छोटे व सस्ते कृषि उपकरण : किसानों वर्तमान समय में आधुनिक कृषि उपकरणों (Agricultural Equipment) से कृषि करने में बड़ी सहूलियत हो रही है। इन कृषि उपकरणों की मदद से किसान कृषि में बुवाई से लेकर कटाई तक के चुनौती पूर्ण कार्य को बेहद कम समय, लागत और श्रम में पूरा कर पा रहे है। जिससे किसानों की कृषि में लागत भी कम हुई और उत्पादन भी बढ़ा है। कृषि में इन कृषि उपकरणों के बढ़ते योगदान को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें भी कृषि उपकरणों पर कई तरह की सरकारी योजना के तहत सब्सिडी देती है। ताकि अधिक-अधिक से किसान इन कृषि यंत्रों को खरीद कर खेती में इस्तेमाल कर पाए। सरकार के इन योजनाओं के चलते आज देशभर के किसान खेती में काफी बडे पैमाने कृषि यंत्रों के इस्तेमाल कर खेती कर रहे है। यह कृषि यंत्र किसानों का पैसा, श्रम और समय तीनों ही बचा रहे है। लेकिन इन कृषि यंत्रों की कीमत बहुत ज्यादा होती है और छोटे व सीमांत किसान इन्हें नहीं खरीद पाते और खेती में इस्तेमाल नहीं कर पाते है। जिस वहज से उन्हें खेती में हानि उठानी पड़ जाता है। ऐसे में छोटे किसानों की इन्हीं परेशानियों को ध्यान में रखते हुए कई कृषि यंत्र निर्माता कंपनियों ने छोटे व सस्ते कृषि उपकरण बाजार में उतारें है, जो आकर में छोटे और इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं है। छोटे और सीमांत किसान इन कृषि उपकरण को आसानी से खरीद कर खेती में इस्तेमाल कर सकते है। ट्रैक्टर गुरू के इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ कृषि उपकरणों की जानकारी देने जा रहे है, जो छोटे व सस्ते है और खेती के उपयोगी है।
देश के कई हिस्सों में 70 से 80 प्रतिशत किसान छोटे व सीमांत वर्ग से आते है। ऐसे किसानों आर्थिक रुप से इतने सक्षम नहीं होते है कि वे मँहगे कृषि यंत्रों के इस्तेमाल से खेती कर पाए। मध्यम आय वर्ग के किसान किराए पर इन कृषि यंत्रों का इस्तेमाल कर खेती कर लेते है। लेकिन छोटे और सीमांत किसान आज भी पारंपरिक तरीके से बैल की मदद से खेती में जुताई से लेकर बुवाई जैसे चुनौती पूर्ण कार्य को पूरा कर रहे है। जिससे खेती में उनका समय, श्रम और लागत बहुत ज्यादा हो जाती है। और उत्पादन भी पर्याप्त नहीं हो पाता है। लेकिन अब बाजार में जुताई और बुवाई के छोटे और सस्ते सीड कम सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल मशीनों की रेंज उपलब्ध है। इन्हें किसाना आसानी से खरीद कर खेती में आसानी से बुवाई कर सकते है। सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल की मदद से धान, बाजरा, मूंगफली, गेहूं, मक्का, मटर, मसूर, सोयाबीन, आलू, प्याज, लहसुन, सूरजमुखी, जीरा, चना, कपास आदि फसलों की बुवाई उचित गहराई में सरलता कर सकते है। सीड कम सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल मशीन के उपयोग से लागत और समय बचता है और पैदावार बढ़ती है। इसके अलावा बुरहानपुर। किसान भाई हैण्ड डिबलर कृषि यंत्र से भी बुवाई का काम कर सकते है। हैण्ड डिबलर कृषि यंत्र बोने के साथ-साथ खाद देने का भी कार्य करता है।
