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चारा-बिजाई योजना : चारा खेती करने वाले किसानों को 10 हजार रूपये प्रति एकड़ देगी सरकार

चारा-बिजाई योजना : चारा खेती करने वाले किसानों को 10 हजार रूपये प्रति एकड़ देगी सरकार
पोस्ट -11 मई 2022 शेयर पोस्ट

जानें क्या है हरियाणा सरकार की नई योजना, किसानों और पशुपालकों को कैसे मिलेगा फायदा

हरियाणा सरकार ने चारा की खेती करने वाले किसानों के हित में एक बड़ा ऐलान कर दिया है। दरअसल राज्य में चारे बढ़ती किल्लत को देखते हुए नया दांव चला है। अब किसानों को चारा उगाने के लिए भी 10 हजार रूपये प्रति एकड़ सरकार द्वारा दिया जाएगा। हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के किसानों और पशुपालकों के लिए चारा-बिजाई योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना के शुरू होने से चारा की खेती करने वाले किसानों को सरकार की ओर से पैसा मिलेगा और पशुओं को मिलेगा चारा। चारा-बिजाई योजना के तहत यदि कोई किसान 10 एकड़ भूमि तक चारा उगाकर उसे आपसी सहमति से गौशालाओं को देता है तो सरकार उसे 10 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से पैसा उपलब्ध करावाएगी। यह पैसा चारा उगाने वाले किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से ट्रांसफर किया जायेगा। इससे पशुपालन में मदद मिलेगी एवं गौशालाओं के पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध होगा। ट्रैक्टर गुरू की इस पोस्ट के जरिये हरियाणा सरकार की ओर से चारा उगाने वाले किसानों के लिए शुरू की गई चारा-बिजाई योजना की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।

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कृषि मंत्री जेपी दलाल ने दी योजना की जानकारी

राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई चारा-बिजाई योजना की जानकारी प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने दी है। कृषि मंत्री ने कृषि विभाग, बागवानी विभाग, पशुपालन विभाग और हरियाणा कृषि विश्व विद्यालय के अधिकारियों की बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चारा-बिजाई योजना के आने से किसानों को भी लाभ होगा और प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ-साथ गौशालाओं को भी सुविधा होगी। कृषि मंत्री दलाल कहा कि चारा अर्थात तूड़े के लिए राज्य की 569 गौशालाओं को अप्रैल महीने में 13.44 करोड़ रूपये दिए गए हैं। बता दें कि इस साल सूबे में कंबाइन से कटाई और अन्य कारणों की वजह से सूखे चारे का संकट हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शुरू इस योजना से गौशालाओं को हरा चारा मुहैया होगा तथा सूखे चारे का संकट भी दूर होगा। राज्य सरकार ने हरियाणा से दूसरे राज्यों में सूखा चारा ले जाने पर लगी रोक हटाने की कोशिश भी शुरू कर दी हैं।

दूसरे राज्य में सूखा चारा ले जाने पर लगी रोक हटाने का प्रयास  

हरियाणा सरकार ने ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना की तर्ज अब पर ‘चारा बिजाई’ योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत 10 एकड़ भूमि तक परंपरागत खेती की बजाय चारा उगाकर गौशालाओं को आपसी सहमति पर मुहैया करवाने वाले किसानों को सरकार 10 हजार रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय मदद करेगी। योजना की जानकारी प्रदेश कृषि मंत्री ने दी। मीडिया रिर्पोटर के सवालों के जवाब में कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि एक से दूसरे जिले में पशु चारे के आवागमन पर कोई रोक नहीं है। लेकिन दूसरे राज्यों में सूखा चारा ले जाने पर रोक है। चारे की किल्लत को देखते हुए प्रशासन को जिले में सूखे चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगानी पड़ी थी। उन्होंने बताया कि हरियाणा से दूसरे राज्य में सूखा जारा ले जाने पर लगी रोक हटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि गौशालाओं में पशु चारे की कोई कमी न होने पाए।  

