भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां खेती व्यक्तिगत और व्यावसायिक रूप में की जाती है। इसके कारण भारत की लगभग 70 से 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। कम मेहनत और कम लागत में अधिक फसल पैदा करने व कृषि कार्य को सरल बनाने के लिए आधुनिक मशीनों की खोज की जा रही है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जो काम पहले लोग अपने शारीरिक श्रम से करते थे, वह अब मशीनों द्वारा किया जा रहा है। चाहे वह खेत की तैयारी हो, बुआई करना हो, खेत को समतल करना हो या फसल की कटाई करनी हो। आप कह सकते हैं कि फसल बोने से लेकर फसल को घर लाने तक का सारा काम मशीनों पर निर्भर हो चुका है। इन कृषि उपकरणों के उपयोग से किसान एक ही फसल के मौसम में कई प्रकार की फसलें उगा सकते हैं। आमतौर पर ये उपकरण ट्रैक्टरों द्वारा चलाए जाते हैं।
ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट के माध्यम से आइए आज कृषि में उपयोग होने वाले इन 5 उपकरणों पर एक नजर डालते हैं -
कल्टीवेटर एक ट्रैक्टर चलित उपकरण है जो मुख्य रूप से कम मेहनत, ईंधन और आवश्यक समय के साथ बुवाई से पहले मिट्टी तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह किसानों की खेतो से खरपतवारों को उखाड़ने और फसल के अवशेषों, खाद और उर्वरकों को मिट्टी में मिलाने में मदद करता है। इसका उपयोग खेतों की जुताई के साथ-साथ बीजों को मिट्टी में मिलाने आदि में किया जाता है। जिससे फसलों को विकास के लिए सही तापमान और स्वस्थ वातावरण प्राप्त करने में मदद मिलती है। कल्टीवेटर (Cultivator) कई प्रकार के होते है जैसे स्प्रिंग कल्टीवेटर (Spring cultivator), रिजिड टाइन कल्टीवेटर, 7 टाइन (TYNES) कल्टीवेटर, 9 टाइन (TYNES) कल्टीवेटर, 13 टाइन (TYNES) कल्टीवेटर होते हैं।
बुवाई से पहले खेत को तैयार करने के लिए रोटावेटर का उपयोग किया जाता है। यह मशीन पुरानी फसल के अवशेषों को जड़ों से खोदकर मिट्टी में अच्छी तरह मिलाने का काम करती है। यह आमतौर पर भूसी को मिट्टी में दबाकर खेत को समतल कर देता है। इसका उपयोग खेतों की जुताई के लिए भी किया जा सकता है। इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में चलाया जा सकता है।
कृषि में फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव भी बहुत महत्वपूर्ण है, चाहे वह जैविक हो या अन्य कीटनाशकों का छिड़काव। इसके लिए आप बाजार से स्प्रेयर खरीद सकते हैं, जिसकी मदद से किसान आसानी से फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव कर सकते हैं। स्प्रेयर कई प्रकार के आकार में आते हैं, मैन-पोर्टेबल मॉडल से लेकर स्वचालित मॉडल तक जो बड़े क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले ट्रैक्टर के समान होते हैं।
किसानों को फसलों की बुवाई से लेकर कटाई तक काफी मेहनत करनी पड़ती है। फसल की पैदावार बढ़ाने में सिंचाई की अहम भूमिका होती है। प्राचीन काल में फसलों की सिंचाई विभिन्न माध्यमों से की जाती थी। जिसमें नहरों और कुओं से पानी की पहुंच आम थी। लेकिन अब बढ़ती आबादी के कारण पानी मिलना और नदी-तालाबों का गायब होना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसमें ट्रैक्टर से चलने वाले सिंचाई के कई उपकरण बाजार में उपलब्ध हैं।
ट्रैक्टर पर लगे कंबाइन हार्वेस्टर से कई कार्यों को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं। जिसकी मदद से कटाई और सफाई का काम एक ही समय में किया जा सकता है, इस मशीन की मदद से चावल, गेहूं, सोयाबीन, सरसों आदि फसलों की कटाई और सफाई का काम एक साथ किया जा सकता है। इसमें अपेक्षाकृत कम समय और लागत लगती है। इससे अनाज अलग कर लिया जाता है और अरहर और भूसी को खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ताकि खेत में खाद बनी रहे।
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