गोबर धान योजना 2023 : बीते दिनों संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्र की मोदी सरकार का पांचवां व अंतिम आम बजट 2023-24 पेश किया गया। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने अपने इस अंतिम आम बजट में कृषि सेक्टर के लिए कई बड़े ऐलान किए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने इस आम बजट में कई नई सरकारी योजनाओं को लॉन्च करने की घोषणा भी की। जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसाधनों के महत्तम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकनॉमी) को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी की महत्वकांक्षी गोवर्धन (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना के तहत 10,000 करोड़ रुपए से देश भर में 500 नए वेस्ट टू वेल्थ प्लांट लगाने की घोषणा की गई। गोबर धन योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई को सकारात्मक तौर पर बढ़ाना साथ ही पशुओं या अन्य सोर्स से मिलने वाले ऑर्गेनिक वेस्ट से पैसा और ऊर्जा निर्माण करना है। इससे भारत के ग्रामीण इलाकों में आजीविका के नए सोर्स उपलब्ध होंगे। साथ ही गांवों में किसान-पशुपालकों की आय में इजाफा होगा। आईए, इस पोस्ट के माध्यम से इस पूरी खबर के बारे में जानते हैं।
बजट 2023-24 में हुई घोषणा के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला ने कहा कि गोबर धन योजना से सबसे ज्यादा लाभ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ही होगा। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कृषि के साथ पशुपालन का कार्य भी बड़े पैमाने करते हैं। कृषि के अवशेष को पशुओं के चारे के रुप में इस्तेमाल करते हैं, तो वहीं पशुओं के अवशिष्ट को कृषि में खाद के रुप में उपयोग करते हैं। इसके अलावा, आज के समय में किसान गोबर से आमदनी को दोगुना भी कर रहा है। गोबर धन योजना के तहत लाभार्थी उद्यमियों द्वारा गांव में क्लस्टर्स बनाए जाएंगे, ताकि जैविक खाद, बायोगैस (सीबीजी) बनाने के लिए गोबर और ठोस अपशिष्टों का एकत्रीकरण और संग्रहण किया जा सके। इससे गांव में रोजगार को अवसर बढ़ेंगे, किसान और पशुपालकों की इनकम बढ़ेगी। छत्तीसगढ़ में चलाई जा रही गोधन न्याय योजना के तहत महिलाओं को गोबर के औद्योगिकीकरण और इससे बनी बायो गैस से ज्यादा लाभ मिल रहा है। इससे ग्रामीण परिवेश साफ-स्वच्छ बनेगा और ग्रामीण आबादी को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी। साथ ही वेस्ट-टू-वेल्थ प्लांट से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में भी खास मदद मिलेगी।
गोबर धन योजना के तहत मवेशियों और जैविक कचरे का सुरक्षित प्रबंधन कर वेस्ट से पैसा और ऊर्जा निर्माण के लिए 584 बायो-गैस/ संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र स्थापित हो चुके हैं और अपना काम चालू कर चुके हैं। साथ ही 175 बायो-गैस/ संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र अभी भी निर्माणाधीन है। इस योजना के तहत 151 जिलों को कवर किया जा चुका है, जहां बायो गैस और सीबीजी संयत्र स्थापित किए गए हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ‘सप्तऋषि’ का जिक्र करते हुए कहा कि सूचीबद्ध सर्कुलर इकॉनामी को बढ़ावा देने के लिए गोबर-धन योजना के तहत 500 नए वेस्ट टू वेल्थ प्लांट्स की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है। इसके लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में वेस्ट टू एनर्जी और बायो-मिथेनेशन संयंत्र लगाने के लिए एक MoU पर हस्ताक्षर भी किया है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत स्थायी सॉलिड वेस्ट प्रबंधन पर जोर दिया गया है। इस उद्देश्य के मद्देनजर मंत्रालय ने 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में बड़े पैमाने पर सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग की सुविधाएं संयंत्र लगाने का फैसला किया है।
बजट में सॉलिड वेस्ट प्रबंधन के लिए वेस्ट टू वेल्थ प्लांट्स की स्थापना के प्रस्ताव पर वित्त मंत्री ने जिक्र करते हुए कहा कि 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में लखनऊ, कानपुर, बरेली, नासिक, ठाणे, नागपुर, ग्वालियर, चेन्नई, मदुरै, कोयंबटूर जैसे देश के कुल 59 शहर शामिल हैं। इन शहरों में म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट को बायो-मिथेनेशन प्लांट्स के जैविक/गीले अंश के प्रबंधल के लिए प्रस्तावित किया गया है। इन शहरों में सॉलिड वेस्ट प्रबंधन के लिए वेस्ट टू वेल्थ संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।
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