KCC Scheme : अगर आप किसान हैं और किसान क्रेडिट कार्ड धारक है, तो यह खबर आपके लिए बड़े काम की है। सरकार ने किसानों के केसीसी ब्याज को चुकाने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले से करीब 19 लाख किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को सीधा फायदा होगा।
Kisan Credit Card Scheme : कृषि में समय-समय पर विभिन्न कार्यों के लिए किसानों को पैसों की आवश्यकता पड़ती है। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड योजना (Kisan Credit Card Scheme) चलाई जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को एक क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवाया जाता है। जिसकी सहायता से रियायती ब्याज दर पर सब्सिडी वाला ऋण किसानों को विभिन्न वित्तीय संस्थानों एवं बैंकों द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) को भी लॉन्च किया गया है। इस बीच झारखंड के किसानों के लिए एक बड़ी खबर है। केसीसी ऋण पर लगने वाले ब्याज को वहन करने का फैसला झारखंड राज्य सरकार ने किया है। इसके तहत राज्य के उन केसीसी ऋण खाताधारकों का केसीसी लोन का ब्याज सरकार चुकाएगी जो समय पर ऋण की ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं। किसानों के हित में यह एक अहम फैसला साबित होगा। किसानों को ब्याज के बोझ से मुक्त किया जा सकेगा। आईए इस पोस्ट की मदद से झारखंड सरकार द्वारा लिए गए फैसले के बारे में विस्तापूर्वक जानते हैं।
19 लाख से अधिक केसीसी ऋण खाताधारकों को मिलेगा लाभ
झारखंड सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लोन पर लगने वाले ब्याज को भरने का निर्णय किया है। इसके तहत केसीसी ऋण खाताधारकों के केसीसी लोन पर लगने वाले ब्याज का भुगतान राज्य सरकार करेगी। लेकिन इसके लिए राज्य सरकार ने शर्त रखी है कि किसानों को अपने केसीसी लोन की किस्त का भुगतान 31 मार्च 2024 से पहले बैंक में करना होगा। राज्य के जिन किसानों ने केसीसी लोन लिया है अगर वे सरकार की इस शर्त को पूरा करते हैं, तो उन्हें राज्य सरकार की इस योजना का लाभ दिया जाएगा। राज्य सरकार की इस योजना का लाभ राज्य के 19 लाख से अधिक केसीसी ऋण खाताधारकों को मिलेगा।
केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर वहन करती है ब्याज
बता दें कि किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) पर किसानों को खाद-बीज, कीटनाशक, कृषि उपकरण / मशीन जैसी खेती संबंधित चीजों में निवेश करने के लिए 3 लाख रुपए तक का अल्पकालीन ऋण सब्सिडी ब्याज दर से उपलब्ध करवाया जाता है। केसीसी धारकों को वैसे तो यह केसीसी ऋण (KCC Loan) 7 प्रतिशत की ब्याज दर से पड़ता है। लेकिन इसमें 3 प्रतिशत राज्यांश और 3 प्रतिशत केंद्रांश के रूप में केंद्र और राज्य सरकार ब्याज का खर्च वहन करती है। शेष 1 प्रतिशत ब्याज का वहन स्वयं किसान को करना पड़ता है। लेकिन इतना करने के बावजूद अक्सर यह देखा गया है कि किसान किसी कारणवश शेष बचे 1 प्रतिशत ब्याज दर का भुगतान समय से नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण उनका केसीसी ऋण खाता के एनपीए होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने केसीसी धारकों को राहत देने के लिए शेष एक प्रतिशत ब्याज का खर्च वहन करने का फैसला किया है। इसके तहत अब राज्य सरकार 4 प्रतिशत और केंद्र सरकार 3 प्रतिशत ब्याज का वहन करेगी।
आवंटित की जाएगी 25 करोड़ रुपए की राशि
गौरतलब है कि राज्य में सभी किसानों तक इस महत्वाकांक्षी योजना की पहुंच बनाने के लिए कुछ महीने पहले झारखंड सरकार द्वारा राज्य में एक जागरूकता अभियान चलाया गया है। इस महत्वाकांक्षी अभियान के माध्यम से प्रत्येक किसान तक ऋण सुविधाओं की निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने के लिए लगभग 6.25 लाख किसानों के केसीसी कार्ड बनाए गए हैं। खास बात यह है कि इस कार्ड पर 1.60 लाख रुपए तक का केसीसी ऋण लेने के लिए कार्ड धारकों को कोई गारंटी या किसी प्रकार का कोई खास दस्तावेज भी नहीं देना होगा। केसीसी ऋण पर ब्याज खर्च का भुगतान करने के पीछे राज्य सरकार की मंशा है कि केसीसी ऋण खाताधारक केसीसी का उपयोग सही तरीके से उचित कार्य के लिए करें और ऋण को समय पर चुकाने का प्रयास करें। राज्य सरकार द्वारा तैयार प्रस्ताव कैबिनेट की सहमति के लिए भेजा जा रहा है। कैबिनेट की सहमति मिलने के बाद इसके लिए 25 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की जाएगी।
400 करोड़ रुपए होंगे खर्च
विभाग के अधिकारियों द्वारा दिए गए आंकड़ों के मानें तो इस वर्ष झारखंड में केसीसी धारकों द्वारा करीब 10 हजार करोड़ रुपए का केसीसी ऋण उठाया गया है। अगर राज्य सरकार इस केसीसी लोन पर लगने वाले ब्याज का 4 प्रतिशत खर्च वहन करती है, तो इसके लिए सरकार को 400 करोड़ रुपए का राज्यांश खर्च करने होंगे। लेकिन एक तथ्य यह भी है कि राज्य में करीब 40 प्रतिशत केसीसी धारक ऐसे हैं जो बैंक को किश्त का भुगतान समय से या किस्त का भुगतान ही नहीं करते हैं। जिसके कारण बैक उन्हें डिफॉल्टर की श्रेणी में डाल देते है। इस समस्या को मध्यनजर रखते हुए राज्य सरकार ने निर्णय किया कि ब्याज की राशि सीधे बैंकों को जमा कराएगी।
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