भारत दूध के उत्पादन में दुनिया में नंबर वन पर आता है और यहां पर गांव में रहने वाले लोगों के लिए दूध उत्पादन एक आय का प्रमुख स्त्रोत है। भारत सरकार दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है जैसे ‘डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट योजना, डेयरी उद्यमिता विकास योजना, राष्ट्रीय पशुधन मिशन, राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना आदि। इन योजनाओं का शुभारम्भ देश के लोगो को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए किया गया है। इस योजना के अंतर्गत डेयरी फार्मिंग को व्यवस्थित करने के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रो के लोगों को सरकार द्वारा कम ब्याज दर पर लोन दिलाया जा रहा है। केन्द्र सरकार की इन्हीं योजनाओं के तर्ज पर देश में कई राज्य अपने अपने स्तर पर विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाकर राज्य में पशुपालन को बढ़ा दे रही हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ ने भी अपने राज्य के पशुपालकों के लिए गोधन न्याय योजना को शुरू किया है। छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना को राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 20 जुलाई 2020 को किसानो/पशुपालको को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू किया गया है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा गाय पालने वाले पशुपालक किसानों से गाय का गोबर खरीदा जायेगा। पशुपालक से खरीदे गए गोबर का उपयोग सरकार वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए करेगी। इस योजना के जरिये छत्तीसगढ़ सरकार गायों के लिए भी कार्य कर रही है, तो चलिए ट्रैक्टरगुरू के इस लेख के माध्यम से योजना से जुड़ी सभी जानकारी जानते हैं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में गोमूत्र की खरीद से यहां के किसान/ पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा राज्य में जैविक कीटनाशकों के साथ-साथ जैविक खाद का उत्पादन बढ़ेगा। इससे राज्य को राजस्व की प्राप्ति होगी। सरकार का मानना है कि इस गोबर और गोमूत्र खरीद के जरिए राज्य में जैविक खेती के क्षेत्र में क्रांति आएगी, इससे स्थायी खेती को बढ़ावा मिलेगा। गोमूत्र की खरीदी से राज्य में जैविक खेती के प्रयासों को और आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जीवामृत कीट नियंत्रक उत्पाद आदि तैयार किए जाने से रोजगार का जरिया मिलेगा। इन जैविक उत्पादों का उपयोग किसान भाई रासायनिक कीटनाशक के बदले कर सकेंगे जिससे कृषि में लागत कम होगी।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दो साल पहले हरेली पर्व पर 21 जुलाई 2020 को प्रदेश में पहली बार गोबर की खरदीने की शुरूआत गोधन न्याय योजना के तहत हुई थी। ग्रामीण पशुपालकों, महिला स्वयं सहायता समूहों और गौठान समितियों से दो रूपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदना शुरू हुआ था। गोधन न्याय योजना के तहत अब तक राज्य के ग्रामीण पशुपालकों, महिला स्वयं सहायता समूहों और गौठान समितियों को गोबर की खरीद के बदले 300 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। गोबर से गोठानों में अब तक 20 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर प्लस कम्पोस्ट, महिला स्वसहायता समूहों द्वारा तैयार किए जा चुके हैं। ग्रामीण पशुपालकों, महिला समूहों और गौठानों से अब तक तक 75 लाख क्विंटल से अधिक गोबर सरकार खरीद चुकी है। गोमूत्र की खरीदी राज्य में जैविक खेती के प्रयासों को और आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दो सालों में 150 करोड़ रूपये से अधिक की गोबर की खरीदी की गई है।
गोधन न्याय योजना के तहत छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के किसानों को सौगात दी है। मुख्यमंत्री ने योजना के तहत ग्रामीण पशुपालकों गौठानों से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों और गौठान समितियों को 43वीं किश्त के रूप में 10 करोड़ 70 लाख रुपये की राशि ऑनलाइन जारी की। इस राशि में 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक पशुपालकों, किसानों और भूमिहीनों से खरीदे गए गाय के गोबर के बदले 2.34 करोड़ रुपये और गौठान समितियों को 5.04 करोड़ रुपये और महिला स्वयं सहायता समूह को 3.32 करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है।
महिला एवं सहकारी समितियों से संबंधित स्वयं सहायता समूहों को वर्मीकम्पोस्ट की बिक्री के लिए ईनाम दिया जाएगा। योजना के तहत इन सहकारी संस्थाओं को 10 पैसे और महिलाओं को 1 रुपये प्रति किलो की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। अब 7 जुलाई 2022 तक बिक चुकी कम्पोस्ट की प्रति किलो मात्रा पर एक रुपए का बोनस मिलने से वर्मी कम्पोस्ट निर्माण स्वयं सहायता महिला समूहों को अतिरिक्त लाभ होगा। अगर देखा जाए कि महिला समूहों को कम्पोस्ट निर्माण का लाभांश, पैकेजिंग और प्रोत्साहन राशि को मिलाकर प्रति किलो 4.92 रुपए मिल रहे हैं, जो वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय मूल्य के 50 प्रतिशत के करीब है। योजना की दूसरी वर्षगांठ पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 7 करोड़ 48 लाख रुपये का ऑनलाइन भुगतान किया। इस योजना में अब तक गौठान समितियों और महिला स्वयं सहायता समूहों को कुल 147.99 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है।
गोधन न्याय योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब तक 10,622 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है, जिसमें से 8,397 गौठान कार्य कर रहे हैं और 3 हजार 89 गौठान स्वावलंबी बन गए हैं। इन स्वावलंबी गौठानों ने अपने कोष से 13 करोड़ 18 लाख रुपये का गोबर खरीदा है। खरीदे गए गाय के गोबर का उपयोग राज्य के गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मीकम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट प्लस सहित विभिन्न उत्पादों के निर्माण के लिए किया जा रहा है। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा लगभग 13 लाख 94 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और चार लाख 97 हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट और 18 हजार 925 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस का निर्माण किया गया है। इसकी आपूर्ति सरकारी विभागों और किसानों को सोसायटियों के माध्यम से रियायती दर पर की जा रही है। जिससे महिला स्वयं सहायता समूहों को अब तक 65 करोड़ 54 लाख रुपये की आय प्राप्त हो चुकी है।
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