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जैविक खेती : प्रति एकड़ 11,500 रुपए सब्सिडी जैविक खेती करने पर, जानिए पूरी योजना

जैविक खेती : प्रति एकड़ 11,500 रुपए सब्सिडी जैविक खेती करने पर, जानिए पूरी योजना
पोस्ट -19 नवम्बर 2022 शेयर पोस्ट

बिहार सरकार किसानों को जैविक खेती के लिए कर रही है प्रोत्साहित

भारत सरकार बीते कुछ वर्षों से देश में कैमिकल मुक्त फसल उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार की ओर से नेचुरल फार्मिंग योजना भी चलाई जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती यानि जैविक खेती अपनाने पर उन्हें आर्थिक मदद और खेती की ट्रेनिंग देने का प्रावधन भी किया गया है। इस नेचुरल फार्मिंग वाली योजना को सफल बनाने के लिए देश कि कई राज्य सरकारें अपने स्तर पर कई योजनाएं भी चला रही है। इन योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही है। इस बीच बिहार सरकार की ओर से अपने राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई पहल कि है। बिहार सरकार ने जैविक खेती को बढावा देने के लिए जैविक कॉरिडोर योजना चलाई है। जिसके तहत राज्य में जैविक खेती करने वाले किसानों को 11,500 रुपए प्रति एकड़ की आर्थिक मदद दी जाएंगी। साथ ही उन्हें जैविक खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। तो आइए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से जैविक कॉरिडोर योजना के बारे में जानते हैं। और इस योजना से किसानों को क्या लाभ होगा। 

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क्या हैं बिहार सरकार की जैविक कॉरिडोर योजना?

बिहार में बीते कुछ वर्षों के अंदर खेती से अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए रासायनिक खादों-कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ा है। परिणाम स्वरूप खेती से उत्पादन तो अधिक मिल रहा है, लेंकिन रासायनिक खादों-कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल से भूमि पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। दिन-प्रति-दिन भूमि की ऊपज शक्ति घटती जा रही है और भूमि बंजर हो रही हैं। इतना ही नहीं इस वजह से आमजन जीवन में सकारात्मक से नकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है। खेती में रासायनिक खादों के प्रयोग से उत्पन्न खाद्यान्न उत्पादन के चलते कैंसर जैसी भयानक बीमारियों के फैलने की आशंका भी बनी हुई है। इन्हीं बतों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने अपने किसानों के हित में फैसला लेते हुए राज्य में कैमिकल मुक्त फसल उत्पादन, मृदा स्वास्थ्य तथा पर्यावरण-संरक्षण के लिए जैविक कॉरिडोर योजना चला रही है। जिसका लक्ष्य जैविक उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है। 

जैविक खेती के लिए मिलेगी आर्थिक सहायता और ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन

राज्य के अंदर जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू कि गई जैविक कॉरिडोर योजना के तहत बिहार सरकार बड़े जोर-शोर से काम कर रही है। योजना को सफल बनाने के लिए लोगों को इसके प्रति जागरूक कर रही है। इस योजना के तहत किसानों को ट्रेनिंग और आर्थिक मदद भी दी जा रही हैं। प्रदेश के किसान सरकार की जैविक कॉरिडोर योजना से जुड़कर जैविक खेती के लिए 11,500 रुपये प्रति एकड़ की आर्थिक सहायता और अपने उत्पाद बेचने के लिए ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन भी ले सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट की जानकारी के अनुसार जैविक कोरिडोर योजना में 13 जिलों के किसानों को 11,500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान दिया जा चुका है। जिनमें पटना, वैशाली, नालांदा, बक्सर, खगडि़या, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, समस्तीपुर शामिल है। कृषि मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के हिसाब से इस योजना के माध्यम से अभी तक 186 किसान उत्पादक संगठन और क्लस्टर्स को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन के लिए सी-2 सर्टिफिकेट्स दिए जा चुके हैं।