खेती में सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य फसलों की कटाई का होता है। जिसके लिए किसाना को कटाई के लिए समय पर मजदूर खाजने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो देखा गया है कि फसल कटाई के लिए समय पर मजदूर न मिलने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इन आधुनिक मशीनों से फसलों की कटाई करना आसान हो गया है। अब कटाई का कार्य मशीनों से किया जा रहा है। जिस वहज से किसानों की मेहनत, समय एवं लागत में बचत हुई है। इन मशीनों के अलाव फसलों की कटाई में किसान भाई ब्रश कटर, क्रॉप कटर और छोटू मशीनों का इस्तेमाल कर सकते है। फसल काटने वाले यह छोटी मशीनें सस्ती ओर छोटी है। बाजारों में यह कई रेंज में उपलब्ध है। फसलों को अंतिम रूप देने के लिए ट्रैक्टर चालित मल्टीक्रॉप थ्रेसर ओसाई पंखा, रीपर, ब्लेड हैरो/ पावर हैरो आदि कृषि उपकरणों (Agricultural Equipment) का इस्तेमाल किया जाता है।
खेती से बेहतर उत्पादन लेने के लिए फसलों की अच्छे से सिंचाई करना बेहद जरुरी होता है। लेकिन गिरते जल स्तर ने किसानों की सिंचाई समस्या को और भी गहरा कर दिया है। लेकिन सिंचाई की नई-नई पद्धतियों ने सिंचाई को और भी आसान बना दिया है। आज के समय में ज्यादातर किसान फसलों की सिंचाई ड्रिप/ टपक और फव्वारा सिंचाई पद्धति से कर रहे हैं। इन सिंचाई पद्धति से किसानों को कम पानी में अधिक पैदावार प्राप्त हो रही है। किसान फसल में जरुर के हिसाब से सिंचाई कर पा रहे है। फसल को जरुरी पोषक तत्व सिंचाई के साथ ही दे पा रहे हे। इसके अलावा सिंचाई के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें कई योजना लागू कर किसानों को बेहतर सिंचाई उपकरण उपलब्ध करवा रही है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के माध्यम से किसानों के खेत में सोलर पंल भी लगवाए जा रहे है। सूक्ष्म सिंचाई योजना के माध्यम से ड्रिप/टपक और फव्वारा सिंचाई पद्धति के लिए सब्सिडी भी दी जा रही है। सोलर पंप से किसान सिंचाई के साथ-साथ अतिरिक्ति आय भी अर्जित कर रहे है।
फसलों की बुवाई के पश्चात सबसे महत्वपूर्ण कार्य फसलों की देख-भाल का होता है। फसलों की देख-भाल में सिंचाई से लेकर खाद, उर्वरक और निराई-गुडाई का विशेष ध्यान रखना होता है। खेत को खरपतवार मुक्त रखने के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई का कार्य किया जाता है। छोटे स्तर पर यह कार्य काफी आसान होता है। लेकिन बड़े स्तर पर यह कार्य जटिल हो जाता है। लेकिन अब निराई-गुडाई के कार्य में पावर वीडर और पशु चलित कल्टीवेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है। बाजार में कई कंपनियों ने छोटे ट्रैक्टर उतारे हुए है। इन ट्रैक्टर की मदद से कल्टीवेटर से निराई-गुड़ाई का कार्य कर सकते है। इसके अलावा कोनो वीडर की सहायता से बेहतर तरीके से खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है।
केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से खेती के छोटे से लेकर बड़े उपकरणों पर सब्सिडी उपलब्ध करवाने के लिए अपने-अपने स्तर पर विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिनके माध्यम से किसानों को अपने-अपने स्तर पर तय प्रवाधानों के मुताबिक कृषि उपकरणों पर तय सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके लिए प्रत्येक राज्य सरकार समय-समय पर किसानों से आवेदन की मांग करती है। सरकार किसानों को इन योजना के माध्यम से 40 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी किसान वर्ग के अनुसार कृषि यंत्रों पर देती है । कृषि यंत्र सब्सिडी योजना की अधिक जानकारी किसान अपने-अपने राज्य में संबंधित कृषि विभाग से संपर्क कर ले सकते है।
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