कृषि मंत्री ने समय पर बीमा क्लेम देने के दिए निर्देश

कृषि मंत्री जेपी दलाल ने मंगलवार को कृषि विभाग के अधिकारियों और भारत सरकार की एग्रीकल्चर बीमा कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में कृषि मंत्री ने जमीन, फसल नुकसान और समय पर प्रीमियम इत्यादि की जानकारी के आंकड़ों को आपस में इंटीग्रेट करने के लिए भी कृषि विभाग व कंपनी के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। फसल बीमा कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने किसानों को पारदर्शी तरीके से बीमा का क्लेम देने के लिए त्वरित कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिए ताकि समय पर उनकी खराब फसल का पैसा मिल सके। 

फसल बीमा के पुराने मामले भी निपटाने के दिए निर्देश

कृषि मंत्री जेपी दलाल ने पिछले 3-4 सालों से फसल खराब के क्लेम के विवादित मामलों के समाधान के लिए भी कहा है। हरियाणा सरकार के कृषि विभाग के अधिकारी और भारत सरकार की एग्रीकल्चर बीमा कंपनी के अधिकारी आपस में बैठकर इन क्लेम को निपटाने का काम करेंगे। क्राप कटिंग के बारे में भी व्यवस्था बनाने के लिए कहा गया है। हरियाणा उन राज्यों में शामिल है, जहां किसानों को फसल बीमा योजना से काफी मदद मिली है। कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत एक हजार करोड़ रूपये दिए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जो गौशालाएं अपने आस-पड़ोस में किसी किसान से चारा बिजाई कराना चाहते हैं। वो चारा गौशाला सर्टिफाई कर दे कि हमने गौ सेवा में लिया है, तो उस किसान को दस हजार प्रति एकड़ सरकार की तरफ से दिया जायेगा। ये पैसा डीबीटी के जरिए खाते में पहुंच जायेगा। 

हरियाणा में चारा महंगा होने का कारण 

हरियाणा में चारा महंगा होने के पीछे कई बड़े कारण बताये जा रहे हैं। पहला यह है कि इस बार पिछले सालों की तुलना में गेहूं की बिजाई बेहद कम की गई थी। क्योंकि सरसों का भाव तेज था इसलिए किसानों ने मुनाफे के लिए सरसों ज्यादा बोई। दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि अब हाथ से कटाई की बजाए 90 फीसदी गेहूं की कटाई कंबाइन मशीन से का जाती है। मैनुअल कटाई और कंबाइन से कटाई की तुलना में तूड़ी 30 प्रतिशत तक कम निकलती है। इसके अलावा तीसरा बड़ा कारण ये भी है कि समय से पहले शुरू हुई गर्मी की वजह से भी गेहूं उत्पादन कम हुआ है। भारी गर्मी की वजह से गेहूं की फसल हल्की हो गई।

इन जिलों में चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक

हरियाणा राज्य में चारा संकट को देखते हुए प्रशासन ने चारे बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगा रखी हैं। लेकिन दूसरे राज्यों से चारे के आवागमन पर कोई रोक नहीं हैं। हरियाणा में सूखे चारे खासकर गेहूं से बनने वाले भूसे (तूड़ी) का दाम सातवें आसमान पर पहुंच चुका है। पिछले सीजन जो भूसा करीब 300 रूपये प्रति क्विंटल था वो अब 700 के ऊपर मिल रहा है। थोक में किसान 7 हजार रुपये में एक एकड़ खरीद लेते थे, लेकिन उसका दाम अब 16 हजार रुपये को पार कर गया है। सामान्य किसान के लिए इतना महंगा चारा खरीदना बेहद मुश्किल हो रहा है। चारे की किल्लत को देखते हुए हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और पानीपत में धारा 144 लगानी पड़ी. प्रशासन ने इन जिलों में चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगा दी।  

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