खरीफ की खेती के लिए किसानों को मिलेगा 99 हजार करोड़ रुपए का फसली ऋण

पोस्ट -04 जून 2024 शेयर पोस्ट

खरीफ सीजन में फसली ऋण के साथ-साथ सब्सिडी पर मिलेंगे बीज, इन किसानों को होगा फायदा

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने देश के अलग-अलग राज्यों के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी कर दिया है। इस बार सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई गई है। बेहतर मानसून की संभावना के चलते इस बार खरीफ फसलों की बुवाई का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो सकता है। खरीफ की बुवाई में किसानों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए किसानों को सब्सिडी पर बीज उपलब्ध कराए जा रहे है, साथ ही फसली ऋण भी कम से कम ब्याज दर पर दिया जा रहा है। अगर आप खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई के लिए फसली ऋण लेना चाहते हैं तो ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट को ध्यान से जरूर पढ़ें।

फसली ऋण 2024 : इन किसानों को मिलेगा सबसे पहले लाभ (Crop loan 2024: These farmers will get the benefit first)

केंद्र व राज्य सरकार हर साल रबी व खरीफ सीजन की बुवाई से पहले किसानों को सहकारी समितियों व अन्य संस्थाओं के माध्यम से फसली ऋण प्रदान करती है। वर्तमान में आंधप्रदेश सरकार ने किसानों को फसली ऋण देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। आंधप्रदेश में किसानों को फसली ऋण के अलावा सब्सिडी पर बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। धान किसानों को बीज पर 100 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। आंध्रप्रदेश के कृषि विशेष आयुक्त सी हरि किरण के अनुसार राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) ने किसानों के लिए 1,66,000 रुपए के ऋण वितरित करने की योजना बनाई है। खरीफ सीजन में किसानों को 99 हजार 600 करोड़ रुपए के ऋण वितरित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि विभाग इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अन्य विभागों से समन्वय करेगा।

धान किसानों को बीज पर मिलेगी 1 हजार रुपए की सब्सिडी (Paddy farmers will get a subsidy of 1 thousand rupees on seeds)

आंध्रप्रदेश में खरीफ सीजन के दौरान सबसे ज्यादा धान की खेती होती है। खरीफ सीजन 2024 में प्रदेश में धान किसानों को 1000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बीज सब्सिडी दी जाएगी। यह सब्सिडी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में शामिल जिलों के किसानों दी जाएगी। वहीं नॉन एनएफएसएम जिलों के किसानों को 500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से सब्सिडी दी जाएगी।

किसानों के बीच बांटे जाएंगे 6.32 लाख क्विंटल बीज (6.32 lakh quintal seeds will be distributed among the farmers)

अच्छे मानसून की संभावना को देखते हुए आंध्रप्रदेश कृषि विभाग ने खरीफ सीजन 2024 के लिए 34.26 लाख हेक्टेयर फसल कवरेज का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से 6.32 लाख क्विंटल बीज का वितरण सब्सिडी पर किया जाएगा। आदिवासी किसानों को 90 प्रतिशत सब्सिडी पर बीज दिए जाएंगे। सबसे ज्यादा लक्ष्य धान की खेती के लिए रखा गया है जो 15.63 लाख हेक्टेयर है। ज्वार, बाजारा, मक्का, रागी और अन्य छोटे बाजरा सहित मोटे अनाज की कुल खेती का लक्ष्य 2.19 लाख हेक्टेयर तय किया गया है। इसी तरह दलहन की खेती में शामिल लाल चना, हरा चना और काला चना की खेती का लक्ष्य 3.34 लाख हेक्टेयर है। तिलहन खेती का लक्ष्य 6.58 लाख हेक्टेयर है जबकि कपास का लक्ष्य 5.98 लाख हेक्टेयर है। इस प्रकार कुल खाद्यान्न की खेती का लक्ष्य 21.16 लाख हेक्टेयर तय किया गया है जिससे 96.98 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन की उम्मीद है।

फसल कृषक अधिकार कार्ड जारी करने की मांग (Demand for issuing crop farmer rights card)

आंध्रप्रदेश में इस बार राज्य सरकार ने केवल 10 लाख किसानों को फसल कृषक अधिकार कार्ड (सीसीआरसी) जारी करने का लक्ष्य रखा है जबकि राज्य में काश्तकारों की संख्या करीब 33 लाख है। राज्य में अधिक से अधिक किसानों को सीसीआरसी जारी करने की मांग उठने लगी है। आंध्र प्रदेश काश्तकार संघ (APTFA) की राज्य समिति ने राज्य सरकार से राज्य के सभी 33 लाख काश्तकारों को फसल कृषक अधिकार कार्ड जारी करने की मांग की। एपीटीएफए के अध्यक्ष वाई राधाकृष्ण, महासचिव एम हरिबाबू और सहायक सचिव पी रंगाराव ने इस मुद्दे पर मीडिया से बातचीत की।

केवल 5 फीसदी किसानों को मिल रहा फसली ऋण (Only 5 percent of farmers are getting crop loan)

आंध्रप्रदेश में केवल 5 प्रतिशत काश्तकारों को फसली ऋण स्वीकृत हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश काश्तकार संघ के अनुसार बैंक केवल 5 प्रतिशत काश्तकारों को ही फसल ऋण दे रहा है जबकि 70 प्रतिशत से अधिक भूमि पर काश्तकार ही खेती करते हैं। राज्य में भूमि मालिकों के मित्रों और रिश्तेदारों ने बड़ी संख्या में सीसीआरसी प्राप्त कर लिए हैं। संघ ने  राज्य सरकार से वास्तविक किरायेदार किसानों को कार्ड जारी करने और नकली किरायेदार किसानों को कार्ड जारी करने पर रोक लगाने की मांग की है। संघ के नेताओं ने कहा कि राज्य में हर साल किसानों को लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के बैंक ऋण स्वीकृत किए जाते हैं, लेकिन किरायेदार किसानों की हिस्सेदारी केवल पांच प्रतिशत है। उन्होंने सरकार से किरायेदार किसानों को 70 प्रतिशत ऋण स्वीकृत करने की मांग की

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