अधिकतम ढाई एकड के लिए दिया जाता है अनुदान

बिहार सरकार ने जल-जीवन हरियाली अभियान के तहत जैविक कॉरिडोर योजना शुरू की है, जो राज्य के अंदर जैविक खेती करने वाले किसानों को वित्तीय मदद उपलब्ध कराती है। बिहार सरकार इस योजना को  राज्य के 25 जिलों में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया है। इस योजना के तहत जैविक कोरिडोर के 25 जिलों के व्यक्तिगत किसानों को 11,500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान दिया जाएगा। इन जिलों में जैविक खेती करने वाला प्रत्येक किसान अधिकतम ढाई एकड़ तक की खेती के लिए अनुदान प्राप्त कर सकते है। जैविक खेती कर रहे किसानों की मदद करने, जैविक उत्पादों को बाजार उपल्बध कराने के लिए बिहार राज्य जैविक मिशन का गठन जुलाई 2021 में किया गया था। जिसके तहत किसानों को जैविक प्रमाण के बीजों का प्रबंधन करने के लिए बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी को शुरू किया गया था। बिहार स्टेट सीड एण्ड ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी राज्य में किये जा रहे जैविक खेती का प्रमाणीकरण का काम करती है। पर्याप्त जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी जैविक प्रमाणीकरण का कार्य किया जा रहा है। 

जैविक कॉरिडोर योजना का लाभ इस तरह से उठा सकते है किसानों 

बिहार कृषि विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जल-जीवन हरियाली मिशन के तहत चालू जैविक कॉरिडोर योजना के तहत जैविक खेती करने पर प्रत्येक किसान को अनुदान नहीं दिया जाएगा। बिहार के कृषि व किसान कल्याण विभाग के अनुसार जैविक खेती करने वाले राज्य के उन्हीं किसानों को इस योजना के तहत अनुदान देय होगा, जो कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) या कलस्टर में शामिल हो। यानि इस योजना का क्रियान्वयन कृषक उत्पादक समूह और कलस्टर के तहत किया जा रहा है। बिहार के कृषि व किसान कल्याण विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस योजना में 25 सदस्यों वाले किसान उत्पादक संगठन (एफपीओं) या 25 एकड़ में फैले क्लस्टर में शामिल किसानों को ही अनुदान और सर्टिफिकेशन दिया जाएंगा। 

जैविक खेती के लिए किसानों को अतिरिक्त खर्च न करना पड़े

बिहार में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए के लिए राज्य सरकार जल-जीवन हरियाली मिशन के तहत जैविक कोरिडोर योजना चला रही है। जिसके तहत जैविक खेती के लिए कई तरह प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं, ताकि किसान इसका लाभ उठाकर फसलों में कम से कम रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का प्रयोग करें। इसके साथ ही जैविक तरीके को अपनाकर फसलों में प्राकृतिक खाद जैसे- केंचुआ खाद, गोबर खाद का उपयोग करें, जिससे फसल से अच्छा मुनाफा हो। योजना में तय प्रावधान के तहत राज्य में अपने स्वेच्छा से जैविक खेती अपनाएंगे तो सरकार उन्हें 11,500 रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जा रहा है। इस अनुदान राशि में से 6,500 रुपए का जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम और नेशनल प्रोग्राम ऑर आर्गेनिक प्रोडक्शन का प्रमाणित खाद खरीदना होता है। एवं शेष बची राशि से वर्मी कंपोस्ट प्लांट भी लगाना होता है, ताकि जैविक खेती के लिए बाहर से खाद ना खरीदने पर खर्च न करना पड़े।  

बिहार के इन जिलों में लागू है जैविक कॉरिडोर योजना 

बिहार कृषि व किसान कल्याण विभाग ने जल-जीवन हरियाली मिशन के तहत जैविक कॉरिडोर योजना शुरू की हुई हैं, जिसमें तृतीय कृषि रोडमैप के तहत जैविक खेती की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत प्रदेश के अंदर जैविक खेती को बढ़ावा देने, जैविक खेती कर रहे किसानों की मदद करने एवं जैविक उत्पादों को बाजार उपल्बध कराने के लिए जुलाई 2021 में बिहार राज्य जैविक मिशन का गठन किया था। विभाग का कहना है कि राज्य सरकार इस योजना को राज्य के 25 जिलों में जल्द लागू कर विस्तार करेगी। विभाग कि जानकारी के अनुसार जैविक कॉरिडोर योजना 2019 से बिहार के 13 जिलों में लागू हैं, जिसमें पटना, वैशाली, नालांदा, बक्सर, खगडि़या, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, समस्तीपुर शामिल है। 

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