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खुशखबरी : देसी गाय खरीदने पर सरकार से मिलेगी 50 प्रतिशत तक सब्सिडी

खुशखबरी : देसी गाय खरीदने पर सरकार से मिलेगी 50 प्रतिशत तक सब्सिडी
पोस्ट -28 जून 2022 शेयर पोस्ट

प्राकृतिक खेती को बढ़़ावा देने के लिए सरकार ने शुरू की नई पहल, सरकार देगी 25 हजार रूपये का प्रोत्साहन  

हरियाणा सरकार प्रधानमंत्री मोदी की नेचुरल फार्मिंग वाली योजना को सफल बनाने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई पहल की है। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढावा देने के लिए देसी गाय की खरीद पर 25,000 रूपये तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया है। राज्य के ऐसे किसान जिनके पास 2-5 एकड़ तक की कृषि योग्य भूमि है और वे अपने स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाएंगे तो सरकार उन्हें देसी गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी और जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम निशुल्क उपलब्ध करा रही है।

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प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को करनाल के डॉ. मंगलसेन सभागार में प्राकृतिक खेती पर आयोजित राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में इसकी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य होगा, जहां प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की पहल की गई है। प्राकृतिक खेती का मूल उद्देश्य खानपान को बदलना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें खाद्यान्न ही औषधि की धारणा को अपनाना होगा। उन्होंने यह भी कहा प्राकृतिक खेती ही इसका एकमात्र रास्ता है, मुझे खुशी है कि किसान अब जैव खेती का मतलब समझ रहे हैं। इसके लिए अब तक 1,253 किसानों ने रजिस्ट्रेशन किया है, तो आइए ट्रैक्टरगुरू की इस पोस्ट के माध्यम से हरियाणा सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने को लेकर की गई घोषणा पर एक नजर डालते हैं। पोस्ट के माध्यम यह जानते हैं कि हरियाणा सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने को लेकर की गई घोषणा में किसानों के लिए क्या खास है। 

प्रदेश में 50 हजार एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि राज्य में जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। प्राकृतिक खेती प्रणाली को शून्य बजट खेती भी कहा जाता है, क्योंकि इस खेती में रासायनिक उर्वरक और खाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि प्राकृतिक रूप से तैयार खादों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए हरियाणा सरकार भी देसी गायों पर छूट देकर बड़ा कदम उठा रही है। उन्होंने कहा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए फिलहाल प्रदेश की 50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए खंड स्तर पर प्रदर्शन प्लांट लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन प्लांट लगाने वाले किसानों के लिए पोर्टल बनाया जाएगा। इस पोर्टल पर जमीन की पूरी जानकारी देने के साथ-साथ किसान स्वेच्छा से फसल विविधीकरण अपनाने के बारे में अवगत करवाएगा। इस प्रकार विभाग के पास पूरी जानकारी होगी तो उसकी आसानी से मॉनिटरिंग की जा सकेगी।

किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि हर ब्लॉक में एक प्रदर्शन प्लांट अवश्य बनाया जाए ताकि उस खंड के किसान उसका आसानी से लाभ उठा सकें। ब्लॉक स्तर पर 50 से ज्यादा प्रगतिशील किसान प्रशिक्षित किये जाएं। इस प्रकार प्रदेशभर में ज्यादा से ज्यादा प्रगतिशील किसान तैयार किये जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि अब तक 232 एटीएम, बीटीएम व किसानों ने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया है। ये प्रशिक्षित किसान लोग प्रदेश के अन्य किसानों के पास जाकर योजनाओं के साथ प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित करेंगे। किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए 20-25 किसानों के  छोटे-छोटे समूह बनाए जाएगें, ताकि वे अच्छी तरह से फसल उत्पादन के बारे जानकारी ले सकें। प्राकृतिक खेती के उत्पादों की पैकिंग सीधे किसान के खेतों से ही हो, ऐसी योजना भी तैयार की जाएगी ताकि बाजार में ग्राहकों को इस बात की शंका न रहे कि यह प्राकृतिक खेती का उत्पाद है या नहीं।

अब प्राकृतिक खेती को समझने लगे हैं किसान

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती को किसान अब समझने लगे है। उन्होंने कहा प्राकृतिक खेती के लिए राज्य को केन्द्र सरकार से जो बजट मिलेगा, उस बजट ज्यादा हरियाणा सरकार भी देगी। आगे उन्होंने कहा कि एक समय था जब 1960 के दशक में देश में खाद्यान्नों की कमी हो गई थी। इसी कमी को पूरा करने के हरित क्रांति को शुरू किया गया है। आधुनिक विधि एवं रासायनिक खादों व कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से खेती में अधिक पैदावार तो हुई, लेकिन रासायनिक खादों के अधिक प्रयोग से अब खेत भी जहरीले हो गए और खेतों की उपजाऊ शक्ति भी कम हो गई है। रासायनिक खादों के प्रयोग से खाद्यान्नों भी जहरीले हो गए है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने व भूमि की ऊपज शक्ति को बढ़ाने एवं कम लागत पर अधिक पैदावार के लिए प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जोर दिया है। 

प्राकृतिक खेती  

प्राकृतिक खेती, खेती की वह विधि है, जिसमें रासायनिकों का इस्तेमाल नहीं होता है। इसमें बाहरी लागत की मदद के बिना परंपरागत खेती को बढ़ावा दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह छोटे किसानों के लिए ज्यादा उपयोगी साबित होगी क्योंकि यह उनकी मौजूदा खेती में लगने वाली लागत पर निर्भरता कम करती है। इस प्रकार की खेती में ऋतुओं में हेरफेर करने के कृत्रिम तरीकों का भी उपयोग नहीं किया जाता है और स्थान के वनस्पतियो और जीवों को प्रभावित किए बिना प्राकृतिक चक्रों का पालन किया जाता है।

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