देश-विदेश सहित भारत जैसे देश में सजावटी मछली पालन का उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। ऐसी मान्यता है कि ये मछलियां गुड लक लाती हैं और देश-विदेश के बाजारों में बड़ी मांग है। यही कारण है कि भारत में शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक इसका शौक बढ़ता जा रहा है, अब लोग घरों के अंदर एक्वेरियम लगाकर रंगीन मछलियां पाल रहे है। यही वजह है, जो ये बिजनेस शहरों के साथ-साथ गांव में किसानों के लिये भी गुड़ लक लाता है। बिहार-झारखंड जैसे राज्यों में सजावटी मछली पालन से बड़े स्तर पर रोजगार का सृजन हुआ है। यहां खेतिहर किसान अब सजावटी मछलियों की यूनिट लगाकर अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। आप चाहें, तो अपनी सहूलियत और बाजार मांग के अनुसार छोटे से लेकर बड़े स्तर पर सजावटी मछलियां पालन कर अतिक्ति कमाई कर सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें इस व्यवसाय के लिए कुल इकाई लागत पर अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता भी देती है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत सजावटी मछलियों के पालन पर महिलाओं को 60 प्रतिशत तक अनुदान और पुरुष मछली पालकों को करीब 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। बता दें कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पशुपालन, डेयरी तथा मछली पालन विभाग सजावटी मछली पालन की क्षमता और व्यापकता को देखते हुए 61.89 करोड रूपये की लागत से साल 2017 में सजावटी मछली पालन परियोजना को शुरू किया था। तो आइए ट्रैक्टरगुरु के इस लेख में सजावटी मछली पालन पर सब्सिडी से संबंधित सभी जानकारी के बारे में जानते हैं।
सजावटी मछलियों की देश-विदेश के बाजारों में बड़ी मांग है। विश्व में सजावटी मछलियों यानि रंग-बिरंगी मछलियों का कारोबार 50 करोड़ अमेरिकी डालर है, लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी मात्र 5 करोड़ अमेरिकी डालर ही है। भारत के विभिन्न हिस्सों में समुद्री सजावटी मछलियों की लगभग 400 प्रजातियां हैं। ऐसे में सरकार सजावटी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। इसके लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने सजावटी मछली पालन परियोजना लांच किया हुआ है। इस परियोजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत सजावटी मछली पालन यानी ऑर्नामेंटल मछली पालन पर किसानों को करीब 60 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है।
मत्स्य पालकों को व्यवसायिक स्तर पर सजावटी मछली पालन की ट्रेनिंग दी जा रही है। सजावटी मछली पालन को प्रोत्साहित करने, सजावटी मछली पालन और निर्यात से आय को मजबूत बनाने, ग्रामीण और ग्रामीण क्षेत्र के बाहर की आबादी के लिए रोजगार अवसरों का सृजन करने के साथ ही सजावटी मछली पालन को फलता-फूलता व्यवसाय बनाने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी की सुविधा भी दी जा रही है।
केंद्र राज्य सरकारें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ऑर्नामेंटल फिश फार्मिंग की कुल इकाई लागत पर आर्थिक अनुदान देती है। इसके लिए सरकार ने बैकयार्ड ऑर्नामेंटल यानि सजावटी मछली पालन यूनिट के लिए अधिकतम इकाई लागत 3 लाख रुपए निर्धारित की गई है। मध्यम आकार की सजावटी मछली पालन इकाई के लिए अधिकतम 8 लाख रुपए की लागत एवं बड़े पैमाने पर सजावटी मछली पालन पर 25 लाख रुपए की लागत इकाई निर्धारित की गई है, जिस पर सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
सजावटी मछली पालन परियोजना राष्ट्रीय मछली पालन विकास बोर्ड यानि एनएफडीबी विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मछली पालन विभागों के माध्यम से लागू की जाती है। सजावटी मछलियों की परियोजना के अंतर्गत सब्सिडी वितरण की व्यवस्था नीली क्रांति यानि मछलियों के एकीकृत विकास और प्रबंधन के माध्यम से की जाती है। इस परियोजना के तहत देश में असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में मछली पालक सजावटी मछली पालन ईकाइ स्थापित कर आजीविका कमा रहे हैं। सजावटी मछली पालन खाद्य और पोष्टिकता सुरक्षा में प्रत्यक्ष रूप से कोई योगदान नहीं करता लेकिन ग्रामीण क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र से बाहर की आबादी के लिए विशेषकर महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को आजीविका और आय प्रदान करता है। इस उद्योग में कम समय और कम उत्पादन लागत में अधिक मुनाफा है। सजावटी मछलियों की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मांग लगातार बढ़ रही है।
सजावटी मछली पालन परियोजना के तहत छोटे मछली पालक अपने घर के घर के पीछे के हिस्से में मछली पालन ईकाइयां स्थापित कर सकेंगे, वहीं बड़े मछली पालक मझोले आकार की ईकाइयां, एकीकृत प्रजनन और उत्पादन इकाइयां, एक्वेरियम फैब्रिकेशन भी कर सकते हैं। वैज्ञानिक तकनीक से सजावटी मछली पालन छोटी इकाई लगाने के पर शेड़, मछलियों के फीड और कुछ प्रबंधन कार्यों में कुल 50 से लेकर 1 लाख रुपए तक का खर्च आता है, जिससे करीब 20 हजार रुपए तक की शुद्ध आय कमा सकते हैं। यदि इस व्यवसाय को बड़े पैमाने पर किया जाता है, तो अधिकतम 25 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं, जिससे 1.5 लाख रुपए तक शुद्ध आय प्राप्त हो सकती है। और सरकार की ओर से इकाई लागत का 60 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में प्राप्त हो जाता है। मछली विशेषज्ञ के अनुसार रंगीन मछलियों की यूनिट लगाकर लाखों की आमदनी ले सकते है।
मछली विशेषज्ञ के अनुसार किसी भी काम से अच्छे परिणामों के लिये सही ट्रेनिंग का होना बेहद जरूरी है। यही बात लागू होती है सजावटी मछली पालन के लिए। मछली विशेषज्ञ बताते हैं कि सजावटी मछली पालन परंपरागत मछली पालन क्षेत्र का एक उप क्षेत्र है जिसमें मछलियों का प्रजनन सामान्य जल और समुद्री जल किया जाता है। इस बिजनेस की सफलता के लिये ऑर्नामेंटल मछलियों का सही प्रबंधन बेहद जरूरी है। मछली विशेषज्ञ को कहना है कि ऑर्नामेंटल मछलियों के पालन में भरपूर ताजा पानी से लेकर बेहतर क्वालिटी के फूड स्टॉक और बिजली की निरंतर सप्लाई तो बेसिक चीजें है, लेकिन मछलियों को अच्छा वातावरण प्रदान करना, जलवायु के अनुसार यूनिट का मैनेजमेंट करने के लिए सावधानी पूर्वक प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इसके अलावा मछलियों के समय पर दाना पानी देना और मछलियों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रजनन का सही तरीका, स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री से मछलियों के लिए संतुलित आहार तैयार करना और मछलियां तो नदियों और तालाबों से इकट्ठा करने की बेहतर प्रबंधन ही किसानों को सफलता दिला सकता है। इसका मुनाफा पूरा तरह यूनिट के आकार पर निर्भर करता है। यह बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी दिला सकता है। हमारे देश में सबसे अधिक सजावटी मछलियां पूर्वोत्तर भारत में पाली जाती हैं।
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