पाउडरी फफूंद और अजैविक तनावों (लवणता, उच्च तापमान) के प्रति सहनशील हैं और विशिष्ट बढ़ती परिस्थितियों के लिए गुणवत्ता विशेषताओं की सिफारिश की गई है।
अधिसूचित वर्ष 2006-2007
जोन II (दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान)
समय पर बुवाई और सिंचित कृषि पारिस्थितिकी स्थिति
तेल की मात्रा- 36.5 से 42.5 प्रतिशत
औसत पैदावार- 19.51-26.26 क्विंटल/हेक्टेयर
पक्कवार अवधि- 131 से 156 दिन
विशेषता- बुवाई के समय लवणता और उच्च तापमान के प्रति सहनशील। सफेद रतुआ, अल्टरनेरिया ब्लाइट, स्केलेरोटिनिया स्टेम रॉट, पाउडरी फफूंद और एफिड्स का कम प्रकोप।
जोन : III (राजस्थान और उत्तर प्रदेश) के लिए अधिसूचित
अधिसूचना वर्ष- वर्ष 2008-2009
औसत बीज उत्पादन – 15.50 से 25.42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
परिपक्वता अवधि- 127 से 148 दिन
कृषि पारिस्थितिकी स्थिति- अत्यधिक अनुकूलन
बीज में तेल मात्रा- 38.6-42.5 प्रतिशत
खास विशेषता- उच्च तेल मात्रा, उच्च पैदावार क्षमता
जोन- II (दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब औेर राजस्थान) के अनुशंसित
अधिसूचना वर्ष 2009-2010
कृषि पारिस्थितिकी स्थिति- सिंचित क्षेत्र में समय से बुवाई के लिए उपयुक्त
तेल की मात्रा - 38.7-41.6 प्रतिशत
औसत पैदावार- 19.39-26.26 क्विंटल/हेक्टेयर
परिपक्वता अवधि- 137 से 151 दिन की
खास गुण- बुवाई के समय लवणता और उच्च तापमान के प्रति सहनशील। सफेद रतुआ, (स्टैग हेड), अल्टरनेरिया ब्लाइट और स्केलेरोटेनिया रॉट का कम प्रकोप।
अधिसूचना वर्ष- 2013-2014
अनुशंसित जोन- II (दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों के लिए)
कृषि पारिस्थितिकी स्थिति- सिंचित स्थितियों में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त
तेल मात्रा -39-42.6 प्रतिशत
औसत पैदावार- 22.25-27.50 क्विंटल/हेक्टेयर
परिपक्वता अवधि-137-153 दिन
विशेषता- मोटे बीज वाली, उच्च तेल मात्रा वाली और उच्च उपज देने वाली सरसों किस्म।
अधिसूचना का वर्ष- 2020
जोन- II (राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू और कश्मीर) के लिए अनुशंसित
कृषि पारिस्थितिकी स्थिति - समय पर बुवाई, वर्षा आधारित स्थिति
औसत बीज उपज- 22.00-26.00 क्विंटल/हेक्टेयर
बीज में तेल की मात्रा- 40 से 42.5 प्रतिशत
परिपक्वता अवधि – 133 से 151 दिन तक की
विशेषता : अंकुरण अवस्था में गर्मी सहनशील और नमी तनाव सहनशील
अनुशंसित जोन- III (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू एवं कश्मीर तथा राजस्थान का कुछ भाग)
औसत बीज उपज-16.81- 18.01 क्विंटल /हेक्टेयर
तेल की मात्रा - 37.6- 40.9 प्रतिशत
परिपक्वता अवधि – 120 से 149 दिनों की
विशेष गुण -अल्टरनेरिया पत्ती झुलसा, सफेद जंग, तना सड़न, कोमल फफूंद और चूर्णी फफूंद कम है और एफिड का प्रकोप भी कम।
कृषि पारिस्थितिकी स्थिति- सिंचित स्थितियों के तहत देर से बोई गई
अधिसूचना का वर्ष – 20 जुलाई 2021
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